दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने दिल्ली दंगों के आरोपियों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा के ऑफिस पर छापेमारी की थी. सर्च टीम ने प्राचा के कंप्यूटर और विभिन्न दस्तावेज़ों को ज़ब्त किए थे, जिनमें केस की विस्तृत जानकारी है.
नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट ने वकील महमूद प्राचा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
प्राचा और उनके सहयोगियों पर दो दिन पहले निजामुद्दीन ईस्ट स्थित ऑफिस में पुलिस की तलाशी के दौरान सरकारी काम में बांधा पहुंचाने और ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप है.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के एक जांच अधिकारी द्वारा 24 दिसंबर को दर्ज कराई गई शिकायत के बाद प्राचा के खिलाफ आईपीसी की धारा 353 और 186 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने 24 दिसंबर को प्राचा और उनके एक सहयोगी जावेद अली के परिसरों की तलाशी ली थी.
यह कार्रवाई उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों से जुड़े मामलों के न्यायिक रिकॉर्ड में कथित तौर पर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के सिलसिले में की गई थी.
प्राचा की कंपनी ‘लीगल एक्सिस’ दिल्ली दंगे से जुड़े विभिन्न मामलों में कई आरोपियों की अदालत में पैरवी कर रही है.
कानूनी क्षेत्र से जुड़े कई लोगों ने पुलिस की इस तलाशी को अटॉर्नी-मुवक्किल विशेषाधिकार और कानूनी प्रतिनिधित्व के मौलिक अधिकार पर हमला बताया है.
पुलिस का कहना है कि स्पेशल सेल अगस्त महीने में दर्ज एफआईआर की जांच के लिए प्राचा के ऑफिस गई थी.
एफआईआर में कहा गया था कि दिल्ली दंगे मालमे में गिरफ्तार एक आरोपी की जमानत के लिए झूठे साक्ष्यों और फर्जी नोटरी स्टैंप का इस्तेमाल किया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस का आरोप है कि इस मामले में जमानत लेने के लिए इस्तेमाल किया गया शिकायती पत्र प्राचा के ऑफिस के कंप्यूटर से भेजा गया था.
दिल्ली की एक अदालत ने दस्तावेजों की तलाशी के लिए 22 दिसंबर को सर्च वॉरंट जारी किया था.
वहीं, प्राचा ने शिकायती पत्र के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
उन्होंने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा जारी किए गए सर्च वॉरंट पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए शुक्रवार (25 दिसंबर) को अदालत का रुख किया था.
प्राचा ने कहा था, ‘मैंने सभी कंप्यूटर अनलॉक कर दिए थे और तलाशी के लिए ऑफिस पुलिस को सौंप दिया था लेकिन फिर भी पुलिसकर्मी ने हमें खुद ही सब कुछ दिखाने को कहा और ऐसा नहीं करने पर उन्होंने हमारे कंप्यूटर ले जाने की धमकी दी.’
उन्होंने कहा, ‘तलाशी सुबह तीन बजे खत्म हुई, लेकिन फिर भी उन्हें कुछ नहीं मिला. पुलिस हमारी ओर से दुर्व्यवहार का आरोप लगा रही है. उन्होंने हर चीज की वीडियोग्राफी की थी और इसी वीडियो से पूरी दुनिया को पता चलेगा कि क्या हुआ था.’
एफआईआर में जांचकर्ता अधिकारी ने कहा है कि वह अपने स्टाफ, वीडियोग्राफर और गवाहों के साथ 24 दिसंबर को सुबह 11:45 पर प्राचा के ऑफिस पहुंचे थे.
एफआईआर में कहा गया, ‘मौके पर पहुंचने पर हमने वीडियोग्राफी शुरू की और प्राचा को सर्च वॉरंट दिखाया. हमने उनसे लिखित अनुरोध किया था कि वह यह पता लगाने में हमारा सहयोग करें कि किन कंप्यूटरों में महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं ताकि ऑफिस को पूरा खंघालने में लगने वाले समय से बचा जा सके.’
इसके अनुसार, ‘हमने धैर्यतापूर्वक दो घंटे तक इंतजार किया. इसके बाद उन्होंने (प्राचा) हमें एक और फिर दूसरे संदर्भ में प्रताड़ित करना शुरू कर दिया और वह धीरे-धीरे आक्रामक होने लगे और अपशब्दों का इस्तेमाल करने लगे.’
पुलिस का कहना है कि प्राचा ने बाद में सहयोग करने की हामी भरी और टीम को वह कंप्यूटर सिस्टम दिखाया, जिससे ईमेल भेजे गए थे.
एफआईआर में कहा गया, ‘वह हमें अपने ऑफिस टेबल के कंप्यूटर के पास ले गए और कहा कि हम जिस ईमेल के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, वह इस कंप्यूटर के ईमेल आउटबॉक्स में हो सकता है.’
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है, ‘शिकायती पत्र जिसे प्राचा के ऑफिस में तैयार किया गया था, उसका पता लगा लिया गया है.’
जांचकर्ता अधिकारी को प्राचा के ऑफिस से एक और कंप्यूटर सिस्टम मिला, जिसके बारे में उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है, ‘इस सिस्टम से एक संदिग्ध पाथवे का पता चला इसलिए मैंने आवश्यक सबूतों को इकट्ठा करने के लिए उस कंप्यूटर की हार्ड डिस्क जब्त कर ली. इस पर प्राचा और उनके सहयोगियों ने शोर करना शुरू कर दिया और कंप्यूटर सिस्टम को हटाने की कोशिश की.’
इसके बाद पुलिस की टीम ने हार्ड डिस्क के लिए प्राचा और उनके सहयोगियों को लिखित में अनुरोध किया.
पुलिस का कहना है कि अनुरोध करने पर प्राचा अपशब्दों का इस्तेमाल करने लगे और हमारी ओर से किसी तरह की हिंसक प्रतिक्रिया के स्पष्ट इरादे के साथ हंगामा करने लगे.
बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने 24 दिसंबर को दिल्ली दंगों के आरोपियों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा के ऑफिस पर छापेमारी की थी.
प्राचा के सहयोगियों के मुताबिक, सर्च टीम ने प्राचा के कंप्यूटर और विभिन्न दस्तावेजों को जब्त किए थे, जिनमें केस की विस्तृत जानकारी है और इस तरह से पुलिस की यह कार्रवाई अवैध है.
सहयोगियों के मुताबिक, प्राचा ने छापेमारी करने वाली टीम को यह भी बताया कि उनके (पुलिस) पास जिस तरह के आदेश हैं, उसमें उनके कंप्यूटर को जब्त करने की मंजूरी नहीं है. उन्होंने पुलिस को वे सभी दस्तावेज मुहैया कराने की पेशकश भी की, जो उन्होंने मांगे थे.
सहयोगियों ने यह भी कहा था कि पुलिस टीम अपने साथ दो लैपटॉप और एक प्रिंटर लेकर आई थी और उन्होंने कथित तौर पर प्राचा के कंप्यूटर को हैक किया और यह आशंका थी कि यह छापेमारी सभी रिकॉर्ड और दस्तावेज नष्ट करने का प्रयास था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)