त्रिपुरा में भाजपा समर्थकों के एक समूह द्वारा पार्टी ऑब्ज़र्वर विनोद सोनकर के सामने ‘बिप्लब हटाओ, भाजपा बचाओ’ का नारा लगाए जाने के बाद मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने यह टिप्पणी की है. बीते अक्टूबर में भी असंतुष्ट भाजपा विधायकों के एक समूह ने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात कर मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की थी. हालांकि बाद में उन्होंने इससे इनकार कर दिया था.
अगरतला: त्रिपुरा में भाजपा समर्थकों के एक समूह द्वारा पार्टी ऑब्जर्वर विनोद सोनकर के सामने ‘बिप्लब हटाओ, भाजपा बचाओ’ का नारा लगाने के दो दिन बाद मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने मंगलवार को राज्य के लोगों से कहा कि वे रविवार 13 दिसंबर को अस्तबल ग्राउंड पर इकट्ठा होकर उनके पद पर बने रहने के बारे में अपना मत दें.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, देब ने रिपोर्टरों से कहा, ‘अगर लोग चाहते हैं कि मैं हट जाऊं तो इसके बारे में मुझे अपने पार्टी हाईकमान को बताना चाहिए और हट जाना चाहिए.’
देब की यह टिप्पणी पिछले दो दिनों से चल रहे सियासी ड्रामे और सोनकर की यात्रा के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें हटाने की मांग के बाद आई है.
बाद में भाजपा आब्जर्वर ने दावा किया कि राज्य की सत्ताधारी पार्टी में सब कुछ सही है और उसका आधार मजबूत हुआ है.
इस साल अक्टूबर में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुदीप रॉय बर्मन के नेतृत्व में असंतुष्ट भाजपा विधायकों के एक समूह ने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी और देब को हटाने की मांग की थी. हालांकि, बाद में विधायकों ने कहा था कि वे संगठनात्मक मुद्दों को लेकर चर्चा करने गए थे.
मंगलवार को देब ने कहा कि वह सत्ता में बने रहने की इच्छा नहीं रखते हैं और 13 दिसंबर को अस्तबल मैदान में लोगों के जनादेश का इंतजार करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘मैं लोगों से सुनना चाहता हूं क्या वे चाहते हैं कि मुझे हटाया जाए. मैं अगले रविवार, 13 दिसंबर को दोपहर 2 बजे अस्तबल मैदान में जाऊंगा. मैं सभी को आमंत्रित करता हूं कि वे आएं और मुझे बताएं कि मुझे जाना चाहिए या रहना चाहिए.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं त्रिपुरा के 37 लाख लोगों से पूछूंगा कि मुझे क्या करना है. आप मेरे लिए जो भी जनादेश देंगे उसका पालन करूंगा और अपनी इच्छा को अपनी पार्टी आलाकमान के समक्ष रखूंगा, जो त्रिपुरा के लोग चाहते थे.’
देब ने कहा कि उन्होंने जितना भी मांगा उन्हें उससे ज्यादा मिला और जो उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था त्रिपुरा के लोगों ने उन्हें एक विधायक और मुख्यमंत्री के रूप में सेवा का मौका दिया.
उन्होंने कहा, ‘मैं हर किसी के लिए काम करना चाहता हूं, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, रंग या किसी अन्य पहचान का हो. मेरा एकमात्र जुनून त्रिपुरा को देश के सर्वश्रेष्ठ राज्य में बदलना है.’
देब ने कहा कि स्टेट गेस्ट हाउस में हुई नारेबाजी से उन्हें दुख हुआ. उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं चाहता हूं कि क्या सभी लोग ऐसा ही सोच रहे हैं. अगर हां तो मैं ऐसा ही करूंगा और छोड़ दूंगा.’
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उन्होंने राज्य के सत्ता की बागडोर 9 मार्च, 2018 को संभाली थी और उसके बाद त्रिपुरा पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में सभी अधिक तेजी से आगे बढ़ा है.
देब ने कहा, ‘लोगों ने नरेंद्र मोदी, भाजपा और मुझ पर अपना विश्वास जताया. मैं और अधिक काम करना चाहता हूं.’
मोदी मंत्र के तहत दिन और रात काम करने का दावा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार उस समय के वामपंथी युग में चल रही बेढंगी शासन प्रणाली की शैली को नहीं अपनाया है.
हालांकि, देब ने चेतावनी दी कि अगर वह सत्ता में रहे, तो वह आपराधिक और अवैध गतिविधियों पर नकेल कसेंगे. उन्होंने चेताया, ‘यदि कोई माफिया शैली की गुंडागर्दी, अवैध भूमि की दलाली करना, अवैध कामों में लिप्त होना चाहता है, तो मैं उनके साथ कभी समझौता नहीं करूंगा, कभी नहीं.’
उन्होंने लोगों से यह भी पूछा कि वे उनके खिलाफ नारे लगाने वालों के साथ क्या करें? उन्होंने कहा, ‘अगर आप चाहते हैं कि मैं रहूं, तो आप तय करें कि उन नारों को उठाने वाले लोगों के साथ क्या किया जाना चाहिए. आप जो भी तय करेंगे, मैं उसे बरकरार रखूंगा.’
बता दें कि 2018 में भाजपा और उसके आदिवासी गठबंधन के साथी इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने राज्य विधानसभा में 60 में से 44 सीटें जीतीं और 25 साल की पूर्ववर्ती वाम मोर्चा शासन को सत्ता से बाहर कर दिया था.