भरूच सीट से छह बार सांसद बने मनसुख वसावा ने बीते हफ़्ते प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नर्मदा ज़िले के 121 गांवों को पर्यावरण के लिहाज़ से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने संबंधी अधिसूचना वापस लेने की मांग की थी. मंत्रालय के निर्णय का स्थानीय स्तर पर विरोध हो रहा है.
भरूचः गुजरात के भरूच से सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनसुख वसावा ने मंगलवार को भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.
उन्होंने कहा कि वह संसद के बजट सत्र के बाद लोकसभा के सदस्य के तौर पऱ भी इस्तीफा दे देंगे.
वसावा ने प्रधानमंत्री मोदी को पिछले हफ्ते पत्र लिखकर मांग की थी कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नर्मदा जिले के 121 गांवों को पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने संबंधी अधिसूचना वापस ली जाए.
Gujarat: BJP Bharuch MP Mansukh Vasava resigns from the party.
— ANI (@ANI) December 29, 2020
भरूच से छह बार सांसद रहे वसावा ने 28 दिसंबर को गुजरात भाजपा अध्यक्ष आरसी पाटिल को लिखे पत्र में कहा, ‘मैं इस्तीफा दे रहा हूं ताकि मेरी गलतियों के कारण पार्टी की छवि खराब नहीं हो. मैं पार्टी का वफादार कार्यकर्ता रहा हूं इसलिए कृपया मुझे माफ कर दीजिए.’
वसावा ने कहा, ‘पार्टी ने मुझे मेरी क्षमता से अधिक अवसर दिए हैं. मैं केंद्रीय नेतृत्व का इसके लिए हमेशा आभारी रहूंगा. मैं पार्टी के सिद्धांतों और अपने निजी विश्वास प्रणाली का भी सावधानी से पालन कर रहा हूं लेकिन आखिर में मैं इंसान और इंसान गलतियां करता है इसलिए मेरी गलतियों से पार्टी को कोई नुकसान नहीं हो इसलिए मैं इस्तीफा दे रहा हूं. कृपया मुझे माफ कर दीजिए. मैं आगामी बजट सत्र में सांसद पद से भी अपना इस्तीफा स्पीकर को सौंपूगा.’
पाटिल को लिखे पत्र में कहा कि वह संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद भरूच से सांसद के तौर पर इस्तीफा दे देंगे.
भाजपा प्रवक्ता भरत पंडया ने बताया कि पार्टी को सोशल मीडिया के जरिये इस्तीफा मिला.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वसावा ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर उनसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आदेश को किसानों और स्थानीय लोगों कि हित में वापस लेने का आग्रह किया था.
पत्र में कहा गया था, ‘पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय अधिसूचना के नाम पर सरकारी अधिकारियों ने आदिवासियों की निजी संपत्तियों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है. नर्मदा में स्थानीय आदिवासियों को विश्वास में नहीं लिया गया या इस मुद्दे की समझ नहीं दी गई है, जिससे उनमें भय और अविश्वास पैदा हुआ है.’
वसावा ने प्रधानमंत्री मोदी से अधिसूचना वापस लेकर स्थानीय लोगों की जिंदगियों में शांति और व्यवस्था बहाल करने का भी आग्रह किया था.
वसावा का इस्तीफ़ा ऐसे समय में आया है जब अगले साल की शुरुआत में राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव होने वाले हैं और नर्मदा जिले में शूल्पणेश्वर वन्यजीव अभयारण्य के आसपास के इलाके को इको-सेंसिटिव जोन, जिसमें स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास के 121 गांव भी शामिल हैं, की अंतिम अधिसूचना को लेकर स्थानीय आदिवासियों का विरोध चल रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)