जम्मू कश्मीर सर्विस सेलेक्शन बोर्ड ने एक जनवरी को कृषि विभाग में भर्ती के लिए आवेदन मंगाया था. कश्मीर में 136 और जम्मू में 20 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. कृषि स्नातकों ने केंद्र शासित राज्य प्रशासन पर जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों में पदों की संख्या को लेकर भेदभाव का आरोप लगाया था.
जम्मू: जम्मू में बेरोजगार कृषि ग्रेजुएट्स के विरोध के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कृषि विस्तार सहायक की नियुक्तियों के लिए आवेदन मंगाने के विज्ञापन को वापस ले लिया है. छात्रों ने केंद्र शासित राज्य प्रशासन पर जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों में नियुक्तियों (पदों की संख्या) के बंटवारे में भेदभाव का आरोप लगाया था.
प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ट्वीट कर कहा, ‘कृषि विभाग में पदों के लिए जम्मू कश्मीर एसएसबी विज्ञापन के संबंध में मैंने आकांक्षी युवाओं की बातों का संज्ञान लिया है और मुख्य सचिव नवीन चौधरी के साथ मुद्दे पर चर्चा की है.’
Regarding #JammuAndKashmir SSB advertisement for Agriculture Department posts, I have taken cognizance of inputs from aspirant youth and discussed the issue with Principal Secretary Sh Naveen Choudhary.He is examining the matter.
Meanwhile,the advertisement is deferred/withdrawn.— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) January 2, 2021
उन्होंने लिखा, ‘वह (चौधरी) मामले की जांच कर रहे हैं. इस बीच विज्ञापन को स्थगित/वापस लिया जाता है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू कश्मीर सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) ने बीते एक जनवरी को कश्मीर में 136 और जम्मू में 20 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था. भाजपा के आलोचकों ने विज्ञापन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.
जम्मू यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर और हिंदुत्ववादी संगठन इकजुट जम्मू के वरिष्ठ नेता हरिओम ने कहा, ‘जम्मू प्रांत भाजपा को वोट देता है, जबकि एहसानफरामोश भाजपा ने उसका तिरस्कार किया और कश्मीर तथा विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को खुश करने में लगी है.’
यह हिंदुत्ववादी संगठन जम्मू को एक अलग राज्य के रूप में कश्मीर से अलग करने की मांग करता रहा है. हरिओम ने कहा कि इसका केवल एक ही समाधान है और वह जम्मू का एक राज्य के रूप में अलग होना है.
हालांकि, कई अन्य लोगों ने कहा कि यह केवल संबंधित क्षेत्र में खाली पदों का मामला है. इसके लिए उन्होंने दोनों क्षेत्रों में इस साल और पिछले साल ड्राइवरों और पुलिसकर्मियों की नियुक्तियों में अंतर की ओर इशारा किया.