किसानों के समर्थन में ट्रांसपोर्टरों ने उत्तर भारत में परिचालन बंद करने की चेतावनी दी

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के कोर कमेटी के चेयरमैन ने कहा कि आठ दिसंबर से वे दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान सहित पूरे उत्तर भारत में आपूर्ति रोक देंगे. टैक्सी यूनियन ने भी हड़ताल की चेतावनी दी है. नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान बीते आठ दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के कोर कमेटी के चेयरमैन ने कहा कि आठ दिसंबर से वे दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान सहित पूरे उत्तर भारत में आपूर्ति रोक देंगे. टैक्सी यूनियन ने भी हड़ताल की चेतावनी दी है. नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान बीते आठ दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: ट्रांसपोर्टरों के शीर्ष संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने आंदोलनकारी किसानों का समर्थन करते हुए उत्तर भारत में आठ दिसंबर से परिचालन बंद करने की बुधवार को चेतावनी दी.

संगठन ने कहा कि यदि सरकार किसान समुदाय की चिंताओं को दूर करने में विफल रहती है, तो उत्तर भारत में ट्रांसपोर्टर परिचालन बंद कर देंगे.

एआईएमटीसी लगभग 95 लाख ट्रक ड्राइवरों और अन्य संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है.

एआईएमटीसी के अध्यक्ष कुलतारन सिंह अटवाल ने कहा, ‘एआईएमटीसी ने पहले ही दिन से किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है. हमने उत्तर भारत से शुरू होने वाले रणनीतिक अभियानों को रोकने का फैसला किया है. यदि सरकार किसानों के मुद्दे पर ध्यान नहीं देती है तो हम उनके समर्थन में देशव्यापी संचालन बंद करने का फैसला कर सकते हैं.’

एआईएमटीसी कोर कमेटी के चेयरमैन बाल मलकीत सिंह ने कहा, ‘आठ दिसंबर से हम दिल्ली, जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान सहित पूरे उत्तर भारत में आपूर्ति को रोक देंगे. यदि सरकार विफल रहती है तो हम इसे पूरे देश में बढ़ाएंगे.’

एआईएमटीसी ने एक बयान में कहा, किसान अपने वैध अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और 70 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवार कृषि पर निर्भर हैं.

एनडीटीवी के मुताबिक, एआईएमटीसी ने एक बयान में कहा है कि किसान आंदोलन से पूरा उत्तर भारत प्रभावित है. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर से आने वाले खाद्य, सब्जियां और अन्य खराब होने वाली वस्तुओं के हजारों ट्रक भी इससे प्रभावित हुए हैं.

बयान में कहा है कि अभी सेब का मौसम है, जो खराब हो रहे हैं. इसके अलावा आलू, प्याज और अन्य फलों और सब्जियों के साथ-साथ अन्य आवश्यक वस्तुएं जैसे दवाइयां, दूध आदि की सप्लाई भी आंदोलन से बाधित हुई है. इससे दिल्ली और अन्य उत्तर भारत के राज्यों में इनकी कमी हो गई है.

अगर सरकार किसानों की चिंताओं को हल करने के लिए विवेकपूर्ण और व्यावहारिक कदम नहीं उठाती है तो आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘सरकार को किसानों के साथ सम्मान के साथ पेश आना चाहिए और कृषि अधिनियमों पर उनकी आशंकाओं को दूर करना चाहिए. हम पूरी ईमानदारी से किसानों का समर्थन करते हैं.’

गौरतलब है कि इससे पहले ऑल इंडिया टैक्सी यूनियन ने चेतावनी दी थी कि अगर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो वे हड़ताल पर जाएंगे.

बता दें कि नए कृषि कानून के खिलाफ पिछले आठ दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए दिल्ली आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.

मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.

दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं. 

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)