दिल्ली दंगों के संबंध में जेएनयू की छात्र और ‘पिंजरा तोड़’ की सदस्य देवांगना कलीता को मई महीने में पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. उन्हें दो मामलों में- दरियागंज और जाफराबाद में हुई हिंसा के मामले में ज़मानत मिल चुकी है.
नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा और स्त्रीवादी संगठन पिंजरा तोड़ की सदस्य देवांगना कलीता ने शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत में आरोप लगाया कि उतर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में पुलिस ने उनके खिलाफ ‘कपटपूर्ण’ अभियोजन चलाया था.
कलीता की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत में यह आरोप लगाया गया.
पुलिस ने आरोप-पत्र में दावा किया है कि कलीता एवं अन्य ने भीड़ को भड़काने के लिए प्रदर्शन स्थल पर कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए थे.
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कलीता की तरफ से पेश हुए वकील अदित पुजारी ने आरोप-पत्र के साथ सौंपे गए जब्त सामानों की सूची का जिक्र किया और कहा कि पुलिस ने कथित तौर पर जान-बूझकर अधूरे दस्तावेज सौंपे ताकि गलत तरीके से दर्शाया जा सके कि करीब 300 महिलाएं जहांगीरपुरी से जाफराबाद आईं और हिंसा में हिस्सा लिया.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा था, जिसके बाद हिंसा शुरू हो गई थी.
उन्होंने कहा कि अभियोजन का कहना है कि ये महिलाएं कथित तौर पर तेजाब के बोतलों और मिर्च पाउडर के साथ आईं और कलीता तथा अन्य ने उन्हें हिंसा के लिए भड़काया.
पुजारी ने आरोप लगाए, ‘पुलिस ने वॉट्सऐप समूह के स्क्रीनशॉट सौंपे हैं जहां पुलिस 300 महिलाओं की आवाजाही पर नजर बनाए हुए है जो जहांगीरपुरी से आईं और जिन्होंने कथित रूप से दंगों में हिस्सा लिया. पुलिस ने जान-बूझकर दोपहर 12:39 बजे से 12:49 बजे तक के संदेश सामने नहीं रखे, ताकि अधूरी तस्वीर पेश की जा सके. पुलिस ने संदेशों को दबाया जो वास्तव में मौजपुर में शुरू हुई हिंसा के बारे में था.’
उन्होंने कहा, ‘यह शरारतपूर्ण और कपटपूर्ण है. वे इन संदेशों को छिपा रहे हैं.’
मालूम हो कि देवांगना कलीता और ‘पिंजरा तोड़’ की एक अन्य सदस्य नताशा नरवाल को मई महीने में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
छात्रावासों और पीजी आवासीय सुविधाओं को छात्राओं के लिए कम प्रतिबंधित बनाने के उद्देश्य से 2015 में ‘पिंजड़ा तोड़‘ समूह का गठन किया गया था. जेएनयू के सेंटर फॉर वूमेन स्टडीज की एमफिल की छात्रा देवांगना कलीता और ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र की पीएचडी की छात्रा नताशा नरवाल इसकी संस्थापक सदस्य हैं.
पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में और इस साल की शुरुआत में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों और हिंसा के संबंध में कलीता के खिलाफ चार मामले दर्ज किए गए हैं.
कलीता को दो मामलों में- दरियागंज और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद मामले में जमानत मिल चुकी है.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों और इसका विरोध कर रहे लोगों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे, जिसमें कम से कम 53 लोगों की मृत्यु हो गई थी और करीब 200 अन्य जख्मी हुए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)