श्रीनगर के प्रधान सत्र न्यायाधीश ने कहा है कि मारपीट के एक मामले में ज़मानत अर्ज़ी के संदर्भ में जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट के एक जज की ओर से उन्हें कथित तौर पर प्रभावित करने की कोशिश की गई, जिसके बाद उन्होंने मामले को सुनने में असमर्थता ज़ाहिर की.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में श्रीनगर के प्रधान सत्र न्यायाधीश ने शिकायत की है कि एक जमानत अर्जी के विषय में उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की ओर से उन्हें कथित तौर पर प्रभावित करने की कोशिश की गई, जिसके बाद उन्होंने मामले की सुनवाई करने में अपनी असमर्थता प्रकट की.
श्रीनगर प्रधान सत्र न्यायाधीश अब्दुल राशिद मलिक ने एक लिखित आदेश में आरोप लगाया है कि जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के सचिव ने उन्हें न्यायाधीश (उच्च न्यायालय के) के इस निर्देश से अवगत कराने के लिए फोन किया कि वह सुनिश्चित करें कि एक आरोपी को जमानत न दी जाए, जिसे एक गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया गया था.
इसके बाद मलिक ने इस विषय की सुनवाई करने में अपनी असमर्थता प्रकट की और सात दिसंबर के एक आदेश में कहा कि ‘यह अर्जी इस अनुरोध के साथ रजिस्ट्रार जनरल, जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय को सौंपी समझी जाए कि यह माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखी जाएगी क्योंकि यह विषय व्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है.’
A Sessions judge expresses his inability to hear a bail matter after a J&K HC judge's Secretary allegedly made an attempt on direction of the HC judge, to influence him by calling him not to grant the bail. pic.twitter.com/KRtYUqaZTE
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) December 10, 2020
जज ने अपने आदेश में कहा कि इस याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन सुबह 9:51 पर मुझे हाईकोर्ट के जज जस्टिस जावेद इकबाल वानी के सचिव तारिक अहमद मोटा का कॉल आया और उन्होंने कहा:
‘मुझे माननीय जस्टिस जावेद इकबाल वानी से आपको बताने के लिए ये निर्देश प्राप्त हुआ है कि शेख सलमान को कोई जमानत न दी जाए. यदि कोई अग्रिम जमानत याचिका लंबित है तो उसे मामले में इसी तरह की कार्रवाई की जाए.’
इससे लेकर जस्टिस अब्दुल राशिद मलिक ने लिखा कि वे इस मामले में सुनवाई करने में असमर्थ हैं.
उन्होंने कहा, ‘इसलिए इस आवेदन को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के यहां भेजी जाती है और उनसे गुजारिश है कि वे इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखें क्योंकि मामला व्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है.’
जस्टिस मलिक ने मामले के वकीलों को भी निर्देश दिया कि वे श्रीनगर स्थित जम्मू एवं कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने उपस्थित हों.
राज्य के एक कानून अधिकारी ने बताया कि इसके बाद, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ने द्वितीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश को जमानत अर्जी पर सुनवाई करने का निर्देश दिया. उन्होंने बताया कि आरोपी को बुधवार को जमानत दी गई.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल क़यूम के दामाद जस्टिस वानी को इस साल जून में हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था.
न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले उन्होंने वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया था. संयोग से उन्होंने अपने ससुर की रिहाई का विरोध किया था, जो कड़े सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत गिरफ्तार किए गए थे.
प्रधान सत्र जज के सामने सुनवाई के लिए आए शेख सलमान से जुड़ा मामला मारपीट की घटना से जुड़ा था. पुलिस सूत्रों ने कहा कि सलमान ने एक युवक को पीटा था और फिर सोशल मीडिया पर एक विस्तृत पोस्ट डाला कि कैसे उसने उसे ‘सबक सिखाया’ था.
जिन युवकों के साथ मारपीट की गई, उन्होंने पुलिस से संपर्क किया. इसे लेकर पुलिस ने धारा 307 (हत्या का प्रयास) समेत आरपीसी की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)