आरटीआई के तहत केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत अयोग्य लाभार्थियों की बड़ी संख्या पांच राज्यों- पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में है. अयोग्य लाभार्थियों में आधे से अधिक यानी 54.03 प्रतिशत लोग पंजाब, असम और महाराष्ट्र से हैं.
नई दिल्ली: मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत 20.48 लाख अयोग्य लाभार्थियों को 1,364 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है.
यह जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में दी है.
पीएम-किसान योजना की शुरुआत केंद्र सरकार ने साल 2019 में की थी और इसके तहत सीमांत या छोटे किसानों या जिनके पास दो हेक्टेयर से कम कृषि भूमि है, उन्हें साल में तीन बार 2,000 रुपये के किस्तों में कुल छह हजार रुपये की राशि दी जाती है. बाद में इस योजना में बड़े किसानों को भी शामिल किया गया.
आरटीआई आवेदन के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बताया कि अयोग्य लाभार्थियों की दो श्रेणियों की पहचान की गई है, जिनमें पहले ‘अर्हता पूरी नहीं करने वाले किसान’ हैं, जबकि दूसरी श्रेणी ‘आयकर भरने वाले किसानों’ की है.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) से जुड़े आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने ये आंकड़े सरकार से प्राप्त किए हैं.
उन्होंने कहा, ‘अयोग्य लाभार्थियों में आधे से अधिक (55.58 प्रतिशत) ‘आयकरदाता’ की श्रेणी में हैं. नायक ने कहा, ‘बाकी 44.41 प्रतिशत वे किसान हैं जो योजना की अर्हता पूरी नहीं करते हैं.’
उन्होंने बताया कि मीडिया में आई खबर के मुताबिक अयोग्य लाभार्थियों को भुगतान की गई राशि वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
नायक ने कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत प्राप्त सूचना से पता चलता है कि वर्ष 2019 में शुरू हुई पीएम-किसान योजना के तहत जुलाई 2020 तक अयोग्य लाभार्थियों को 1,364 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.
उन्होंने कहा, ‘सरकार के अपने आंकड़े संकेत देते हैं कि राशि गलत हाथों में गई.’
आरटीआई आवेदक ने बताया कि आंकड़ों के मुताबिक, अयोग्य लाभार्थियों की बड़ी संख्या पांच राज्यों- पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में है.
सूचना के मुताबिक, ‘पंजाब शीर्ष पर है जहां कुल अयोग्य लाभार्थियों में 23.6 प्रतिशत (यानी 4. 74 लाख) रहते हैं, इसके बाद 16.8 प्रतिशत (3.45 लाख लाभार्थी) अयोग्य लाभार्थियों के साथ असम का स्थान है. अयोग्य लाभार्थियों में 13.99 प्रतिशत (2.86 लाख लाभार्थी) महाराष्ट्र में रहते हैं. इस प्रकार इन तीनों राज्यों में ही अयोग्य पाए गए लाभार्थियों की आधी से अधिक (54.03 प्रतिशत) संख्या रहती है.’
नायक ने बताया कि इसके बाद गुजरात और उत्तर प्रदेश का स्थान है, जहां पर कुल अयोग्य लाभार्थियों में क्रमश: 8.05 प्रतिशत (1.64 लाख लाभार्थी) और 8.01 प्रतिशत (1.64 लाख) लाभार्थी रहते हैं.
उन्होंने बताया कि सिक्किम में एक अयोग्य लाभार्थी का पता चला है जो किसी राज्य में सबसे कम है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)