इस संबंध में आम आदमी पार्टी की ओर से स्पष्टीकरण देते हुए कहा गया है कि किसानों की मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है और पार्टी उसका समर्थन करती है. किसान केंद्र के विवादित कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों में से एक की अधिसूचना जारी कर दी है, जबकि बाकी दो अन्य पर विचार किया जा रहा है. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. इस कदम को लेकर विपक्ष ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) पर निशाना साधा है.
आप ने एक बयान में कहा, ‘ये कानून पहले ही लोकसभा, राज्यसभा में पारित हो चुके हैं और राष्ट्रपति भी हस्ताक्षर कर चुके हैं. अब ये कानून पूरे देश में हैं. किसी भी राज्य के पास स्वतंत्र रूप से इन्हें लागू करने अथवा खारिज करने की शक्ति नहीं है. मोदी सरकार ने इन्हें पारित किया है और केवल वे ही इन्हें वापस ले सकती है.’
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020 को 23 नवंबर को अधिसूचित किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘बाकी दो कानूनों पर दिल्ली सरकार के विकास विभाग द्वारा विचार किया जा रहा है.’
सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने कहा कि अधिसूचना के तहत किसान अपनी फसल मंडी के बाहर कहीं भी बेच सकते हैं. दिल्ली में कई साल पहले से ही फलों और सब्जियों की बिक्री विनियमन मुक्त थी और अब अनाज के लिए भी यह लागू हो गया है.
हालांकि, पार्टी ने नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की किसानों की मांग का खुले तौर पर समर्थन किया है.
अधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2014 में फलों और सब्जियों को विनियमन मुक्त किया गया था, जिसके चलते कृषि उपज विपणन समिति के प्रबंधन वाली मंडियों के बाहर भी उत्पाद बेचे जा सकते थे.
उन्होंने कहा कि अधिसूचित कानून के बाद अब इस सूची में अनाज और पोल्ट्री भी शामिल हो गए हैं.
नए कानून को अधिसूचित करने के साथ ही किसानों के आंदोलन का समर्थन करने को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ निशाना साधा.
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने आरोप लगाया, ‘अधिसूचना ने आप और केजरीवाल सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर किया है. वे नए कृषि कानूनों का फायदा किसानों को देना चाहते हैं, जबकि किसानों को भ्रमित कर रहे हैं.’
एक ट्वीट कर मनोज तिवारी ने कहा, ‘अरे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी आपने कृषि विधेयक 2020 दिल्ली में 23 नवंबर को ही लागू कर दिया तो दिया तो ये बता तो दो सबको, झूठे ही आपके आपके एमएलए भाग-दौड़ कर रहें है.’
अरे मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal जी आपने #FarmersBill2020 दिल्ली में 23 November को लागू कर दिया तो ये बता तो दो सबको..झूठे ही आपके MLA भाग दौड़ कर रहें है. #ISupportFarmerBill pic.twitter.com/xjiv6CZEP4
— Manoj Tiwari 🇮🇳 (@ManojTiwariMP) November 30, 2020
इस पर पलटवार करते हुए आम आदमी पार्टी ने एक बयान में कहा है, ‘भाजपा को समझ नहीं आ रहा कि किसानों द्वारा जारी देशव्यापी आंदोलन से कैसे निपटें इसलिए हताशा में जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है.’
उन्होंने कहा कि किसानों की मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है और आप उसका समर्थन करती है.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी आप पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘संकट के समय’ में पार्टी ने अधिसूचना जारी की है, जबकि वह किसानों के साथ खड़े होने का दिखावा कर रहे हैं.
एक बयान में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करने का दावा कर रही थी. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार ने 23 नवंबर को एक अधिसूचना के माध्यम से बेशर्मी के साथ काले कानून को लागू कर दिया.’
उन्होंने कहा, ‘पहले तो वे पंजाब की तरह केंद्रीय कानूनों के खिलाफ कोई भी संशोधन कानून दिल्ली विधानसभा में पारित करने में असफल रहे. अब दिल्ली में जहां आम आदमी पार्टी सत्ता में है, वहां कृषि विधेयकों के संबंध में अधिसूचना जारी कर वे और आगे निकल चुके हैं. इससे पार्टी के इरादे और संबंध पूरी तरह से उजागर हो गए हैं.’
सिंह के बयान के बाद आप ने पलटवार करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री पर भाजपा से हाथ मिलाने का आरोप लगाते हुए उन्हें ‘भाजपा का मुख्यमंत्री’ करार दिया.
पंजाब के CM @capt_amarinder भाजपा के CM बन गये हैं किसानो विरोधी तीनो काला क़ानून बनवाने में कै. ने एक साल से भाजपा का साथ दिया, @ArvindKejriwal ने देश के करोड़ों किसानो का साथ दिया मदद के लिए सामने आये तो मोदी जी ने बौखलाकर अपने भक्त कै. को निर्देश दिया केजरीवाल को बदनाम करो
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) December 1, 2020
आप नेता संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा है, ‘पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के मुख्यमंत्री बन गए हैं. किसान विरोधी तीनों काला क़ानून बनवाने में कैप्टन ने एक साल से भाजपा का साथ दिया. अरविंद केजरीवाल ने देश के करोड़ों किसानों का साथ दिया और मदद के लिए सामने आए.’
आप नेता राघव चड्ढा ने ट्वीट कर कहा, ‘भाजपा और कांग्रेस दोनों मिल कर देश के किसानों पर तीनों काले कानून थोपना चाहते है. यही कारण है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कानून बनाने वाली समिति का हिस्सा होकर भी उसका विरोध नहीं किया.’
भाजपा और कांग्रेस दोनों मिल कर देश के किसानों पर तीनों काले कानून थोपना चाहते है। यही कारण है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कानून बनाने वाली समिति का हिस्सा होकर भी उसका विरोध नहीं किया।- AAP नेता श्री @raghav_chadha pic.twitter.com/QwzzNwAXaE
— AAP (@AamAadmiParty) December 1, 2020
उधर, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने केजरीवाल सरकार से किसान विरोधी कानून की अधिसूचना को वापस लेने की अपील की.
बता दें कि नए कृषि कानून के खिलाफ पिछले छह दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए दिल्ली आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. किसान सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं. बीते मंगलवार को सरकार के प्रतिनिधियों से उनकी बातचीत बेनतीजा रही थी.
केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.
दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)