गृह सचिव ने बताया, सुरक्षा कारणों से जम्मू कश्मीर में इंटरनेट पाबंदी का ब्योरा नहीं दे सकते

गृह सचिव अजय भल्ला ने लोकसभा नियमों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार सुरक्षा के आधार पर कोई भी दस्तावेज़ सार्वजनिक करने से इनकार कर सकती है. कांग्रेस नेता शशि थरूर की अगुवाई वाली संसदीय समिति ने टेलीकॉम सेवाएं/इंटरनेट पर पाबंदी को लेकर गृह मंत्रालय के अधिकारियों से देने को कहा था.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

गृह सचिव अजय भल्ला ने लोकसभा नियमों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार सुरक्षा के आधार पर कोई भी दस्तावेज़ सार्वजनिक करने से इनकार कर सकती है. कांग्रेस नेता शशि थरूर की अगुवाई वाली संसदीय समिति ने टेलीकॉम सेवाएं/इंटरनेट पर पाबंदी को लेकर गृह मंत्रालय के अधिकारियों से देने को कहा था.

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नई दिल्ली: तथाकथित ‘सुरक्षा परिस्थितियों’ का हवाला देते हुए गृह मंत्रालय ने लोकसभा को बताया है कि वे जम्मू कश्मीर में इंटरनेट पाबंदी संबंधी डिटेल साझा नहीं कर पाएंगे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते बुधवार को लोकसभा महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव को लिखे पत्र में गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में सुरक्षा स्थिति को देखते हुए इंटरनेट पर पाबंदी के संबंध में सूचनाओं का खुलासा करना राज्य की सुरक्षा एवं हित के लिए उचित नहीं होगा.’

उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर में इंटरनेट बैन करने का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.

लोकसभा नियमों का हवाला देते हुए गृह सचिव ने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा एवं हित के आधार पर कोई भी दस्तावेज सार्वजनिक करने से इनकार कर सकती है.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अगुवाई वाली सूचना एवं प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति ने ‘टेलीकॉम सेवाएं/इंटरनेट पर पाबंदी और इसके प्रभाव’ विषय पर गृह मंत्रालय के अधिकारियों को उपस्थित होकर जानकारी देने को कहा था.

अखबार के मुताबिक, वैसे तो अपर सचिव गोविंद मोहन समिति के सामने उपस्थित हुए थे, लेकिन सूत्रों ने बताया कि उन्होंने इंटरनेट शटडाउन के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया. जब अन्य राज्यों में संचार माध्यमों पर पाबंदी लगाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कानून एवं व्यवस्था राज्य का विषय है.

भल्ला ने अपने पत्र में कहा कि केंद्रीय गृह सचिव टेलीकॉम सेवाओं पर पाबंदी लगाने को लेकर निर्देश जारी कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘लोकसभा सचिवालय से यह पता चला है कि समिति मुख्य रूप से जम्मू कश्मीर में इंटरनेट बैन पर बहस करना चाहती है. 16 अक्टूबर 2020 को हुई पिछली बैठक में गृह मंत्रालय ने इसे लेकर पहले ही अपना विचार प्रस्तुत कर दिया है और इस संबंध में बताने के लिए हमारे पास कुछ और नहीं है.’

अक्टूबर में मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया था कि गृह सचिव में दिसंबर 2019 में दो बार दिल्ली के कुछ विशेष इलाके में एक निश्चित समय के लिए इंटरनेट पाबंदी संबंधी निर्देश जारी किया था. उन्होंने कहा कि मंत्रालय जम्मू कश्मीर समेत अन्य राज्यों द्वारा जारी किए गए इस तरह के आदेश का विवरण अपने पास नहीं रखता है.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने यहां के सिर्फ दो जिलों- गांदरबल और उधमपुर में 4जी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल की हैं. बाकी जिलों में सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस पर पाबंदी जारी है और सिर्फ 2जी इंटरनेट चालू है.

एनजीओ फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से कुछ इलाकों में 4जी इंटरनेट सेवाएं बहाल करने की संभावनाएं तलाशने को कहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 11 मई को जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने की याचिकाओं पर विचार करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में ‘विशेष समिति’ के गठन का आदेश दिया था.