प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जम्मू एवं कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में यह कार्रवाई की है. कुर्क की गईं संपत्तियों में फ़ारूक़ अब्दुल्ला का गुपकर रोड पर स्थित एक आवास भी है, जहां वह कई दशकों से रह रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि इस कार्रवाई को अदालत में चुनौती दी जाएगी.
नयी दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित धनशोधन मामले में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की 11.86 करोड़ रुपये की संपत्तियों को शनिवार को कुर्क कर दिया.
ईडी ने जम्मू एवं कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में यह कार्रवाई की है.
Attachment of Dr Farooq’s properties political vendetta: NC
Full statement here:https://t.co/b79EaR7wn9 pic.twitter.com/EzpR7akCbk
— JKNC (@JKNC_) December 19, 2020
इस कार्रवाई पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि ये संपत्तियां काफी हद तक पैतृक हैं और इस कार्रवाई को अदालत में चुनौती दी जाएगी.
कुर्क की गईं संपत्तियों में फारूक अब्दुल्ला (84) का गुपकर रोड पर स्थित एक आवास भी है, जहां वह कई दशकों से रह रहे हैं.
बताया जा रहा है कि यह घर 1970 के दशक में उनके पिता दिवंगत शेख मोहम्मद अब्दुल्ला द्वारा बनाया गया था, जो पूर्ववर्ती राज्य के मुख्यमंत्री थे.
दरअसल ईडी द्वारा यह कार्रवाई आठ चरणों में हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव संपन्न होने के कुछ घंटों बाद की गई.
ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत संपत्तियों की कुर्की के लिए एक अस्थायी प्रोविजनल आदेश जारी किया है, जिसके खिलाफ छह महीने की अवधि के भीतर अपील दायर की जा सकती है.
फारूक अब्दुल्ला के बेटे एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ईडी द्वारा उनके पिता की संपत्तियों की अस्थायी कुर्की के आदेश को निराधार करार दिया और आश्चर्य जताया कि पैतृक संपत्ति को अपराध से हासिल संपत्ति के रूप में कैसे देखा जा सकता है.
उमर ने इस संबंध में कई ट्वीट किए, जिनमें उन्होंने कहा कि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला इसे लेकर अपने वकीलों के संपर्क में हैं और इन सभी निराधार आरोपों से अदालत में लड़ेंगे.
The properties attached are largely ancestral dating from the 1970s with the most recent one built before 2003. There can be no justification for the seizures because they fail the very basic test of having been acquired as the proceeds of the “crime” being investigated.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) December 19, 2020
उन्होंने आश्चर्य जताया, ‘कुर्क की जाने वाली संपत्तियों में से अधिकतर 1970 के दशक की हैं, जिनमें सबसे हालिया निर्मित एक इमारत 2003 से पहले की है.’
उन्होंने कहा कि कुर्की को सही नहीं ठहराया जा सकता.
ईडी के बयान के अनुसार, ‘कुर्क की गईं संपत्तियों में तीन आवास- श्रीनगर में गुपकर रोड पर स्थित एक आवास, तानमार्ग पर कटिपोरा तहसील में एक आवास और एक आवास जम्मू के सुंजवान गांव के भटिंडी में है.’
एजेंसी ने बयान में कहा, ‘जम्मू कश्मीर में चार अलग-अलग स्थानों पर भूमि के अलावा श्रीनगर में पॉश रेजिडेंसी रोड पर एक व्यावसायिक भवन को भी कुर्क किया गया है.’
अधिकारियों ने बताया कि कुर्क की गईं संपत्तियों की बुक वैल्यू 11.86 करोड़ रुपये है, जबकि बाजार मूल्य लगभग 60-70 करोड़ रुपये है.
ईडी अब्दुल्ला (84) से इस मामले में कई बार पूछताछ कर चुकी है.
इस कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए माकपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक एमवाई तारिगामी ने कहा, ‘केंद्र सरकार द्वारा देशभर में असंतोष और असहमति को खत्म करने के लिए की जा रही बदले की राजनीति के तहत फारूक अब्दुला की संपत्ति को कुर्क किया गया है.’
तारिगामी ने कहा, ‘ईडी द्वारा फारूक अब्दुल्ला की संपत्ति को कुर्क किए जाने संबंधी खबरें और कुछ नहीं, बल्कि एक राजनीतिक प्रतिशोध है क्योंकि भाजपा सरकार हाल में संपन्न जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों में गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) को मिले लोगों के समर्थन से हतोत्साहित है.’
The BJP government must realise the dangers of witch-hunting and intimidation and desist from vindictive designs. It is time for secular democratic forces across the country to raise their voice against such designs of the BJP government. https://t.co/usB0XDKmRe
— M Y Tarigami (@tarigami) December 19, 2020
तारिगामी ने ट्वीट कर कहा, ‘यह देशभर की धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों के लिए भाजपा सरकार की इस तरह की कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाने का समय है.’
अब्दुल्ला के नेतृत्व वाला गुपकर घोषणापत्र गठबंधन नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और माकपा समेत मुख्यधारा की सात पार्टियों का गठबंधन है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)