केंद्र सरकार ने आयुर्वेद के स्नातकोत्तर डॉक्टरों को सामान्य सर्जरी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित किए जाने की अनुमति दे दी है. इसके ख़िलाफ़ आईएमए ने 11 दिसंबर को एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है.
नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने स्नातकोत्तर डिग्रीधारक आयुर्वेद चिकित्सकों को सामान्य सर्जरी की अनुमति देने से संबंधित सरकारी अधिसूचना के खिलाफ मंगलवार को देशभर में प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि इस कदम से ‘अव्यवस्था’ फैलेगी.
आईएमए ने कहा कि निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों के डॉक्टरों ने देश के हर जिले में सड़कों पर उतरकर आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय भारतीय औषधि परिषद की इस अधिसूचना के खिलाफ प्रदर्शन किया.
मेडिकल के छात्रों ने अपने कॉलेजों में प्रदर्शन किया.
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष रंजन शर्मा समेत संगठन के अन्य पदाधिकारियों ने नई दिल्ली में स्थित मुख्यालय में प्रदर्शन का नेतृत्व किया. उन्होंने इस फैसले को वापस लेने की मांग की.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक चेन्नई में आईएमए के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए सरकारी डॉक्टरों ने भी प्रदर्शन में भाग लिया.
चेन्नई में सरकारी स्टेनली मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रदर्शन किया गया. इसमें आईएमए के प्रतिनिधियों के साथ डॉक्टर्स एसोसिएशन फॉर सोशल इक्वेलिटी के महासचिव, डॉ. जीआर रविंद्रनाथ ने भाग लिया.
फेडरेशन ऑफ गवर्नमेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के संयोजक डॉ. पी. बालाकृष्णन ने कहा, ‘हम आईएमए के साथ खड़े हैं, क्योंकि अधिसूचना आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ है. हम मिक्सोपैथी के खिलाफ हैं.’
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— Indian Medical Association (@IMAIndiaOrg) December 7, 2020
वहीं, आईएमए के टीएन शाखा के अध्यक्ष डॉ. सीएन राजा ने कहा, ‘हमें विरोध प्रदर्शन में अच्छी प्रतिक्रिया मिली. हम 11 दिसंबर को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक अस्पताल में गैर-आवश्यक सेवाओं की अपनी एक दिवसीय हड़ताल के साथ आगे बढ़ेंगे.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आईएमए ने आयुर्वेद के कुछ खास क्षेत्र के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी करने का अधिकार दिए जाने वाली अधिसूचना के खिलाफ 8 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई थी और 11 दिसंबर को सभी गैर-आवश्यक और गैर-कोविड सेवाओं को बंद रखने की चेतावनी दी है.
बता दें कि भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) ने आयुर्वेद के कुछ खास क्षेत्र के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी करने का अधिकार दिया है.
इस संबंध में आयुष मंत्रालय के अधीन भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के नियमन से जुड़ी सांविधिक इकाई सीसीआईएम ने 20 नवंबर को जारी अधिसूचना में 39 सामान्य सर्जरी प्रक्रियाओं को सूचीबद्ध किया था, जिनमें से 19 प्रक्रियाएं आंख, नाक, कान और गले से जुड़ी हैं.
इसका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) लगातार विरोध कर रहा है. संगठन ने कहा था कि यह चिकित्सा शिक्षा या प्रैक्टिस का भ्रमित मिश्रण या ‘खिचड़ीकरण’ है. आईएमए ने संबंधित अधिसूचना को वापस लिए जाने की मांग की थी.
आईएमए ने बयान में कहा था कि आधुनिक चिकित्सा सर्जरी की लंबी सूची है, जिसे आयुर्वेद के तहत शल्य तंत्र और शालक्य तंत्र के तहत सूचीबद्ध किया गया है, ये सभी आधुनिक चिकित्सा पद्धति के दायरे और अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
उसने कहा था, ‘सीसीआईएम द्वारा अतिक्रमण राष्ट्र का संपूर्ण आधुनिक चिकित्सा पेशे के साथ विश्वासघात है. यह और कुछ नहीं बल्कि चिकित्सा शिक्षा और मेडिकल प्रैक्टिस को मिलाने या खिचड़ीकरण का बेशर्म प्रयास है.’
इससे पहले आईएमए ने बीते 22 नवंबर को इस कदम की निंदा की थी और इसे आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों को पीछे की ओर ले जाने वाला कदम करार दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)