भंडारा अग्निकांडः अस्पताल में नहीं हुआ था फायर ऑडिट, लंबित था फायर सेफ्टी सिस्टम का प्रस्ताव

महाराष्ट्र के भंडारा ज़िला अस्पताल के सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट में शनिवार तड़के आग लगने के बाद दस नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी. बताया जा रहा है कि इस यूनिट में अग्निशमन यंत्र तो थे, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों को उन्हें चलाने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया था.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र के भंडारा ज़िला अस्पताल के सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट में शनिवार तड़के आग लगने के बाद दस नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी. बताया जा रहा है कि इस यूनिट में अग्निशमन यंत्र तो थे, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों को उन्हें चलाने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया था.

भंडारा अस्पताल के एसएनसीयू यूनिट में आग से झुलसे उपकरणों के अवशेष (फोटोः पीटीआई)
भंडारा अस्पताल के एसएनसीयू यूनिट में आग से झुलसे उपकरणों के अवशेष. (फोटोः पीटीआई)

मुंबईः महाराष्ट्र के भंडारा जिला अस्पताल में रविवार तड़के आग लगने से दस नवजात बच्चों की मौत हुई थी. अब पता चला है कि अस्पताल में अभी तक फायर ऑडिट नहीं करवाया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भंडारा जिला अस्पताल का 1.52 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित होने वाला फायर सेफ्टी सिस्टम का प्रस्ताव बीते सात महीने से राज्य सरकार के पास लंबित पड़ा है.

2015 में बने अस्पताल के सिक नियोनेटल केयर यूनिट (एसएनसीयू) में साल 2016-2017  में सिर्फ एक बार मॉक फायर ड्रिल हुई.

महाराष्ट्र के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक एन. रामास्वामी ने दिसंबर 2020 में सभी जिलों के सरकारी अस्पतालों में ऑडिट करवाने का आदेश दिया था, जिसके बावजूद भंडारा जिला अस्पताल में अभी तक फायर ऑडिट भी नहीं हुआ है.

अस्पताल सूत्रों और जिला प्रशासन का कहना है कि अस्पताल में व्यापक फायर सिस्टम नहीं है. हालांकि, एसएनसीयू यूनिट में अग्निशमन यंत्र था लेकिन बीते दो साल में अस्पताल के कर्मचारियों को इसके इस्तेमाल को लेकर कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया था.

नेशनल एक्रेडिएशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) के अग्नि सुरक्षा मानकों के तहत दो से अधिक मंजिल वाले हर अस्पताल में अग्निशमन यंत्र, होज़ रील (पानी डालने के रबर के लंबे पाइप), वेट रीजर, ऑटोमैटिक एवं मैनुअल फायर अलार्म सिस्टम होना अनिवार्य है.

चार मंजिला भंडारा जिला अस्पताल में हर फ्लोर पर सिर्फ एक अग्निशमन यंत्र था और कोई अलार्म सिस्टम, स्प्रिंकलर या होज़ रील नहीं था. हालांकि, एसएनसीयू यूनिट में नियमों के अनुरूप निकासी द्वार था और इसी वजह से शनिवार की घटना में सात शिशुओं को बचाया जा सका.

मई 2020 में भंडारा जिला प्रशासन ने अस्पताल में फायर सिस्टम, अग्निशमन यंत्र, स्पिंकलर्स, होज़ रील और फायर अलार्म के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा था.

इस प्रस्ताव को नागपुर के स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक ने मंजूरी दी थी और इसे स्वास्थ्य सेवा निदेशालय (डीएचएस) की निदेशक डॉ. साधना तायडे के पास भेजा गया था. तायडे ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देने में देरी को लेकर पूछे गए सवाल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

जिला अस्पतालों के प्रभारी डॉ. नितिन आंबेडकर का कहना है, ‘तकनीकी सुधार के बाद इसे मंजूरी दी जाएगी. हमने इसे कुछ सुधारों के लिए वापस भेज दिया था.’

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का कहना है कि उन्हें इस प्रस्ताव की कोई जानकारी नहीं थी लेकिन वे अब इसे मंजूरी देंगे.

उन्होंने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली सरकार ने बिना फायर ऑडिट के एसएनसीयू का उद्घाटन किया था.

उन्होंने कहा, ‘सिविल सर्जन ने फायर ऑडिट के लिए नागपुर के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग को दो बार पत्र लिखा था लेकिन संस्थान ने ऑडिट नहीं किया. पिछली सरकार को अग्नि बचाव मानदंडों का पालन किए बिना एसएनसीयू का उद्घाटन नहीं करना चाहिए था.’

जिला स्तर के एक अधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि अस्पताल के वायरिंग सिस्टम को भी दुरुस्त किए जाने की जरूरत है और उन्होंने इस संबंध में लोक निर्माण विभाग को पत्र भी लिखा था लेकिन यह अनुरोध अभी लंबित है.

डीएचएस की परिवार योजना निदेशक डॉ. अर्चना पाटिल ने कहा कि एसएनसीयू यूनिट की इमारत नई होने की वजह से इसके वायरिंग आदि दुरुस्त थे इसलिए अभी यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यूनिट में आखिर इतनी जल्दी आग कैसे फैली.

एसएनसीयू का आखिरी रखरखाव ऑडिट एक निजी कंपनी फैबार सिदूरी मैनेजमेंट सर्विसेज द्वारा दो सितंबर 2020 को किया गया था. इस ऑडिट में फायर सेफ्टी शामिल नहीं था.

एसएनसीयू में प्रति 16 बेड पर तीन नर्स होने के राज्य सरकार के नियमों के विपरीत भंडारा जिला अस्पताल में शनिवार रात को 36 बेड के वॉर्ड में 17 बच्चों की देखरेख के लिए सिर्फ दो नर्सें ही ड्यूटी पर थीं.

अस्पताल में नर्सों के 35 पद हैं, जिनमें से 28 पद भरे हुए हैं. एसएनसीयू में डॉक्टरों के आठ पदों में से पांच पद खाली हैं.

जिला स्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 की वजह से समस्या और बढ़ी है. उन्होंने कहा, ‘हमें अस्पताल में 300 आइसोलेशन बेड की जरूरत है लेकिन इसके लिए पर्याप्त कर्मचारी नियुक्त नहीं कर सकते.’

रामास्वामी ने कहा, ‘मैंने राज्य अधिकारियों को रिपोर्ट पेश करने को कहा है. मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा कि क्या नर्सों की कमी थी या उपकरणों के रखरखाव की.’

बता दें कि महाराष्ट्र के भंडारा के जिला अस्पताल में शनिवार तड़के आग लगने से दस नवजात बच्चों की मौत हो गई थी.

आग अस्पताल के सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में लगी थी. आग लगने के समय वॉर्ड में 17 बच्चे भर्ती थे, जिन सात बच्चों को बचाया जा सका. मृतक शिशुओं की उम्र कुछ दिनों से कुछ महीनों के बीच बताई गई थी.