दल-बदल कर भाजपा में शामिल हुए एमएलसी को मंत्री नहीं बनाया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

भाजपा के विधान परिषद सदस्य एएच विश्वनाथ उन 17 विधायकों में शामिल हैं, जिन्हें कर्नाटक विधानसभा से अयोग्य घोषित किया गया था और इसी कारण एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली तत्कालीन जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिर गई थी.

एएच विश्वनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक)

भाजपा के विधान परिषद सदस्य एएच विश्वनाथ उन 17 विधायकों में शामिल हैं, जिन्हें कर्नाटक विधानसभा से अयोग्य घोषित किया गया था और इसी कारण एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली तत्कालीन जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिर गई थी.

एएच विश्वनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक)
एएच विश्वनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: भाजपा के विधान परिषद सदस्य एएच विश्वनाथ को बड़ा झटका देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि दल-बदल कानून के तहत सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए गए एमएलसी को मंत्री नहीं बनाया जा सकता है.

मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और जस्टिस विश्वजीत शेट्टी की खंडपीठ ने वकील एएस हरीशा की याचिका पर बीते सोमवार को सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया.

वकील ने अपनी अर्जी में कहा था कि विश्वनाथ को संविधान के अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत मई-2021 में विधान परिषद का कार्यकाल समाप्त होने तक अयोग्य घोषित किया गया है.

वहीं अन्य दो विधान पार्षदों आर. शंकर और एमटीबी नागराज को अदालत से राहत मिल गई है. अदालत ने कहा कि दोनों के विधान परिषद में निर्वाचित होने के कारण उनकी अयोग्यता अब लागू नहीं होगी, जबकि विश्वनाथ को नामांकित किया गया था.

याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि विश्वनाथ, नागराज और शंकर- तीनों एमएलसी- को मंत्री नहीं बनाया जा सकता, जब तक कि वे विधानसभा में दोबारा निर्वाचित होकर नहीं आते हैं, क्योंकि इन तीनों को स्पीकर ने एमएलए (विधायक) के पद से अयोग्य ठहराया था और इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखा गया था.

दिसंबर 2019 में भाजपा के टिकट उपचुनाव लड़े विश्वनाथ हार गए थे, जिसके बाद उन्हें एमएलसी बनाया गया ताकि उन्हें मंत्री बनाकर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा अपना वादा पूरा कर सकें. येदियुरप्पा ने कहा था कि भाजपा सरकार बनाने में मदद करने वाले विधायकों को मंत्री पद दिया जाएगा.

अर्जी पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ‘पहली नजर में यह तय नहीं होता है कि आर. शंकर और एन. नागराज अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत अयोग्य घोषित किए गए हैं. हम मानते हैं कि एएच विश्वनाथ अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत अयोग्य घोषित किए गए हैं.’

पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री को विश्वनाथ को अयोग्य ठहराए जाने के तथ्य को ध्यान में रखना होगा. अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा सिफारिश किए जाने की स्थिति में राज्यपाल को विश्वनाथ को अयोग्य घोषित किए जाने के तथ्य पर विचार करना होगा.

आवेदक वकील ने आरोप लगाया है कि विश्वनाथ, शंकर और नागराज को पिछले दरवाजे से विधान परिषद में प्रवेश दिया गया है ताकि उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सके जबकि विश्वनाथ और नागराज अयोग्य घोषित किए जाने के बाद से अपनी-अपनी सीटों से उपचुनाव में हार गए थे.

आवेदक ने दावा किया है कि शंकर ने तो उपचुनाव में हिस्सा भी नहीं लिया. हालांकि कोर्ट का कहना है कि चूंकि शंकर और नागराज विधान परिषद में निर्वाचित होकर इसके सदस्य (एमएलसी) बन गए हैं, इसलिए इन पर अयोग्यता लागू नहीं होगी और वे मंत्री बनाए जा सकते हैं.

गौरतलब है कि एमएलसी विश्वनाथ, शंकर और नागराज उन 17 विधायकों में शामिल हैं, जिन्हें कर्नाटक विधानसभा से अयोग्य घोषित किया गया था और इसी कारण एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली तत्कालीन जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिर गई थी.

शंकर और नागराज कांग्रेस के जबकि विश्वनाथ जेडीएस की टिकट पर चुनाव जीते थे. अयोग ठहराए जाने के बाद तीनों भाजपा में शामिल हो गए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)