गुजरात हाईकोर्ट ने दो दिसंबर को मास्क नहीं पहनने वालों को कोविड-19 केयर सेंटर पर अनिवार्य सामुदायिक सेवा का आदेश देते हुए इस संबंध में राज्य सरकार को एक अधिसूचना जारी करने के लिए निर्देश दिया था.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बगैर मास्क के पकड़े गए लोगों को सामुदायिक सेवा के लिए कोविड-19 मरीज देखभाल केंद्रों में भेजने के गुजरात उच्च न्यायालय के निर्देश पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी.
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने उच्च न्यायालय के बुधवार के आदेश के खिलाफ गुजरात सरकार की इस दलील का संज्ञान लिया कि किसी कानूनी अधिकार के बगैर ही ये निर्देश दिए गए हैं और न्यायिक तरीके से इन पर अमल करना मुश्किल है.
मालूम हो कि गुजरात हाईकोर्ट ने दो दिसंबर के अपने फैसले में मास्क नहीं पहनने वाले को कोविड-19 केयर सेंटर पर अनिवार्य सामुदायिक सेवा का आदेश दिया था. साथ ही हाईकोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार को एक अधिसूचना जारी करने के लिए निर्देश भी दिया था.
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश बहुत ही सख्त है और इसका उल्लंघन करने वालों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है.
शीर्ष अदालत ने इससे सहमति व्यक्त की लेकिन केंद्र और राज्य के कोविड-19 से सुरक्षा के बारे में दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन नहीं होने पर नाराजगी जताई.
न्यायालय ने कहा कि राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने संबंधी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन हो.
शीर्ष अदालत ने राज्य के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को दिशा निर्देशों पर सख्ती से अमल सुनिश्चित करने का आदेश दिया.
न्यायालय ने कहा कि प्राधिकारियों को इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाने सहित दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए.
न्यायालय ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने वाले विशाल अवतनी को नोटिस जारी किया और गुजरात सरकार की अपील सुनवाई के लिए जनवरी के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध कर दी.
मामले की सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि गुजरात में चेहरे पर मास्क लगाने के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के दिशा निर्देशों पर प्राधिकारियों को अनिवार्यता के साथ सख्ती से अमल करना होगा, लेकिन उच्च न्यायालय का निर्देश ज्यादा ही सख्त है.
गुजरात उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में सामुदायिक सेवा के सिद्धांत के आधार पर राज्य सरकार को कई निर्देश दिए थे. आदेश में न्यायालय ने कहा था कि सामुदायिक सेवा का आदेश मास्क लगाने के निर्देश का उल्लंघन करने वाले सभी व्यक्तियों पर समान रूप से बगैर किसी भेदभाव के लागू करना होगा.
केयर सेंटर में उनका काम गैर-चिकित्सा की होनी चाहिए जैसे सफाई, गृह व्यवस्था, खाना पकाने और भोजन परोसने में मदद, रिकॉर्ड तैयार करना, डेटा तैयार करना आदि.
साथ ही ऐसी सामुदायिक सेवा पांच से 15 दिनों तक दिन में कम से कम 4-6 घंटे के लिए होनी चाहिए.
उच्च न्यायालय ने इस तरह की घटनाओं का व्यापक प्रचार करने पर जोर दिया था, ताकि इसका जनता पर अपेक्षित असर पड़ सके.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)