भ्रष्टाचार पर नज़र रखने वाली संस्था ‘ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल’ ने यह अध्ययन 17 देशों में किया और इसमें कुल मिलाकर क़रीब 20,000 नागरिकों को शामिल किया गया. भारत में उन लोगों की संख्या भी सबसे अधिक है, जो लोक सेवाओं का उपयोग करने के लिए निजी संपर्कों का उपयोग करते हैं.
नई दिल्ली: भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ‘ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल’ की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, एशिया में सबसे ज्यादा रिश्वत की दर भारत में है और सार्वजनिक सेवाओं का उपयोग करने के लिए व्यक्तिगत संपर्कों का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या भी यहीं सबसे अधिक है.
‘ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर (जीटीबी)- एशिया’ के अनुसार रिश्वत देने वालों में से लगभग 50 प्रतिशत से ऐसा करने को कहा गया था, वहीं निजी संपर्कों का उपयोग करने वालों में से 32 प्रतिशत का कहना था कि रिश्वत नहीं देने पर उन्हें सेवा प्राप्त नहीं होती.
यह रिपोर्ट उस सर्वेक्षण पर आधारित है, जो इस वर्ष भारत में 17 जून से 17 जुलाई के बीच किया गया था और इसमें 2,000 लोगों को शामिल किया गया था.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘क्षेत्र में रिश्वत देने की उच्चतम दर (39 प्रतिशत) के साथ-साथ भारत में उन लोगों की संख्या भी सबसे अधिक (46 प्रतिशत) है, जो लोक सेवाओं का उपयोग करने के लिए निजी संपर्कों का उपयोग करते हैं.’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘राष्ट्रीय और राज्य सरकारों को लोक सेवाओं के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार लाने, रिश्वतखोरी और भाई-भतीजावाद पर काबू के लिए निवारक उपायों को लागू करने तथा आवश्यक लोक सेवाओं को जल्दी व प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए लोगों के अनुकूल ऑनलाइन प्लेटफार्मों में निवेश करने की आवश्यकता है.’
इसमें कहा गया है कि भ्रष्टाचार पर काबू के लिए ऐसे मामलों की जानकारी देना महत्वपूर्ण है, लेकिन भारत में ज्यादातर नागरिकों (63 प्रतिशत) का मानना है कि अगर वे भ्रष्टाचार की रिपोर्ट करेंगे तो उन्हें बदले की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत, मलेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका और इंडोनेशिया सहित कई देशों में यौन-उत्पीड़न की दर भी अधिक है और खासकर लैंगिक आधार पर भ्रष्टाचार पर काबू के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है.
भारत में 89 प्रतिशत लोगों को लगता है कि सरकारी भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है, 18 प्रतिशत प्रतिभागियों को वोट के बदले रिश्वत की पेशकश की गई.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 11 फीसदी लोगों ने या तो सेक्सटॉर्शन का सामना किया है या उन्हें इसके भुक्तभोगी के बारे में जानकारी है. भारत, मलेशिया, थाइलैंड, श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे कुछ देशों में सेक्सुअल एक्सटॉर्शन रेट बहुत अधिक हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, इन देशों में सेक्सटॉर्शन को रोकने के लिए अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है. सेक्सटॉर्शन पैसे वसूली या सेक्सुअल फेवर का एक ऐसा तरीका है, जिसमें मार्फ्ड इमेज (फोटोशॉप की गई फोटोज) जैसे तरीकों से किसी की सेक्सुअल एक्टिविटी को सार्वजनिक करने की धमकी दी जाती है.
सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से लगभग 63 प्रतिशत लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सरकार अच्छा काम कर रही है, वहीं 73 प्रतिशत लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अच्छा काम कर रही है.
यह अध्ययन 17 देशों में किया गया और इसमें कुल मिलाकर करीब 20,000 नागरिकों को शामिल किया गया.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के बाद दूसरा स्थान कंबोडिया का है, जहां यह दर 37 प्रतिशत है. उसके बाद इंडोनेशिया (30 प्रतिशत) का स्थान है. मालदीव और जापान में सबसे कम रिश्वत दर (2 प्रतिशत) है जबकि दक्षिण कोरिया में यह दर 10 प्रतिशत और नेपाल में 12 प्रतिशत है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण से पता चला है कि चार में से करीब तीन लोग सोचते हैं कि उनके देश में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है. साथ ही सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि सार्वजनिक सेवाओं (स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा आदि) तक पहुंचने वाले लगभग पांच में से एक व्यक्ति ने रिश्वत दी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए इसे अपराध घोषित करना चाहिए और उचित तरीके से इसकी जांच कर दोषियों को सजा दिलवानी चाहिए. ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिससे नागरिक बिना डर के किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की शिकायत कर सकें.
रिपोर्ट के मुताबिक, नागरिक भविष्य को लेकर सकारात्मक हैं और उन्हें लगता है कि साधारण लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अहम योगदान दे सकते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)