उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले का मामला. उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए क़ानून में विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा का प्रावधान किया गया है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक युवती के पिता की शिकायत पर बरेली जिले में नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत अपना पहला मामला दर्ज किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि मामला शनिवार को बरेली जिले के देवरनियान पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था.
रविवार को एक बयान जारी कर अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने कहा कि बरेली में देवरनियान पुलिस स्टेशन के तहत शरीफ नगर गांव के निवासी टीकाराम ने केस दर्ज कराया है, जिन्होंने उसी गांव के एक शख्स उवैश अहमद पर बहला-फुसलाकर अपनी बेटी का धर्म परिवर्तन करवाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.
आईपीसी और नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत उवैश अहमद के खिलाफ एक केस दर्ज किया गया है.
बता दें कि शनिवार को ही उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ को मंजूरी दी थी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बीते 24 नवंबर को कैबिनेट की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी.
इसमें विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया था कि अध्यादेश का उल्लंघन करने पर एक साल से पांच साल तक की कैद और 15,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जबकि नाबालिगों और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की महिला के मामले में तीन से 10 वर्ष तक की कैद और 25,000 रुपये जुर्माने की होगी.
इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में तीन से दस साल तक की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का क़ानून लाया गया है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश और हरियाणा की भाजपा सरकारों ने भी लव जिहाद को लेकर कानून लाने की बात कही है.
मालूम हो कि यह अध्यादेश ऐसे समय आया है, जब उत्तर प्रदेश की कानपुर पुलिस ने लव जिहाद मामले में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें इसे लेकर किसी तरह की साज़िश या विदेशी फंडिंग के सबूत नहीं मिले हैं.
दरअसल उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में कुछ दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि मुस्लिम युवा धर्म परिवर्तन के लिए हिंदू लड़कियों से शादी से कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें विदेश से फंड मिल रहा है और लड़कियों से उन्होंने अपनी पहचान छिपा रखी है. इसकी जांच के लिए कानपुर रेंज के आईजी ने एसआईटी का गठन किया था.