आतंकी मसूद अज़हर को भारत ने 1999 में आतंकवादियों द्वारा अपहृत किए गए इंडियन एअरलाइंस के विमान आईसी-814 के यात्रियों को मुक्त कराने के बदले रिहा किया था. रिहाई के बाद उसने जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन बनाया और भारत में कई आतंकी हमले कराए. पुलवामा हमले की ज़िम्मेदारी भी इसी संगठन ने ली थी.
लाहौर: पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी अदालत ने पंजाब पुलिस से कहा है कि संयुक्त राष्ट्र से वैश्विक आतंकवादी के रूप में घोषित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आतंकी वित्त पोषण से जुड़े मामले में 18 जनवरी तक गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
अजहर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) गुजरांवाला ने जारी किया है.
अदालत के एक अधिकारी ने शनिवार को कहा, ‘एटीसी गुजरांवाला न्यायाधीश नताशा नसीम सुप्रा ने शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान आतंक रोधी विभाग (सीटीडी) को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को 18 जनवरी तक गिरफ्तार करने और अदालत में पेश करने का निर्देश दिया.’
गुजरांवाला आतंकरोधी अदालत (एटीसी) ने जेईएम के कुछ सदस्यों के खिलाफ पंजाब पुलिस के आतंक रोधी विभाग द्वारा शुरू आतंक के वित्तपोषण मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को वारंट जारी किया था.
अजहर आतंकी वित्तपोषण और आतंकी सामग्री के प्रचार-प्रसार के आरोपों का सामना कर रहा है.
फरवरी 2019 में भारत के पुलवामा में हुए हमले के बाद पाकिस्तान की पंजाब पुलिस ने आतंकी वित्तपोषण के मामले में धरपकड़ शुरू की थी और प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के छह आतंकवादियों को गुजरांवाला से गिरफ्तार किया था. अजहर इस मामले में मुकदमे का सामना कर रहा है.
पुलवामा हमले के बाद बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान सरकार ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना के बेटे और भाई सहित आतंकी संगठन के 100 से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया था.
सरकार ने जैश-ए-मोहम्मद, मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के जमात उद दावा तथा फलाहाई इंसानियत फाउंडेशन की संपत्तियों, मदरसों और मस्जिदों का नियंत्रण भी अपने हाथ में ले लिया था.
जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 से अधिक जवान शहीद हो गए थे.
पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने बहावलपुर स्थित मदरसातुल सबीर और जामा-ए-मस्जिद सुभानअल्लाह सहित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालयों का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथ में लेने का दावा किया था.
संयुक्त राष्ट्र ने मई 2019 में भारत के प्रयासों के बाद अजहर को ‘वैश्विक आतंकवादी’ घोषित कर दिया था. चीन को इस आतंकी को काली सूची में डाले जाने से बचाने संबंधी अपना प्रयास अंतत: रोकना पड़ा था.
अजहर को भारत ने 1999 में आतंकवादियों द्वारा अपहृत किए गए इंडियन एअरलाइंस के विमान आईसी-814 के यात्रियों को मुक्त कराने के बदले रिहा किया था. अपनी रिहाई के बाद उसने जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन बनाया और भारत में कई आतंकी हमले कराए.
पुलवामा हमले के बाद 26 फरवरी 2019 को भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर विमानों से बमबारी की थी.
पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे और भारत में आतंकी हमलों के लिए पाकिस्तान की भूमि का इस्तेमाल कर रहे आतंकवादियों के खिलाफ इस्लामाबाद को कार्रवाई के लिए विवश करने में पाकिस्तान स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की बड़ी भूमिका है.
एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को अपनी ‘ग्रे’ सूची में डाल दिया था और उससे 2019 के अंत तक धनशोधन तथा आतंकी वित्तपोषण संबंधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने को कहा था, लेकिन कोविड-19 के चलते समय-सीमा बढ़ा दी गई थी.
मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड एवं संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी को सजा सुनाए जाने तथा अजहर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने पर भारत ने शुक्रवार को कहा था कि महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बैठकों से पहले पाकिस्तान इस तरह का आडंबर करता रहता है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि संबंधित कदम के समय से पता चलता है कि यह एशिया प्रशांत समूह की बैठक से पहले तथा फरवरी 2021 में होने वाली एफएटीएफ की पूर्ण बैठक के चलते मजबूरी में उठाया गया है.
उन्होंने कहा था कि महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बैठकों से पहले पाकिस्तान के लिए इस तरह का आडंबर करना आम बात है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)