बीएसएफ और एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वर्षों में भारत छोड़ते हुए पकड़े गए बांग्लादेश के नागरिकों की संख्या अवैध तरह से देश में प्रवेश करने वालों की संख्या से दोगुनी रही है.
नई दिल्ली: पिछले चार वर्षों में भारत छोड़ते हुए पकड़े गए बांग्लादेश के नागरिकों की संख्या अवैध तरीकों से देश में प्रवेश करने वालों की संख्या से दोगुनी रही है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है.
14 दिसंबर, 2020 तक बीएसएफ ने 3,173 अवैध प्रवासियों को बांग्लादेश से लगी सीमा पार करने के दौरान पकड़ा था. वहीं, इसी दौरान दूसरी तरफ 1,115 लोगों को सुरक्षा बलों ने अवैध तरीकों से भारत में प्रवेश करते हुए पकड़ा था.
साल 2017-19 की अवधि के दौरान भारत छोड़ने वाले बांग्लादेशियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई. साल 2017 में यह संख्या 821 थी जबकि 2018 में 2,971 और 2019 में 2,638 हो गई.
इसी तरह, भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले बांग्लादेशियों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी गई है. 2017 में यह संख्या 871 थी जबकि 2018 में 1,118 और 2019 में 1,351 हो गई.
भारत-बांग्लादेश सीमाओं पर अवैध रूप से आने-जाने वाले भारतीयों का डेटा केवल 2017 के लिए उपलब्ध है.
साल 2017 में बिना किसी वैध प्रमाण के बांग्लादेश जाते हुए कम से कम 892 भारतीय पकड़े गए थे. वहीं, इस अवधि में बांग्लादेश से भारत में बिना किसी प्रमाणपत्र के प्रवेश करने वाली संख्या 276 थी.
आंकड़ों की कमी
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से द हिंदू ने बताया, ‘देश से बाहर जाने वाले प्रवासियों की संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि कागजी कार्रवाई और डॉक्यूमेंटेशन से बचने के निर्देश दिए गए हैं.’
एक उम्मीद यह भी है कि यह संख्या और भी अधिक हो सकती है क्योंकि कोविड-19 महामारी के प्रकोप और काम की कमी के बाद बाहर जाने वाले प्रवासियों की संख्या बढ़ गई है.
एक वरिष्ठ अधिकारी (नाम गुप्त रखने की शर्त पर) के हवाले से अखबार ने कहा, ‘यदि उन्हें पकड़ लिया जाता है, तो हम उन्हें वापस जाने देते हैं. यदि उन्हें गिरफ्तार किया जाता है, तो इससे लंबी कानूनी प्रक्रियाओं होती हैं और अवैध प्रवासियों को तब तक एक आश्रयगृह या डिटेंशन सेंटर में रखा जाना चाहिए, जब तक कि उनकी राष्ट्रीयता सिद्ध न हो जाए.’
अधिकारी ने कहा, ‘1 अगस्त, 2020 से 15 नवंबर, 2020 के बीच अनजाने में भारत में प्रवेश करने वाले 50 से अधिक बांग्लादेशियों को सद्भावना और बेहतर द्विपक्षीय संबंधों के के रूप में बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) को सौंप दिया गया था.’
इस बीच, बीएसएफ बुधवार, 16 दिसंबर को दक्षिण त्रिपुरा-बांग्लादेश सीमा पर एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है, जिसमें बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में भारत की जीत की 50 वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी. बांग्लादेश के साथ भारत की 4096.7 किमी की सीमा है.
सीएए-एनआरसी के बाद का दृश्य
गुरुवार 17 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय मामलों पर चर्चा करेंगी.
पिछले साल नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के लागू होने के बाद से यह इस तरह का पहला आयोजन है.
सीएए और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर हसीना ने भले यह रुख बरकरार रखा था कि ये भारत के आतंरिक मुद्दे हैं लेकिन सीएए विधेयक के कानून बनने के बाद बांग्लादेश की ओर से भारत और बांग्लादेश के बीच कई शीर्ष स्तरीय बातचीत रद्द हो गई थी.
3 मार्च को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा था कि बांग्लादेश के कुछ घुसपैठिए भारत में घुस आए, जो बांग्लादेश से लगी सीमा के कुछ हिस्सों में कठिन नदी क्षेत्र के कारण हुआ क्योंकि वहां भौतिक तौर पर बाड़ लगाना संभव नहीं है.