दिल्ली: छठा वेतन आयोग लागू करने समेत अन्य मांगों को लेकर एम्स के नर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

करीब पांच हज़ार नर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कोरोना वायरस महामारी के समय में हड़ताल को अनुपयुक्त एवं दुर्भाग्यपूर्ण क़रार दिया.

करीब पांच हज़ार नर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कोरोना वायरस महामारी के समय में हड़ताल को अनुपयुक्त एवं दुर्भाग्यपूर्ण क़रार दिया.

दिल्ली स्थित एम्स. (फोटो साभार: फेसबुक)
दिल्ली स्थित एम्स. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: एम्स का नर्स संघ अपनी मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चला गया, जबकि एम्स के निदेशक ने उनसे आंदोलन वापस लेने और काम पर लौटने की अपील की है.

उनकी मांगों में छठे केंद्रीय वेतन आयोग की अनुशंसा को लागू करना और अनुबंध पर भर्ती खत्म करना भी शामिल है. करीब पांच हजार नर्स सोमवार दोपहर से हड़ताल पर चले गए, जिससे इस प्रतिष्ठित अस्पताल में रोगी देखभाल सेवाएं बाधित हुईं.

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने एक वीडियो संदेश में महामारी के समय में हड़ताल को अनुपयुक्त एवं दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.

उन्होंने एक संदेश में कहा, ‘मैं सभी नर्सों और नर्सिंग अधिकारियों से अपील करता हूं कि वे हड़ताल पर न जाएं और जहां तक नर्सों की बात है उनके संदर्भ में हमारी गरिमा को शर्मिंदा न करें.’

उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं आप सभी से अपील करता हूं कि वापस आएं और काम करें और इस महामारी से निपटने में हमारा सहयोग करें.’

हड़ताल पहले 16 दिसंबर से शुरू होने वाली थी. गुलेरिया ने कहा कि नर्स संघ ने 23 मांगें रखी थीं और एम्स प्रशासन तथा सरकार ने उनमें से लगभग सभी मांगें मान ली हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, नर्स संघ द्वारा एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया को लिखे पत्र में यूनियन ने हड़ताल के लिए नर्सों के प्रति प्रशासन के कठोर रवैये को जिम्मेदार ठहराया है. नर्सों ने छठे केंद्रीय वेतन आयोग को लागू करने की मांग की थी जिसे प्रशासन और अस्पताल प्रमुखों ने ठुकरा दिया है.

निदेशक को लिखे पत्र में संघ ने कहा कि एम्स प्रशासन ने ठोस उपाय नहीं किए और छठे केंद्रीय वेतन आयोग से जुड़ी उनकी मांगों को खारिज कर दिया गया.

रिपोर्ट के मुताबिक, हड़ताल के कारण चिकित्सा सुविधाओं में किसी प्रकार की बाधाएं न आएं इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार देर शाम निर्देश दिया.

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि दिल्ली एम्स को यह निर्देश दिया गया है कि उसे सुनिश्चित करना चाहिए कि दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशों का कड़ाई से पालन हो और नर्सिंग सेवाओं पर बाधा डालने वालों पर कार्रवाई की जाए.

भूषण ने नर्सों को यह भी अगाह किया कि फ्रंटलाइन कर्मचारियों द्वारा इस तरह अवज्ञा करने को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अपराध माना जाएगा और अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.

अमर उजाला के मुताबिक नर्सिंग कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के बाद ठेके पर बाहर के कर्मचारियों को बुलाया गया है. मरीजों को चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली एम्स ने अस्थायी तौर पर इन नर्सिंग कर्मचारियों को तैनात किया है.

एम्स के नर्सिंग यूनियन अध्यक्ष हरीश कुमार ने बताया कि एम्स के नर्सिंग कर्मचारी लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर कभी निदेशक तो कभी स्वास्थ्य मंत्री से अपील कर रहे हैं. कुछ समय पहले स्वास्थ्य मंत्री के साथ हुई बैठक में एम्स के निदेशक भी मौजूद थे. उस वक्त सभी मांगों को स्वीकार कर लिया गया लेकिन अब तक उन पर अमल नहीं किया जा सका.

उन्होंने कहा कि अब नर्सिंग यूनियन ने प्रदर्शन शुरू किया तो एम्स प्रबंधन ने बाहर से ठेके पर कर्मचारियों को बुलाया है. एम्स प्रबंधन का यह व्यवहार किसी भी हालत में स्वीकार करने योग्य नहीं है.

नर्सिंग यूनियन ने आरोप लगाया है कि हड़ताल को लेकर प्रबंधन ने बाहर से ठेके पर कर्मचारियों को तैनात कर दिया है ताकि यह संदेश बाहर जा सके कि यूनियन की हड़ताल बेअसर है.

वहीं, दूसरी ओर दिल्ली एम्स में नर्सिंग कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर फैसला लिया है कि अगर किसी कर्मचारी ने मरीज के इलाज में बाधा डाली तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर अतिरिक्त पुलिसबल तैनात करने की अपील की गई है.

एम्स प्रबंधन ने देर शाम जारी किए आदेशों में स्पष्ट कहा है कि हड़ताल के चलते मरीजों की सेवा में किसी भी प्रकार की रुकावट न आने के लिए अतिरिक्त स्टाफ को तैनात किया है. सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने विभाग में कार्यरत रेजिडेंट डॉक्टर, एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्र और बीएससी नर्सिंग के छात्रों की ड्यूटी लगाएं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)