केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि क़ानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 12 दिन से किसानों का आंदोलन जारी है. सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी. इसके बाद केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए नौ दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है.
नई दिल्ली/हैदराबाद/मुंबई: विपक्षी दलों समेत कई क्षेत्रीय संगठनों ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा आठ दिसंबर को किए गए ‘भारत बंद’ के आह्वान को अपना समर्थन दिया है. इन कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 12 दिन से जारी है.
कांग्रेस, टीआरएस, डीएमके, शिवसेना, सपा, बसपा, एनसीपी, एआईएमआईएम, झारखंड मुक्ति मोर्चा और आप ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के ‘भारत बंद’ के आह्वान के प्रति अपना समर्थन जताया. इन विपक्षी पार्टियों से पहले शनिवार को तृणमूल कांग्रेस, राजद और वाम दलों ने भी बंद का समर्थन किया था. दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी बंद का समर्थन किया है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के प्रमुख एमके स्टालिन तथा गुपकर घोषणा-पत्र गठबंधन (पीएजीडी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला समेत प्रमुख विपक्षी नेताओं ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी कर किसान संगठनों द्वारा बुलाये गए ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और केंद्र पर प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को मानने के लिए दबाव बनाया.
सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी. इसके बाद केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए नौ दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है.
एनसीपी प्रमुख और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने रविवार को केंद्र से कहा कि वह किसानों के प्रदर्शन को गंभीरता से ले, क्योंकि यदि गतिरोध जारी रहता है तो आंदोलन केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर से लोग कृषकों के साथ खड़े हो जाएंगे.
पवार ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि सरकार को समझ आएगा और वह मुद्दे के समाधान के लिए इसका संज्ञान लेगी. यदि यह गतिरोध जारी रहता है तो प्रदर्शन दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर से लोग प्रदर्शनकारी किसानों के साथ खड़े हो जाएंगे.’ उनकी पार्टी ने कहा कि पवार का किसानों के चल रहे प्रदर्शन को लेकर नौ दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का भी कार्यक्रम है.
कांग्रेस ने ‘भारत बंद’ के प्रति पूरा समर्थन जताया और घोषणा की कि इस दिन वह किसानों की मांगों के समर्थन में सभी जिला एवं राज्य मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी.
दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं यहां घोषणा करना चाहता हूं कि कांग्रेस आठ दिसंबर को होने वाले भारत बंद को पूरा समर्थन देती है.’
उन्होंने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ट्रैक्टर रैलियों, हस्ताक्षर अभियानों और किसान रैलियों के जरिये किसानों के पक्ष में पार्टी की आवाज बुलंद कर रहे हैं.
खेड़ा ने कहा, ‘हमारे सभी जिला मुख्यालय एवं प्रदेश मुख्यालयों के कार्यकर्ता इस बंद में हिस्सा लेंगे. वे प्रदर्शन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बंद सफल रहे.’
The Congress Party will support and actively participate in the "Bharat Bandh" called by different Kisan Unions/ Organizations on December 8, 2020. pic.twitter.com/UV1uP8CvLb
— Congress (@INCIndia) December 6, 2020
इस बीच मुक्केबाजी में भारत के पहले ओलंपिक पदक विजेता और कांग्रेस नेता विजेंदर सिंह ने चेतावनी दी कि अगर केंद्र सरकार नए कृषि कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग स्वीकार नहीं करती है तो वह राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार लौटा देंगे. उन्होंने नए कानून को ‘काला कानून’ करार दिया.
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इसमें सक्रियता से शामिल होकर बंद को सफल कराएंगे. एक आधिकारिक बयान के अनुसार राव ने समर्थन को सही ठहराया है और कहा है कि किसान वैध तरीके से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने यह भी दोहराया कि उनकी पार्टी ने संसद में इन कानून से जुड़े विधेयकों का विरोध किया था, क्योंकि इससे किसानों के हितों को नुकसान पहुंचता है.
तमिलनाडु में डीएमके नीत विपक्षी खेमे ने आठ दिसंबर को किसानों द्वारा आहूत ‘भारत बंद’ के प्रति समर्थन जताया और कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग ‘पूरी तरह से जायज’ है. डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने राज्य के किसान संघों, व्यवसायी संगठनों, सरकारी कर्मचारियों के संगठन, मजदूर संघों तथा अन्य से बंद को ‘भरपूर समर्थन’ देने और मंगलवार के बंद को सफल बनाने की अपील की.
स्टालिन, डीएमके के सहयोगी दलों कांग्रेस के तमिलनाडु इकाई के प्रमुख केएस अलागिरी, एमडीएमके के संस्थापक वाइको और वाम नेताओं ने बयान में कहा कि दिल्ली के बाहर किसानों का प्रदर्शन दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है और पूरी दुनिया की इस पर नजर है. इन दलों ने किसानों द्वारा की जा रही कानूनों को वापस लेने की मांग नहीं मानने पर केंद्र की निंदा की.
अभिनेता कमल हासन की मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) ने भी किसानों के प्रदर्शनों को समर्थन दिया है.
सोनिया गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने अपने संयुक्त बयान में कहा है, ‘राजनीतिक दलों के हम दस्तखत करने वाले नेतागण देशभर के विभिन्न किसान संगठनों द्वारा आयोजित भारतीय किसानों के जबर्दस्त संघर्ष के साथ एकजुटता प्रकट करते हैं और इन कृषि कानूनों एवं बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग को लेकर उनके द्वारा आठ दिंसबर को किए गए भारत बंद के आह्वान का समर्थन करते हैं.’
इस बयान पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा, भाकपा (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, ऑल इंडिया फारवार्ड ब्लॉक (एआईएफबी) के महासचिव देवव्रत विश्वास और आरएसपी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य ने भी दस्तखत किए हैं.
Opposition parties extend support to #BharatBandh call by kisan organisations demanding the withdrawal of these retrograde Agri-laws and the Electricity Amendment Bill.https://t.co/SloEYaTqYc
— CPI (M) (@cpimspeak) December 6, 2020
बयान में आरोप लगाया गया है, ‘संसद में ठोस चर्चा और मतदान पर रोक लगाते हुए अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किए गए ये नए कृषि कानून भारत की खाद्य सुरक्षा, भारतीय कृषि एवं हमारे किसानों की बर्बादी का खतरा पैदा करते हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था के खात्मे की बुनियाद डालते हैं, भारतीय कृषि एवं हमारे बाजारों को बहुराष्ट्रीय कृषि कारोबारी औद्योगिक एवं घरेलू कॉरपोरेट घरानों की मर्जी के आगे गिरवी रखते हैं.’
इन नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं एवं नियमों का पालन करना चाहिए तथा ‘किसान-अन्नदाताओं की वैध मांगों को पूरा करना चाहिए.’
आम आदमी पार्टी (आप) ने ‘भारत बंद’ के आह्वान का समर्थन किया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को यह जानकारी दी. केजरीवाल ने कहा कि देशभर में आप कार्यकर्ता राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन करेंगे. उन्होंने सभी नागरिकों से किसानों का समर्थन करने की अपील की.
आप नेता और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सभी कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में बंद में भाग लेंगे. राय ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘यह केवल किसानों की नहीं बल्कि सभी देशवासियों की लड़ाई है. भारत एक कृषि प्रधान देश है और यदि किसान अप्रसन्न हैं तो देश पर भी इसका असर पड़ता है. मैं सभी से प्रदर्शन में शामिल होने की अपील करता हूं.’
8 दिसंबर को किसानों द्वारा किए गए भारत बंद के आह्वान का आम आदमी पार्टी पूरी तरह से समर्थन करती है। देश भर में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीक़े से इसका समर्थन करेंगे। सभी देशवासियों से अपील है की सब लोग किसानो का साथ दें और इसमें हिस्सा लें https://t.co/xNseuxjtFO
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 6, 2020
असम में कांग्रेस, एआईयूडीएफ और वाम दलों सहित राज्य के 14 विपक्षी दलों ने नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की. सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) ने भी किसानों के संघर्ष को अपना समर्थन दिया, लेकिन राष्ट्रव्यापी बंद के लिए हाथ मिलाने से परहेज किया.
बसपा प्रमुख मायावती ने सोमवार को किए ट्वीट में कहा, ‘कृषि से संबंधित तीन नए कानूनों की वापसी को लेकर पूरे देश में किसान आंदोलित हैं और उनके संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद’ का जो ऐलान किया है, बसपा उसका समर्थन करती है.’ उन्होंने ट्वीट में केंद्र से किसानों की मांगें मानने की अपील भी दोहराई है.
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना ने ‘भारत बंद’ को रविवार को अपना समर्थन दिया. राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई ने रविवार रात बताया, ‘शिवसेना के अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे किसान-विरोधी तथा श्रमिक-विरोधी केंद्रीय कानूनों के खिलाफ हैं. हम भारत बंद का समर्थन करते हैं.’
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने पंजाबियों से बंद का समर्थन करने की अपील की है. शिअद के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि उनकी पार्टी नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए किसानों के साथ मिलकर काम करेगी.
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा बुलाये गए ‘भारत बंद’ को अपना ‘नैतिक समर्थन’ देने का शनिवार को फैसला किया था.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा था कि बंगाल में अपने विरोध कार्यक्रमों के दौरान उनकी पार्टी कृषि कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग करेगी. पार्टी की मांग है कि सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद नए विधेयकों को संसद की स्थायी समिति या प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए.
वामपंथी दलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले), रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने एक संयुक्त बयान में बंद को समर्थन की घोषणा की थी.
पटना में राजद के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने शनिवार को इन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया था.
आज पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान स्थित गाँधी जी की मूर्ति के समक्ष नेता प्रतिपक्ष श्री @yadavtejashwi जी के नेतृत्व में महागठबंधन व @RJDforIndia के साथियों ने किसी भी कीमत पर देशभर के किसानों के हितों की रक्षा और तीनों काले कृषि कानूनों के प्रचंड विरोध का दृढ़ संकल्प लिया! pic.twitter.com/xgAlWoSlFb
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) December 5, 2020
किसानों का समर्थन करने वाली ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीयूसी), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) और ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी) शामिल हैं.
सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक के बाद कहा था कि सरकार कृषक नेताओं से उनकी प्रमुख चिंताओं पर ठोस सुझाव चाहती थी. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि उनके सहयोग से समाधान निकाला जाएगा. बैठक में कृषि मंत्री तोमर ने किसान नेताओं से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन स्थलों से घर वापस भेजने की अपील की थी.
बता दें कि सितंबर में बनाए गए तीनों कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक बड़े सुधार के रूप में पेश किया है और कहा कि इससे बिचौलिये हट जाएंगे एवं किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच पाएंगे. सरकार ने कहा है कि एमएसपी एवं मंडी व्यवस्था बनी रहेगी.
हालांकि, किसान समुदाय को आशंका है कि केंद्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की ‘अनुकंपा’ पर छोड़ दिया जाएगा.
किसानों ने भारत बंद में सभी वर्गों से अधिकतम भागीदारी का आह्वान किया
केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध करते हुए सिंघू बार्डर पर डेरा डाले हुए किसानों ने आठ दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद में सभी वर्गों से अधिकतम भागीदारी का रविवार को आह्वान करते हुए कहा कि गुजरात से 250 से अधिक किसान इस आंदोलन से जुड़ने के लिए पहुंचेंगे.
सीमा पर किसान नेताओं ने कई राजनीतिक दलों द्वारा व्यक्त किए गए समर्थन का स्वागत किया और अन्य सभी से आगे आने एवं मंगलवार के ‘भारत बंद’ का समर्थन करने का आह्वान किया.
किसान नेता बलदेव सिंह यादव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं, बल्कि पूरे देश का है. हम अपने आंदोलन को मजबूत बनाने जा रहे हैं और यह पहले ही पूरे देश में फैल चुका है. चूंकि, सरकार हमसे उपयुक्त ढंग से नहीं निपटने में समर्थ नहीं रही है, इसलिए हमने भारत बंद का आह्वान किया. कल की बैठक के दौरान मंत्री ‘भारत बंद’ के हमारे आह्वान से परेशान थे.’
उन्होंने कहा, ‘हमने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है, जो सुबह आठ बजे से लेकर शाम तक चलेगा. इस दौरान दुकानें एवं कारोबार बंद रहेंगे. एंबुलेंस एवं आपात कार्य को बंद से छूट दी गई है. गुजरात से करीब 250 किसान प्रदर्शन से जुड़ने के लिए दिल्ली आएंगे.’
यादव ने सभी से यह सुनिश्चित करने की अपील भी की कि भारत बंद शांतिपूर्ण रहे.
उन्होंने कहा, ‘हम किसी को भी हिंसक होने की इजाजत नहीं देंगे और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे. हम सभी से बंद का हिस्सा बनने का आह्वान करते हैं.’
केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हजारों किसान हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगती दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे आंदोलन तेज करेंगे और दिल्ली पहुंचने वाली और सड़कें बंद कर देंगे.
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, ‘महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों के कई संगठन भी भारत बंद का समर्थन कर रहे हैं. हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में सभी मंडियां बंद रहेंगी, लेकिन शादियों को बंद से छूट दी गई है. कई राजनीतिक दलों ने हमारा समर्थन किया है और हम सभी से बंद में हिस्सा लेने की अपील करते हैं.’
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)