कोरोना वायरस के संभावित टीके कोविडशील्ड के परीक्षण में चेन्नई में भाग लेने वाले एक व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि ट्रायल के कारण उन्हें गंभीर न्यूरोलॉजिकल और मनोवैज्ञानिक लक्षण संबंधी समस्या समेत गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ा है. उन्होंने पांच करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की भी मांग की है.
नई दिल्ली: सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कोविड-19 के संभावित टीके के परीक्षण में शामिल एक व्यक्ति के आरोपों को रविवार को खारिज कर दिया. कंपनी ने गलत आरोप लगाने को लेकर भारी-भरकम जुर्माना वसूलने की भी धमकी दी है.
कोविडशील्ड टीके के परीक्षण में चेन्नई में भाग लेने वाले एक 40 वर्षीय व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि ट्रायल के कारण उन्हें गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या और मनोवैज्ञानिक लक्षण संबंधी समस्या समेत गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ा है.
व्यक्ति ने सीरम इंस्टिट्यूट तथा अन्य से पांच करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति की मांग की है. उन्होंने परीक्षण पर रोक लगाने की भी मांग की है.
Serum Institute of India is sympathetic with volunteer’s medical condition, there's absolutely no correlation with vaccine trial & his medical condition. He's falsely laying blame for his medical problems on trial:SII's statement after a volunteer alleged he suffered side effects pic.twitter.com/3t2BAGk1aR
— ANI (@ANI) November 29, 2020
इसे लेकर सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने एक बयान में कहा, ‘नोटिस में लगाए गए आरोप दुर्भावनापूर्ण और गलत हैं. सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया उक्त व्यक्ति की चिकित्सा स्थिति के प्रति सहानुभूति रखता है, लेकिन टीके के परीक्षण का उनकी स्थिति के साथ कोई संबंध नहीं है.’
कंपनी ने कहा कि वह व्यक्ति अपने स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के लिए गलत तरीके से टीके को जिम्मेदार बता रहा है. कंपनी ने कहा कि वह ऐसे आरोपों से अपना बचाव करेगी और गलत आरोप के लिए 100 करोड़ रुपये तक की मानहानि का दावा कर सकती है.
It is evident that the intention behind spreading of such malicious information is an oblique pecuniary motive. We will seek damages in excess of Rs 100 crores for the same and will defend such malicious claims: SII's statement after a volunteer alleged he suffered side effects
— ANI (@ANI) November 29, 2020
चेन्नई में कोविड-19 के टीके के परीक्षण में शामिल प्रतिभागी को प्रतिकूल प्रभाव होने के दावों के बाद भारत के औषध महानियंत्रक (डीसीजीआई) और संस्थान की आचार समिति इस बात की पड़ताल कर रही है कि क्या इसका संबंध संबंधित व्यक्ति को दी गई टीके की खुराक से है.
व्यक्ति को एक अक्टूबर को चेन्नई के श्री रामचंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च में यह खुराक दी गई थी, जो परीक्षण स्थलों में शामिल है.
व्यक्ति की ओर से एक लॉ फर्म ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक, भारत के औषध महानियंत्रक, केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन, एस्ट्राजेनेका यूके के सीईओ, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के टीके के परीक्षण के मुख्य अनुसंधानकर्ता प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड तथा श्री रामचंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च के कुलपति को कानूनी नोटिस भेजा है.
प्रतिभागी ने पांच करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति और साथ ही टीके के परीक्षण, उत्पादन और वितरण पर तत्काल रोक लगाने की मांग भी की है.
आईसीएमआर के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ. समिरन पांडा ने कहा कि संस्थान की आचार समिति और डीसीजीआई दोनों इस बात की जांच कर रहे हैं कि जिस उत्पाद पर अध्ययन चल रहा था, यानी कोरोना वायरस की रोकथाम वाले संभावित टीके और प्रतिकूल प्रभावों के बीच क्या कोई कड़ी है.
Chennai based volunteer for ‘ #covishield ’, the candidate vaccine being tested by Serum Institute of India, has sued the company for ₹5 crore, alleging that the vaccine triggered an adverse reaction, which led to neurological impairment among other issues@SerumInstIndia pic.twitter.com/7gfrhJdHxQ
— Bar & Bench (@barandbench) November 29, 2020
पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोविड-19 के टीके के विकास के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी की है.
इससे पहले फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अध्ययन में शामिल एक प्रतिभागी में ‘अज्ञात बीमारी’ का पता चलने के बाद अन्य देशों में क्लिनिकल परीक्षण पर रोक लगा दी थी और इसी के मद्देनजर डीसीजीआई ने 11 सितंबर को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को भी ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 रोधी टीके के दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण में किसी नए प्रतिभागी को अगले आदेश तक शामिल नहीं करने को कहा था.
हालांकि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को परीक्षण पुन: शुरू करने के लिए 15 सितंबर को मंजूरी दे दी गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)