सोनिया गांधी ने पत्र लिखने वाले 23 नेताओं के साथ की बैठक, राहुल की वापसी के संकेत नहीं

कांग्रेस का पूर्ण अध्यक्ष चुनने के लिए चुनाव से पहले अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की. बीते अगस्त माह में लिखे गए इस पत्र में पूर्णकालिक एवं ज़मीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग की गई थी.

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प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी. (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस का पूर्ण अध्यक्ष चुनने के लिए चुनाव से पहले अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की. बीते अगस्त माह में लिखे गए इस पत्र में पूर्णकालिक एवं ज़मीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग की गई थी.

प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी. (फोटो: पीटीआई)
प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस का पूर्ण अध्यक्ष चुनने के लिए चुनाव से पहले अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के नेताओं के साथ बीते शनिवार को करीब पांच घंटे तक बैठक की, जिसमें वे 23 नेता भी शामिल थे जिन्होंने पार्टी में बदलाव के लिए सोनिया गांधी को पत्र लिखा था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में पत्र लिखने वाले नेता अपनी मांगों पर अडिग थे. अगस्त में लिखे गए इस पत्र में पूर्णकालिक एवं जमीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग की गई थी.

जानकारी के अनुसार, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने साफगोई से अपनी बात रखी, लेकिन उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर अपनी वापसी को लेकर कोई संकेत नहीं दिया.

इसके साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एके एंटनी, हरीश रावत, अंबिका सोनी और अजय माकन जैसे कुछ नेताओं को छोड़कर उनकी वापसी को लेकर भी कोई खास मांग नहीं उठाई गई.

अब पार्टी बड़े स्तर पर विचार-विमर्श के लिए 1998 में पचमढ़ी और 2003 में शिमला की तरह एक चिंतन शिविर आयोजित करने पर विचार कर रही है, जब वह विपक्ष में थी.

सूत्रों ने कहा कि गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, पृथ्वीराज चव्हाण, विवेक तन्खा, शशि थरूर और भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली 23 नेताओं के समूह ने साफ-साफ अपनी मांगें रखीं. बैठक और बातचीत का मंच उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने गांधी का शुक्रिया भी अदा किया.

दोनों पक्षों ने कहा कि सत्ताधारी भाजपा से लड़ने के लिए एक रोडमैप और लड़ाई की योजना की लंबी प्रक्रिया में यह केवल एक शुरुआत है.

सोनिया गांधी ने कहा कि मुद्दों पर चर्चा और समाधान किया जाना है और पार्टी को ‘एक परिवार’ बनकर रहना है.

पत्र लिखने वालों ने कहा कि वे न तो असंतुष्ट हैं और न ही बागी. बाद में उनमें से कुछ ने कहा कि बैठक उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों की मान्यता का संकेत है.

एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘बर्फ पिघली है. आंतरिक बातचीत की प्रक्रिया को फिर से शुरू करना था, जो कांग्रेस के नवीकरण के लिए नितांत आवश्यक है.’

मुख्य तौर पर पी. चिदंबरम ने पत्र लिखने वालों की कुछ मांगों को दोहराया, जिसमें एक संसदीय बोर्ड का गठन, पीसीसी (प्रदेश कांग्रेस कमेटी) और डीसीसी (जिला कांग्रेस कमेटी) में चुनाव कराना और नियुक्तियों में प्रदेश इकाइयों का सशक्तिकरण शामिल है. उन्होंने कहा कि महासचिवों और राज्यों के प्रभारियों को मामलों का बहुत छोटे स्तर पर प्रबंधन नहीं करना चाहिए.

जब चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस के पास तमिलनाडु में लड़ाई का मौका है तब राहुल गांधी ने उनकी बात को काटते हुए कहा कि कांग्रेस केवल डीएमके की सहयोगी है और डीएमके ही चुनाव लड़ रही है.

उन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और अशोक गहलोत को यह भी याद दिलाया कि दोनों ही राज्यों में आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) ब्यूरोक्रेसी में पूरी तरह घुस चुकी है.

राहुल ने कहा कि पार्टी जो चाहती वो वह सब करने के लिए तैयार हैं. हालांकि, दोनों पक्षों ने कहा कि उनकी टिप्पणी का मतलब दोबारा अध्यक्ष पद पर वापस आने से नहीं था.

पत्र लिखने वाले चुनौतियों का जिक्र किया जिसमें लगातार दो आम चुनाव हारना, युवाओं को पार्टी से बाहर जाना शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘पार्टी हिंदीभाषी क्षेत्रों में पराजित हो गई है और जब तक और जब तक पुनरुद्धार नहीं होता, तब तक कोई उम्मीद नहीं है.’

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कांग्रेस अध्यक्ष पद, सीडब्ल्यूसी (कांग्रेस कार्य समिति) और सभी स्तरों पर पदों के लिए चुनाव होना चाहिए.

(गुलाम नबी) आजाद ने कार्ययोजना के लिए विस्तार से चर्चा किए जाने की आवश्यकता की ओर संकेत किया. हालांकि, पत्र लिखने वालों के ब्रीफिंग में शामिल नहीं होने से अभी भी सब-कुछ सही नहीं होने के संकेत मिले.

सोनिया गांधी के कहने के बाद हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक चव्हाण, पवन कुमार बंसल और रावत के साथ चले गए.

बंसल ने कहा, ‘यह पूरी तरह से स्वतंत्र चर्चा थी. सभी ने भागीदारी की. जिसको जो भी कहना था, जो कहना चाहता था, उसने वह कहने के लिए पूरा समय लिया.’

उन्होंने कहा, ‘कोई राहुल गांधी का आलोचक नहीं है. हर किसी ने उनका समर्थन किया है. सोनिया जी और हम सभी एक बड़ा परिवार हैं और हम सभी को पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए. राहुल गांधी ने भी पार्टी को मजबूत करने की बात की.’

राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं को युद्ध में सैनिकों की तरह तैयार करना चाहिए, ताकि कांग्रेस की विचारधारा और उनकी लड़ाई के उद्देश्य को स्पष्ट रूप से समझा जा सके.

प्रियंका गांधी वाड्रा ने संगठन में कमियों के बारे में बात की जिसके तहत अंतर-पार्टी संचार और युवा तक पहुंचने की आवश्यकता पर जोर दिया गया.

सूत्रों ने बताया, आखिर में राहुल ने एक बार फिर अपनी बात रखी और कहा कि वरिष्ठों के लिए उनके मन में सबसे अधिक सम्मान है और बचपन में उन्होंने और उनकी बहन ने उन्हें (वरिष्ठ नेताओं को) अपने पिता के साथ काम करते देखा था. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पार्टी की संपत्ति हैं और उनमें से प्रत्येक ज्ञान और अनुभव लाते हैं.

पत्र लिखने वालों में से एक ने पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का नाम लिए बिना शुक्रवार को दिए गए उनके बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘अगर कोई मुद्दा नहीं था तो बैठक की जरूरत क्या थी.’

दरअसल, शुक्रवार को सुरजेवाला ने कहा था, ‘सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस कार्य समिति ने यह निर्णय लिया था कि नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए. मुझे लगता है कि उसके बाद सारे मुद्दे वहीं समाप्त हो गए.’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘यह भी सही है कि मेरे समेत कांग्रेस के 99.99 फीसदी साथियों का मानना है कि राहुल गांधी, जिन्होंने निर्भीकता से मोदी सरकार से मुकाबला किया और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर वर्षों से काम किया, कांग्रेस का नेतृत्व करने के लिए वही एक साझे उम्मीदवार हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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