तमिलनाडु में कोयम्बटूर ज़िले के नादुर गांव में पिछले साल दिसंबर में भारी बारिश के कारण 20 फीट ऊंची दीवार गिरने से दलित समुदाय के 17 लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि दलित बस्ती से अपने मकान को अलग रखने के लिए एक व्यक्ति ने यह दीवार बनाई गई थी. इसके दोबारा बनने के बाद इसे अस्पृश्यता की दीवार कहकर आपत्ति जताई गई है.
कोयंबटूर: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने तमिलनाडु में कोयंबटूर के जिलाधिकारी के. राजामणि एवं पुलिस अधीक्षक अरूलारासू से जिले के नादूर में नई ‘अस्पृश्यता दीवार’ पर 15 दिनों में रिपोर्ट मांगी है.
इन अधिकारियों को लिखे पत्र में आयोग ने कहा कि उसे इस दीवार को गिराने, उसे खड़ी करने वाले व्यक्ति एवं कथित दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध वाला एक पत्र मिला है. इस पत्र की प्रति बृहस्पतिवार को मीडिया को उपलब्ध कराई गई.
तमिलनाडु में कोयम्बटूर के नजदीक मेट्टुपलायम का नादुर गांव पिछले साल दिसंबर में सुर्खियों में आया था, जब एक ऊंची जाति के व्यक्ति द्वारा बनाई गई 20 फीट ऊंची दीवार भारी बारिश के कारण गिरने से 17 लोगों की मौत हो गई थी. वह दीवार दलितों के घरों के ऊपर गिरी थी. उस दीवार को शिव सुब्रमण्यम नाम के व्यक्ति ने खुद के मकान को दलितों के बस्ती से अलग करने के लिए बनाया था.
मामले में आरोपी को 20 दिन में ही जमानत मिल गई थी और उसके खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत कथित तौर पर कार्रवाई नहीं की गई थी.
पिछले साल दिसंबर में ही दलित समुदाय के कई लोगों ने इस घटना को लेकर भेदभाव का आरोप लगाते हुए इस्लाम स्वीकार कर लेने की चेतावनी दी थी. उनका कहना था कि अनुसूचित जाति के लगभग 3000 लोगों ने इस्लाम अपनाने का फैसला किया है.
अब इस दीवार के मालिक ने हाल ही में नई दीवार खड़ी कर दी, जिसे राजनीतिक दलों और संगठनों ने ‘अस्पृश्यता दीवार’ करार दी, क्योंकि उसके दूसरी तरफ दलित रह रहे हैं.
आयोग ने पत्र में कहा कि उसने मामले में जांच करने का निर्णय लिया है और वह उसे प्रदत्त दिवानी अदालत के अधिकार का भी इस्तेमाल कर सकता है. उसने कहा कि उसे यदि निर्धारित वक्त में जवाब नहीं मिलता है तो वह अधिकारियों को पेश होने के लिए समन जारी करेगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)