किसान आंदोलन: मशहूर पंजाबी कवि सुरजीत पातर ने भी पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की घोषणा की

सुरजीत पातर पंजाब के चौथे व्यक्ति हैं, जिन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में पद्म पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है. पंजाब के कई खेल हस्तियों ने भी अपने अवार्ड लौटाने की बात कही है.

सुरजीत पातर. (फोटो: विकिपीडिया)

सुरजीत पातर पंजाब के चौथे व्यक्ति हैं, जिन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में पद्म पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है. पंजाब के कई खेल हस्तियों ने भी अपने अवार्ड लौटाने की बात कही है.

सुरजीत पातर. (फोटो: विकिपीडिया)
सुरजीत पातर. (फोटो: विकिपीडिया)

चंडीगढ़: मशहूर पंजाबी कवि सुरजीत पातर ने सोमवार को घोषणा की कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में वह पद्मश्री पुरस्कार लौटा देंगे.

पातर ने बयान जारी कर कहा कि किसानों की मांग के प्रति केंद्र सरकार के ‘असंवेदनशील’ रवैये से वह दुखी हैं, जो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं. 75 वर्षीय कवि ने कहा कि भारी मन से उन्होंने पद्म श्री पुरस्कार लौटाने का निर्णय किया है.

अमर उजाला के मुताबिक, 2012 में सुरजीत पातर को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था. इसके अलावा पातर को 1979 में पंजाब साहित्य अकादमी अवार्ड, 1993 में साहित्य अकादमी अवार्ड, 1999 में पंचानंद पुरस्कार, 2007 में अनद काव्य सम्मान, 2009 में सरस्वती सम्मान और कविता के लिए गंगाधर नेशनल अवार्ड, 2014 में कुसुमाग्रज लिट्रेरी अवॉर्ड जैसे सम्मान से नवाजे जा चुके हैं.

कवि पातर ने पद्मश्री अवॉर्ड को वापस करने की घोषणा करते हुए कहा, ‘जिस संवेदनहीनता और बेकद्री से केंद्र सरकार ने किसानों की सही मांगों और शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ व्यवहार किया है, उससे मैं आहत हूं. किसानों के दुख को गुमराह लोगों की समझ बताकर इस लहर को कमजोर करने की कोशिश की है. यह लोक भावना का अपमान है. भारी मन के साथ मैं अपना पद्मश्री वापस कर रहा हूं.’

सुरजीत पातर पंजाबी के मशहूर कवि हैं. उनकी कविताएं आम लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं.

इससे पहले अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कृषि कानूनों के विरोध में पद्म विभूषण लौटाने की घोषणा की थी. बादल को देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान साल 2015 में दिया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सुरजीत पातर पंजाब के चौथे व्यक्ति हैं जिन्होंने पद्म पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है.

शिअद (लोकतांत्रिक) के नेता सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी कहा था कि किसानों के साथ एकजुटता में वह पद्म भूषण पुरस्कार लौटाएंगे. पर्यावरणविद बाबा सेवा सिंह ने भी अपनी पद्मश्री लौटाने की घोषणा की है.

पंजाब की कई खेल हस्तियों ने भी किसान आंदोलन के समर्थन में अपने पुरस्कार लौटाने की घोषणा की थी. इन खिलाड़ियों में पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड विजेता पहलवान करतार सिंह, अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित खिलाड़ी सज्जन सिंह चीमा और अर्जुन अवॉर्ड से ही सम्मानित हॉकी खिलाड़ी राजबीर कौर, पूर्व राष्ट्रीय मुक्केबाजी कोच गुरबक्श सिंह संधू, मुक्केबाजी में भारत के पहले ओलंपिक पदक विजेता और कांग्रेस नेता विजेंदर सिंह शामिल हैं.

वहीं, पंजाबी गायक एवं अभिनेता हरभजन मान ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए चार दिसंबर को राज्य सरकार के ‘शिरोमणि पंजाबी’ पुरस्कार को अस्वीकार कर दिया था.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बीते सोमवार को अपने पुरस्कार वापस करने के लिए राष्ट्रपति भवन की तरफ बढ़ रहे कई खिलाड़ियों को पुलिस ने रोक दिया था. रेसलर करतार सिंह ने कहा था, ‘पंजाब समेत अन्य जगहों के 30 खिलाड़ी भी किसानों के समर्थन में पुरस्कार वापस करना चाहते हैं.’

बता दें कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और अन्य क्षेत्रों के हजारों किसान पिछले 13 दिनों (26 नवंबर) से दिल्ली की सीमा के पास धरना दे रहे हैं. उनका मानना है कि नए कृषि कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को खत्म कर दिया जाएगा, जिससे वे कॉरपोरेट घरानों की ‘दया’ पर रह जाएंगे.

किसानों का कहना है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए दिल्ली आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)