पाकिस्तान की एक आतंक रोधी अदालत ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर ज़की-उर-रहमान लख़वी को तीन मामलों में पांच-पांच क़ैद की सज़ा सुनाई है. दिलचस्प यह है कि तीनों अपराधों की सज़ा एक साथ चलेगी.
नई दिल्लीः पाकिस्तान की एक आतंक रोधी अदालत ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी को आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में पांच साल जेल की सजा सुनाई है.
अदालत का यह फैसला देश में खुलेआम घूम रहे आतंकवादियों के खिलाफ कदम उठाने के लिए पाकिस्तान पर बढ़ रहे अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच आया है.
न्यायाधीश एजाज अहमद बतर ने लखवी को तीन अपराधों के लिए पांच-पांच साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. दिलचस्प यह है कि तीनों अपराधों की सजा एक साथ चलेगी.
इसके साथ ही तीन लाख पाकिस्तानी रुपये (करीब 620 अमेरिकी डॉलर) का जुर्माना लगाया है. जुर्माना नहीं चुकाने पर प्रत्येक अपराध के लिए छह-छह महीने की और सजा काटनी होगी, जिसकी सजा भी एक साथ चलेगी.
सुनवाई के बाद अदालत के एक अधिकारी ने बताया, ‘लाहौर की आतंक रोधी अदालत (एटीसी) ने आतंक रोधी विभाग (सीटीडी) द्वारा दर्ज आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में लखवी को आतंक रोधी कानून 1997 की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए कुल 15 साल (तीन मामलों में पांच-पांच साल) जेल की सजा सुनाई है.’
अधिकारी ने बताया कि लखवी ने अदालत के सामने दलील दी कि उसे इस मामले में फर्जी तरीके से फंसाया गया है.
सीटीडी ने कहा, ‘लखवी और अन्य आरोपियों ने धन जुटाया और उसका इस्तेमाल आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए किया. उसने निजी खर्च के लिए भी इस रकम का इस्तेमाल किया.’
बता दें कि लखवी को शुक्रवार को लाहौर एटीसी के सामने पेश किया गया था और उसी दिन उसे आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में दोषी ठहराया गया था.
अदालत को बताया कि पंजाब के ओकरा जिले में रेनाल खुर्द का निवासी लखवी इस मामले में गिरफ्तारी के पहले इस्लामाबाद में रह रहा था.
लश्कर-ए-तैयबा और अलकायदा के साथ जुड़ाव तथा दोनों आतंकी संगठनों के साथ मिलकर वित्तपोषण, साजिश रचने, आतंकी गतिविधियों के लिए लखवी को दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया था.
बता दें कि घोषित आतंकवादियों और संगठनों की संपत्तियां जब्त कर ली जाती हैं. सभी देशों को ऐसे व्यक्ति और संगठन की संपत्ति जब्त करने, आर्थिक संसाधन पर रोक लगाने की कार्रवाई करनी होती है और यात्रा पर प्रतिबंध लगाया जाता है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत मुंबई आतंकी हमलों के लिए लखवी पर कार्रवाई करने की लंबे समय से मांग करता रहा है, लेकिन पाकिस्तान का कहना है कि भारत ने मजबूत सबूत नहीं दिए, जिसका इस्तेमाल अदालत में लखवी के खिलाफ किया जा सके. लखवी को साल 2008 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उसे जमानत मिल गई थी.
भारत के अनुसार, मुंबई हमलों का एकमात्र गिरफ्तार आतंकी जिसे साल 2012 में फांसी दे दी गई, उसने पूछताछ में बताया था कि हमलावर लखवी के संपर्क में थे, जिसे लश्कर की कार्रवाइयों का मुखिया कहा जाता है.
भारत ने लखवी को आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में पाकिस्तानी अदालत द्वारा जेल की सजा सुनाए जाने के बाद पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बैठकों से पहले ‘आडंबर करना’ पाकिस्तान के लिए आम बात हो गई है.
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘ये कदम साफ दिखाते हैं कि इनका मकसद फरवरी 2021 में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की पूर्ण बैठक और एशिया प्रशांत संयुक्त समूह (एपीजेजी) की बैठक से पहले आंडबरपूर्ण कार्रवाई करना है. महत्वपूर्ण बैठकों से पहले इस प्रकार का आडंबर करना पाकिस्तान के लिए आम बात हो गई है.’
बता दें कि इससे पहले पिछले साल मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड एक और मास्टरमाइंड और कुख्यात आतंकवादी एवं जमात उद दावा प्रमुख हाफिज सईद को पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने आतंकवाद को वित्त पोषण करने के दो मामलों में 11 साल की सजा सुनाई थी और 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
मालूम हो कि साल 2008 में मुंबई हमले के लिए जमात उद दावा (जेयूडी) प्रमुख हाफिज सईद के नेतृत्व वाला लश्कर-ए-तैयबा जिम्मेदार था. हमले में छह अमेरिकी समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी.
बता दें कि लश्कर-ए-तैयबा को भारत और अमेरिका ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों का जिम्मेदार ठहराया है. इस आतंकी हमले में अमेरिका और अन्य देशों के नागरिकों सहित कुल 160 लोगों की मौत हो गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)