दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी है. तीन कृषि कानूनों के विरोध में बीते बृहस्पतिवार को विभिन्न किसान संगठनों ने दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया था, तब इन्हें दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर रोक दिया गया था. किसानों के समर्थन में लखनऊ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में भी किसानों ने प्रदर्शन किया है.
नई दिल्ली/चंडीगढ़/नोएडा: केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि कानूनों के विरोध में बृहस्पतिवार को ‘दिल्ली चलो मार्च’ के शुरू होने के तकरीबन 24 घंटे बाद दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में घुसने की अनुमति मिल गई है.
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि किसानों को शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल होने और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी गई. यह कदम सिंघु बार्डर पर किसानों और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच संघर्ष के बीच उठाया गया है.
पुलिस ने कहा कि किसानों को उत्तर-पश्चिम दिल्ली के निरंकारी ग्राउंड में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दी गयी है.
दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी ऐश सिंघल ने कहा, ‘किसान नेताओं के साथ बातचीत के बाद प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली में बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई है. हम किसानों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं.’
‘दिल्ली चलो मार्च’ प्रदर्शन में शामिल हुए पंजाब के मानसा जिले के किसान धाना सिंह की हरियाणा के भिवानी में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) इस पर गहरा शोक व्यक्त किया है और कहा है कि उनका बलिदान बर्बाद नहीं जाएगा.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार के किसानों को रोकने के प्रयास की निंदा की है.
दरअसल किसानों को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगी अपनी सीमाएं बंद करने के साथ ही उन्हें जमा होने से रोकने के लिए कई इलाकों में सीआरपीसी की धारा 144 भी लागू कर दी है.
दिल्ली सरकार ने नौ स्टेडियमों को अल्पकालिक जेल में बदलने की मांग ठुकराई
इस बीच दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने सरकार ने दिल्ली पुलिस की उस मांग को ठुकरा दिया है, जिसमें उन्होंने कृषि प्रदर्शनों के मद्देनजर नौ स्टेडियमों को अल्पकालिक जेल में परिवर्तित करने की मांग की थी.
दिल्ली सरकार में गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, ‘किसानों की मांगें जायज हैं. केंद्र सरकार को किसानों की मांगें तुरंत माननी चाहिए. किसानों को जेल में डालना इसका समाधान नहीं है. इनका आंदोलन बिल्कुल अहिंसक है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘अहिंसक तरीके से आंदोलन करना हर भारतीय का संवैधानिक अधिकार है. उसके लिए उन्हें जेल में नहीं डाला जा सकता है. इसलिए स्टेडियम को जेल बनाने की दिल्ली पुलिस की इस अर्जी को दिल्ली सरकार नामंजूर करती है.’
Delhi Government rejects the request of Delhi Police seeking to convert nine stadiums into temporary prisons, in view of farmers protest. https://t.co/fbG9qEp11O pic.twitter.com/oI05MBN2bX
— ANI (@ANI) November 27, 2020
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ विरोध जताने दिल्ली के लिए निकले पंजाब और हरियाणा के किसान रास्ते में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के बावजूद शुक्रवार सुबह दिल्ली की दो सीमाओं पर जमा गए थे.
30 से अधिक किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले पंजाब के किसानों ने घोषणा की थी कि वे लालडू, शंभु, पटियाला-पिहोवा, पातरां-खनौरी, मूनक-टोहाना, रतिया-फतेहाबाद और तलवंडी-सिरसा मार्गों से दिल्ली की ओर रवाना होंगे. सभी सीमाओं पर तनाव कायम है.
‘दिल्ली चलो मार्च’ के लिए किसान अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर राशन और अन्य आवश्यक सामान के साथ एकत्रित हुए हैं.
किसान नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि नए कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी.
केंद्र ने पंजाब के कई किसान संगठनों को बातचीत करने के लिए तीन दिसंबर को बुलाया भी है.
दिल्ली पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, पानी की बौछारें की
इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च कर रहे किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर कहीं आंसू गैस के गोले दागे, तो कहीं पानी की बौछारें कीं.
दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर पहुंचे किसानों के एक समूह पर आंसू गैस के गोले दागे, जबकि टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षाकर्मियों ने किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में आने से रोकने के लिए उन पर पानी की बौछारें की.
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाकर्मियों द्वारा आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किए जाने के बाद वहां घना धुआं देखा गया.
वहीं टिकरी बॉर्डर पर किसानों की पुलिस से झड़प हो गई और उन्होंने अवरोधक के तौर पर लगाए ट्रक को जंजीरों (चैन) के जरिये ट्रैक्टर से बांध वहां से हटाने की कोशिश की.
दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाली सीमा पर नरेला में किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए. सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और रेत से भरे ट्रक तथा पानी के टैंक भी वहां तैनात हैं.
पंजाब से दिल्ली आने के सीधे मार्ग सिंघु बॉर्डर पर किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल होने से रोकने के लिए कई तरह के अवरोधक लगाए गए हैं. मार्गों को कटीले तार लगाकर अवरूद्ध किया गया है. केंद्र एवं पुलिस के इस कदम की चौतरफा आलोचना हो रही है.
सीमावर्ती इलाकों में प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए सुरक्षाकर्मी ड्रोन का इस्तेमाल भी कर रहे हैं.
किसानों के पूरी तरह से साथ है भाकियू : टिकैत
भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश सिंह टिकैत ने कहा है कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से सरकार बातचीत करें तथा विवादित कानून को वापस ले.
उन्होंने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी मान्यता दे तथा यह सुनिश्चित करे कि जिस फसल की जो न्यूनतम दर सरकार ने तय की है, उससे कम रेट पर कोई भी व्यापारी या मिल मालिक अनाज नहीं खरीदेगा. अगर उससे कम रेट पर किसानों से खरीदारी की जाती है तो क्रेता के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदर्शन करने जा रहे हैं हरियाणा, पंजाब के किसानों का भारतीय किसान यूनियन पूरी तरह से समर्थन कर रहा है तथा भाकियू आज उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर सड़क जाम कर प्रदर्शनरत किसानों का समर्थन करेगी.
उन्होंने किसानों पर लाठीचार्ज व जाड़े के मौसम में पानी की बौछार करने की भी कड़े शब्दों में निंदा की.
हमारी सरकार बनने पर ‘काले कृषि कानूनों’ को निरस्त किया जाएगा: कांग्रेस
कांग्रेस ने तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच करने की कोशिश कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए शुक्रवार को कहा कि केंद्र में जिस दिन उसकी सरकार बनेगी उसी दिन इन ‘काले कानूनों’ को निरस्त कर दिया जाएगा.
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘प्रधानमंत्री को याद रखना चाहिए था जब-जब अहंकार सच्चाई से टकराता है, पराजित होता है. सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे किसानों को दुनिया की कोई सरकार नहीं रोक सकती.’
PM को याद रखना चाहिए था जब-जब अहंकार सच्चाई से टकराता है, पराजित होता है।
सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे किसानों को दुनिया की कोई सरकार नहीं रोक सकती।
मोदी सरकार को किसानों की माँगें माननी ही होंगी और काले क़ानून वापस लेने होंगे।
ये तो बस शुरुआत है!#IamWithFarmers
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 27, 2020
उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार को किसानों की मांगें माननी ही होंगी और काले क़ानून वापस लेने होंगे. ये तो बस शुरुआत है!’
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी किसानों की मांगों को पूरा कराने के लिए उनके साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़ी है.
उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा, ‘एक देश, एक चुनाव’ की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों के संदर्भ में ‘एक देश, एक व्यवहार’ पर अमल करना चाहिए.
किसानों की आवाज दबाने के लिए
👉पानी बरसाया जा रहा है
👉सड़कें खोदकर रोका जा रहा हैलेकिन सरकार उनको ये दिखाने और बताने के लिए तैयार नहीं है कि MSP का कानूनी हक होने की बात कहां लिखी है
एक देश, एक चुनाव की चिंता करने वाले प्रधानमंत्री जी को एक देश, एक व्यवहार भी लागू करना चाहिए pic.twitter.com/7mQwA812Z8
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 27, 2020
प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘किसानों की आवाज दबाने के लिए पानी बरसाया जा रहा है, सड़कें खोदकर रोका जा रहा है, लेकिन सरकार उनको ये दिखाने और बताने के लिए तैयार नहीं है कि एमएसपी का कानूनी हक होने की बात कहां लिखी है. एक देश, एक चुनाव की चिंता करने वाले प्रधानमंत्री जी को एक देश, एक व्यवहार भी लागू करना चाहिए.’
प्रदर्शनकारी किसानों से मुलाकात के लिए पानीपत पहुंचे वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘किसान को न्यूनतम समर्थन दीजिए, हम आपकी तारीफ करेंगे. लेकिन किसान को लाठियां मारेंगे, आंसू गैस के गोल छोड़ेंगे, पानी की बौछार मारेंगे तो इसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. अगर किसान ने रोटी पैदा करना छोड़ दिया तो दिल्ली का दरबार ध्वस्त हो जाएगा.’
सुरजेवाला ने कहा, ‘हम कांग्रेस की ओर से यह ऐलान कर रहे हैं कि सोनिया जी और राहुल जी ने कहा है कि जिस दिन हमारी सरकार बनेगी उस दिन इन काले कानूनों को फाड़कर फेंक देंगे.’
केंद्र सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है: खट्टर
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को आंदोलनकारी किसानों को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार उनसे बातचीत के लिए हमेशा तैयार है और बातचीत के जरिये ही कोई समाधान निकल सकता है.
केंद्र सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है।
मेरी सभी किसान भाइयों से अपील है कि अपने सभी जायज मुद्दों के लिए केंद्र से सीधे बातचीत करें। आन्दोलन इसका जरिया नहीं है- इसका हल बातचीत से ही निकलेगा
— Manohar Lal (@mlkhattar) November 27, 2020
खट्टर ने एक ट्वीट में कहा, ‘केंद्र सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है. मेरी सभी किसान भाइयों से अपील है कि अपने सभी जायज मुद्दों के लिए केंद्र से सीधे बातचीत करें.’
दिल्ली के कई इलाकों में यातायात प्रभावित
किसानों के प्रदर्शन के कारण शहर के कई इलाकों में यातायात भी प्रभावित हुआ है. राष्ट्रीय राजधानी सीमाओं से लगे कई स्थानों पर यातायात का मार्ग बदल दिया गया है. दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर वाहनों की तलाशी भी बढ़ा दी गई है, जिससे वहां जाम लग गया है.
दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर सीआईएसएफ जवानों को भी तैनात किया गया है.
दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट कर लोगों से रिंग रोड, मुकरबा चौक, जीटीके रोड, एनएच-44 और सिंघु बॉर्डर की बजाय दूसरे रास्तों से गुजरने की अपील की.
उसने कहा, ‘अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की रैली/मार्च/प्रदर्शन के मद्देनजर यातायात पुलिस मुकरबा चौक और जीटीके मार्ग से यातायात को परिवर्तित कर रही है.’
दिल्ली यातायात पुलिस ने यह भी बताया कि टिकरी बॉर्डर पर भी स्थानीय पुलिस ने यातायात को पूरी तरह रोक दिया है.
Traffic Alert
Tikri Border is completely closed for traffic movements by local police. Traffic intending to go towards Haryana is also closed. All motorists are advised to avoid this route in view of the protest by Kishan Sangharsh committee.
— Delhi Traffic Police (@dtptraffic) November 27, 2020
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने बुधवार को किसान संगठनों को बृहस्पतिवार एवं शुक्रवार को दिल्ली में प्रदर्शन करने की अनुमति देने से मना कर दिया था.
किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए एनएच 24, डीएनडी, चिल्ला बोर्डर, टिगरी बार्डर, बहादुरगढ़ बार्डर, फरीदाबाद बार्डर, कालिंदी कुंज और सिंघु बोर्डर पर भारी पुलिस फोर्स तैनात है.
दिल्ली-गुड़गांव बॉर्डर पर अर्धसैनिक बल भी तैनात किए हैं तथा सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों को लेकर ट्रकों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए बालू लदे पांच ट्रक और पानी के टैंक भी तैनात किए गए हैं.
दिल्ली मेट्रो ग्रीन लाइन के छह स्टेशनों पर प्रवेश-निकास द्वार बंद किए गए
दिल्ली मेट्रो ने ग्रीन लाइन पर छह मेट्रो स्टेशनों पर निकास और प्रवेश द्वार बंद करने की घोषणा की.
डीएमआरसी ने ट्वीट किया, ‘ग्रीन लाइन पर ब्रिगेडियर होशियार सिंह, बहादुरगढ़ सिटी, पंडित श्री राम शर्मा, टिकरी बॉर्डर, टिकरी कलां और घेवरा स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार अब बंद कर दिए गए हैं.’
Security Update
Entry & exit gates of Brigadier Hoshiar Singh, Bahadurgarh City, Pandit Shree Ram Sharma, Tikri Border, Tikri Kalan and Ghevra stations on Green Line are now closed.
— Delhi Metro Rail Corporation I कृपया मास्क पहनें😷 (@OfficialDMRC) November 27, 2020
डीएमआरसी ने कहा था, ‘दिल्ली पुलिस के परामर्श के अनुसार, मेट्रो सेवाएं केवल दिल्ली से एनसीआर खंडों की ओर उपलब्ध होंगी. हालांकि अगली सूचना तक सुरक्षा कारणों से एनसीआर स्टेशनों से दिल्ली की ओर से सेवाएं उपलब्ध नहीं होंगी लेकिन दिल्ली से एनसीआर खंडों की ओर उपलब्ध होंगी.’
नोएडा की दिल्ली से लगी सीमाओं पर पुलिस बल तैनात
कृषि कानून के विरोध में हरियाणा व पंजाब के किसानों के शुक्रवार को दिल्ली में प्रस्तावित आंदोलन के मद्देनजर गौतम बुद्ध नगर की दिल्ली से सटी सभी सीमाओं पर एहतियात के तौर पर पुलिस की तैनात की गई है. नोएडा से दिल्ली जाने वाले सभी प्रवेश द्वारों पर शुक्रवार को यातायात सामान्य रूप से चल रहा है.
पुलिस उपायुक्त जोन प्रथम राजेश एस. ने बताया, ‘शुक्रवार को भी सभी सीमाओं पर पुलिस तैनात की गई है, लेकिन वाहनों को रोका नहीं जा रहा है. वाहन को किसी तरह का संदेह होने पर ही रोका जा रहा है.’
मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.
दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.
उत्तर प्रदेश: पश्विमी उत्तर प्रदेश में कई जगह चक्का जाम, लखनऊ में प्रदर्शन
लखनऊ/बागपत/मेरठ: कृषि कानून वापस लेने की मांग के साथ शुरू हुए किसान आंदोलन में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर चक्का जाम और विरोध प्रदर्शन हुए.
लखनऊ में भारतीय किसान यूनियन ने अहिमामऊ-सुल्तानपुर रोड पर चक्का जाम की तैयारी की थी, लेकिन प्रशासनिक मुस्तैदी से यह संभव नहीं हो सका.
लखनऊ में शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरनाम सिंह वर्मा के नेतृत्व में किसानों ने चिनहट थाना क्षेत्र के नौबस्ता कला में प्रदर्शन किया.
हरनाम सिंह वर्मा ने बताया कि कृषि कानूनों को वापस लेने और किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में उनके नेतृत्व में किसानों का दल सदर तहसील में प्रदर्शन करने जा रहा है. वर्मा ने कहा, ‘हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे और अगर पुलिस हमें गिरफ्तार करेगी तो गिरफ्तारी देंगे.’
अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने लखनऊ में प्रदर्शन को बेअसर बताया है. उन्होंने कहा कि किसानों की चेतावनी को देखते हुए पूरे प्रदेश में कानून-व्यवस्था के दृष्टिगत व्यापक तैयारी की गई है.
किसान आंदोलन की आंच शुक्रवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिली कई जिलों में प्रदर्शनकारी किसानों ने राजमार्ग पर जाम लगाकर अपना विरोध जताया.
पंजाब और हरियाणा के किसानों पर किए गए लाठी चार्ज पर आक्रोश जताते हुए भारतीय किसान यूनियन ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्रदर्शन का ऐलान किया है.
इसके तहत मेरठ, बागपत, हापुड़, सहारनपुर समेत कई जगहों पर किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया.
बागपत से मिली खबर के मुताबिक भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने कृषि कानूनों को वापस लेने और किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में शुक्रवार को बागपत जिले में निवाड़ा पुल पर शुक्रवार को सोनीपत हाइवे को जाम किया.
भाकियू ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जाम का ऐलान किया था. वहीं भाकियू के जाम को देखते हुए पुलिस ने मार्ग बदले हैं.
पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि बागपत जिले में निवाड़ा पुल हरियाणा और उत्तर प्रदेश का बार्डर है. यहां किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए मजिस्ट्रेट मौजूद हैं व भारी संख्या में पुलिस बल लगाया गया है. इसके साथ ही स्थानीय किसान नेताओं से पुलिस सम्पर्क बनाए हुए है.
भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के कार्यकर्ता शुक्रवार सुबह 11 बजे मेरठ में दिल्ली दून बाइपास पर जटौली कट के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए.
ट्रैक्टर-ट्रालियां सड़क पर खड़ी करके धरने पर बैठे भाकियू कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी भी की.
प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर दिल्ली और हरिद्वार, देहरादून से आवाजाही को बंद कर दिया गया, जिससे राजमार्ग पर वाहनों की कतार लग गई है.
भाकियू जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी ईकडी ने कहा, ‘सरकार के तानाशाही वाले रवैये से किसान डरने वाले नहीं है. कृषि कानून बनाकर किसानों के साथ धोखा हुआ है. विरोध करने पर सरकार ने किसानों की आवाज को कुचलने की कोशिश की, जिसका जवाब आंदोलन से दिया जाएगा.’
हापुड़ में भी किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-9 पर नारेबाजी करते हुए जाम लगा दिया, जिससे वाहनों की लंबी कतारें लग गईं. सूत्रों के अनुसार हापुड़ के राष्ट्रीय राजमार्ग-9 पर ततारपुर मोड़ पर भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं व किसानों ने कृषि कानूनों को लेकर जाम लगाया.
सहारनपुर में भी सहारनपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम किया गया. इससे दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गई.
जिले के थाना बिहारीगढ़ के अन्तर्गत ग्राम ग्राम शेरपुर के निकट दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग पर काफी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से पहुंचे किसानों ने रास्ते में ही अपनी गाड़ियां लगा दीं.
किसान अपने हुक्के और दरियां लेकर मौके पर बैठ गए. मामले की जानकारी होने पर जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंचे और किसानों को समझाने का प्रयास किया लेकिन प्रदर्शनकारी पंजाब और हरियाणा के किसानों के समर्थन में धरने पर डटे रहे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)