केंद्र सरकार के विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते 26 नवंबर से दिल्ली चलो मार्च के तहत किसानों का प्रदर्शन जारी है. इन क़ानूनों के विरोध में पंजाब और हरियाणा में दो दिनों के संघर्ष के बाद किसानों को दिल्ली की सीमा में प्रवेश की मंज़ूरी मिल गई थी.
नई दिल्ली: किसान संगठनों ने दिल्ली के बुराड़ी मैदान जाने की केंद्रीय गृह मंत्रालय की मांग ठुकरा दी है. किसानों ने कहा कि ये जगह एक खुली जेल की तरह है और वे बॉर्डर से ही दिल्ली घेराव करेंगे.
किसानों ने कहा कि सरकार को उनसे बिना किसी शर्त बात करनी चाहिए. ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलनों के चौथे दिन 30 किसान संगठनों के साथ हुई बैठक में ये निर्णय लिया गया है.
भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी (पंजाब) के अध्यक्ष सुरजीत एस. फूल ने कहा, ‘हमने निर्णय लिया है कि हम बुराड़ी पार्क नहीं जाएंगे, क्योंकि यह एक खुली जेल है. दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड किसान संगठन के अध्यक्ष को बताया कि वे उन्हें जंतर मंतर ले जाएंगे, लेकिन इसकी जगह उन्होंने उन्हें बुराड़ी पार्क में बंद कर रखा है.’
गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय गृह सचिव द्वारा तीन दिसंबर से पहले किसानों से बातचीत करने के लिए लगाई गईं शर्तों पर उन्होंने कहा, ‘बातचीत के लिए रखी गईं शर्तें किसानों का अपमान है.’
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किसान नेता ने कहा कि बुराड़ी जैसे ओपन जेल में जाने की जगह हमने दिल्ली का घेराव करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, ‘हम दिल्ली की पांचों मेन एंट्री गेट को ब्लॉक कर दिल्ली को घेरेंगे. हमारे पास चार महीने का राशन है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है.’
इसके साथ ही किसान संगठनों ने ये फैसला किया है कि अपने मंच से किसी भी पार्टी के नेता को नहीं बोलने देंगे.
सुरजीत एस. फूल ने कहा, ‘हमने फैसला लिया है कि हम किसी भी पार्टी के नेता को अपने मंच से नहीं बोलने देंगे, चाहे वो कांग्रेस, भाजपा, आप या किसी भी पार्टी के क्यों न हों. हम ऐसे संगठनों को इजाजत देंगे जो हमारा समर्थन कर रहे हैं.’
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किसान संगठनों ने मीडिया के साथ हुए दुर्व्यवहार को भी लेकर माफी मांगी है. उन्होंने कहा, ‘हम कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा अनजाने में मीडिया के साथ किए दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगना चाहते हैं. भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए, हमने तय किया है कि हर बैठक के बाद मीडिया के लिए हमारे द्वारा आधिकारिक प्रेस नोट जारी किया जाएगा.’
इससे पहले गृह सचिव अजय भल्ला ने किसानों से बातचीत करने को लेकर 32 किसान संगठनों को पत्र लिखा था और शर्तें लगाकर उनसे बातचीत करने के लिए बुराड़ी मैदान आने के लिए कहा था.
बीते शनिवार को भल्ला ने अपने पत्र में कहा, ‘भारत सरकार के द्वारा सभी किसानों के लिए बुराड़ी, दिल्ली के पास एक बड़ा ग्राउंड तैयार किया गया है ताकि एक व्यवस्थित तरीके से उनकी सुविधाओं को ध्यान में रखा जा सके. दिल्ली की सीमा पर एकत्रित सभी किसानों को आप बुराड़ी ग्राउंड पर लेकर आएं. इस ग्राउंड पर लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन हेतु आपको पुलिस की अनुमति भी प्रदान की जाएगी.’
Union Home Secretary Ajay Bhalla invites 32 farmers’ Unions of Punjab for early talks, provided the protesting farmers move to the designated protest site in Burari.#FarmersProtests #FarmersDilliChalo pic.twitter.com/SgRuTg80MT
— The Times Of India (@timesofindia) November 29, 2020
उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ किसान यूनियन और किसानों की मांग है कि 3 दिसंबर 2020 की जगह वार्ता जल्दी की जाएं. जैसे ही आप बुराड़ी ग्राउंड शिफ्ट होते हैं उसके दूसरे दिन भारत सरकार आपके सभी यूनियन के प्रतिनिधिमंडल, जिनसे पहले चर्चा हुई, उनके साथ विज्ञान भवन में भारत सरकार के मंत्रियों की उच्चस्तरीय कमेटी में चर्चा के लिए तैयार है.’
बता दें कि केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है. इन कानूनों के विरोध में पंजाब और हरियाणा में दो दिनों के संघर्ष के बाद किसानों को दिल्ली की सीमा में प्रवेश की मंजूरी मिल गई थी.
केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.
दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.