सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने संबंधी दिशानिर्देशों का लगभग सभी राज्यों में पालन नहीं किया जा रहा. राजनीतिक, धार्मिक सहित समारोहों में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं. नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए उचित तंत्र नहीं है.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने वाले लोगों के संदर्भ में कहा कि प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि लोग इन नियमों का पालन करें.
अदालत ने कोरोना के दौरान राजनीतिक और सामाजिक समारोहों में बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने को लेकर कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को सुझाव देने चाहिए, ताकि इन दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए उचित निर्देश जारी किए जा सके.
जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता में पीठ ने कहा, ‘आप सुझाव दीजिए कि मास्क लगाने और इकट्ठा होने को लेकर इन दिशानिर्देशों के क्रियान्वय के लिए क्या किया जाना चाहिए. लोग इन नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. क्या किया जाना चाहिए, आप हमें बताएं.’
जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कोविड-19 मरीजों के उचित इलाज और अस्पतालों में शवों के सम्मानजनक प्रबंधन के मुद्दे पर संज्ञान लेने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए यह बयान दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संदर्भ में दिशानिर्देश हैं, लेकिन समस्या इसका सख्ती से पालन सुनिश्चित नहीं करना है.
पीठ ने कहा, ‘इन दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन नहीं किया गया है.’
केंद्र सरकार और गुजरात सरकार की ओर से मामले में पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे को लेकर कहा कि कुछ कमियां हैं, जिन्हें राज्यों द्वारा दूर किए जाने की जरूरत है.
पीठ ने कहा, ‘यह उल्लेखित है कि मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने संबंधी दिशानिर्देशों का लगभग सभी राज्यों में पालन नहीं किया जा रहा. मास्क नहीं पहनने पर जुर्माने सहित सख्त नियमन हैं, लेकिन अभी तक इसके वांछित नतीजे नहीं मिले हैं. राजनीतिक, धार्मिक सहित समारोहों में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होता. नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए उचित तंत्र नहीं है.’
पीठ ने कहा, ‘विभिन्न राज्यों की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल और अन्य वकील ने इस संदर्भ में उचित सुझाव देने के लिए समय देने का आग्रह किया ताकि अदालत दिशानिर्देश लागू करने के लिए उचित निर्देश जारी करे और इसका पालन सुनिश्चित करे. यह सुझाव सात दिसंबर तक दिए जा सकते हैं.’
मेहता ने देशभर के अस्पतालों में आग से सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार द्वारा दायर एक अन्य हलफनामे का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उचित दिशानिर्देश दिए जा सकते हैं.
मेहता ने पीठ को बताया, ‘मैं उस तरह की खुशनुमा तस्वीर पेश नहीं करूंगा कि सब कुछ ठीक है… कमियां हैं.’
इस पर पीठ ने कहा, ‘आपको यह पता लगाने की जरूरत है कि ऐसे कितने कोविड अस्पताल हैं, जहां आग से सुरक्षा के लिए उचित दिशानिर्देश नहीं है.’
सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर को गुजरात के राजकोट में कोविड-19 अस्पताल में आग लगने के 27 नवंबर की घटना पर संज्ञान लिया, जिसमें कई मरीजों की मौत हो गई थी.
इस मामले में गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि हिमाचल प्रदेश में कोविड-19 से निपटने के लिए ऑक्सीजन सप्लाई और अस्पताल बिस्तरों की कमी है.
मेहता ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में इस मामले को लाए जाने की जरूरत है और प्रशासनिक स्तर पर तुरंत इसे सुलझाए जाने की जरूरत है.
इसके साथ ही असम के निजी अस्पतालों में भी कोविड-19 के इलाज के लिए लागत को लेकर नियमन जारी करने के मामले को भी अदालत में रखा गया.
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)