पूर्वी और उत्तरी दिल्ली निगमों को डॉक्टरों के अक्टूबर का वेतन जारी करने का निर्देश

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा था कि डॉक्टरों को पिछले दो महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इसके अलावा दिल्ली के तीनों नगर निगमों द्वारा वेतन भुगतान नहीं करने के संबंध में अलग-अलग विभाग के कर्मचारियों और पेंशन भोगियों द्वारा कई याचिकाएं दायर की गई हैं.

(फोटो: पीटीआई)

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा था कि डॉक्टरों को पिछले दो महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इसके अलावा दिल्ली के तीनों नगर निगमों द्वारा वेतन भुगतान नहीं करने के संबंध में अलग-अलग विभाग के कर्मचारियों और पेंशन भोगियों द्वारा कई याचिकाएं दायर की गई हैं.

(फोटो :पीटीआई)
(फोटो :पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों को दो सप्ताह के भीतर निगम संचालित नौ अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों के अक्टूबर का बकाया वेतन जारी करने का निर्देश दिया.

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.

आईएमए की याचिका पर अदालत ने दोनों निगमों और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर उन्हें अपना का रुख बताने को कहा है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक आईएमए की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि डॉक्टरों को पिछले दो महीने से वेतन नहीं दिया गया है.

वहीं, नगर निकायों के तरफ से उनके काउंसलर ने अदालत को बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा नगर निगमों को वेतन के लिए दी जाने वाली धनराशि जारी करे.

हालांकि, दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील सत्यकाम ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि नगर निगमों द्वारा संचालित अस्पतालों के लिए दिल्ली सरकार ने पहले ही अपने हिस्से का धनराशि जारी कर दी है.

इसके बाद अदालत ने माना कि नागरिक निकायों और दिल्ली सरकार के बीच प्रशासनिक मतभेदों के बावजूद डॉक्टरों के वेतन को जारी किया जाना चाहिए.

अदालत ने कहा, ‘डॉक्टरों को उनके वेतन से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.’

इसके बाद अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एनडीएमसी और ईडीएमसी दो सप्ताह के भीतर नौ अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों के बकाया वेतन जारी करें.

अदालत ने आईएमए की एक और याचिका मंजूर कर ली, जिसमें एक जनहित याचिका में उसे पक्ष बनाने का अनुरोध किया है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित छह अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों को भत्ते के भुगतान के संबंध में इस याचिका पर सुनवाई हो रही है.

हिंदुस्तान टाइम्स के रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमए ने अपने आवेदन में कहा था कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) द्वारा संचालित तीन अस्पतालों- स्वामी दयानंद अस्पताल, चंडीवाला मैटरनिटी होम और शाहदरा पॉलीक्लीनिक के डॉक्टरों को भी राहत देने के लिए इन अस्पतालों को भी सूची में शामिल किया जाए.

दिल्ली के कस्तूरबा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा इस साल मार्च से वेतन का भुगतान नहीं होने पर इस्तीफा देने की चेतावनी संबंधी खबरों का संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की थी.

इसके बाद दिल्ली के तीनों नगर निगमों द्वारा वेतन भुगतान नहीं किए जाने के संबंध में अलग-अलग विभाग के कर्मचारियों और पेंशन भोगियों द्वारा कई याचिकाएं दायर की गई हैं.

याचिकाकर्ताओं की सूची में डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी, शिक्षक, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी, इंजीनियर और सेवानिवृत्त कर्मचारी शामिल हैं.

जस्टिस कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को कहा कि चूंकि मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ निगमों को मिलने वाली रकम के संबंध में मामले की निगरानी कर रही है, इसलिए आगे मामले में इन सभी याचिकाएं को उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा.

सभी याचिकाओं को 15 जनवरी 2021 को उपयुक्त पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

बता दें कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित अस्पतालों के डॉक्टर लंबित वेतन को जारी करने की मांग करते हुए कई बार विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)