आंदोलन को बदनाम करने के लिए फ़ैलाई जा रहीं अफ़वाहों पर विश्वास न करें किसान: बीकेयू नेता

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू राजेवाल) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने किसानों को खुला पत्र लिखकर कहा है कि किसानों की 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड के बारे में अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं. कुछ किसान विरोधी ताकतें उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को नाकाम करने में शिद्दत से जुटी हैं.

बलबीर सिंह राजेवाल. (फोटो साभार: फेसबुक)

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू राजेवाल) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने किसानों को खुला पत्र लिखकर कहा है कि किसानों की 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड के बारे में अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं. कुछ किसान विरोधी ताकतें उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को नाकाम करने में शिद्दत से जुटी हैं.

दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी. (फोटो: पीटीआई)
दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी. (फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़: भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू- राजेवाल) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने बृहस्पतिवार को किसानों को खुला पत्र लिखकर उनसे केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को बदनाम करने लिए फैलाई जा रहीं अफवाहों पर विश्वास नहीं करने का अनुरोध किया.

बीकेयू (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसानों की 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड के बारे में अफवाहें फैलाई जा रही हैं. पंजाबी में लिखे पत्र में राजेवाल ने किसानों से अफवाहों पर विश्वास नहीं करने का अनुरोध किया है.

उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ ‘किसान-विरोधी ताकतें’ उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को ‘नाकाम’ करने में शिद्दत से जुटी हैं. राजेवाल ने कहा कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहेगा.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, राजेवाल ने पत्र में लिखा है कि यह संघर्ष अब केवल किसानों और पंजाब या हरियाणा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हर वर्ग इसमें शामिल है. यह सही मायनों में ‘जन आंदोलन’ में बदल गया है, जो राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और देश के कई अन्य हिस्सों तक फैल गया है.

साथ ही उन्होंने लिखा कि यह आंदोलन कई देशों का ध्यान आकर्षित किया है. कई देशों में निर्वाचित प्रतिनिधि भारत सरकार के साथ इस मामले को उठाने के लिए अपनी-अपनी सरकारों को लिख रहे हैं. पूरी दुनिया की नजरें किसान आंदोलन पर लगी हुई हैं.

बलबीर ने कहा कि किसान संगठनों ने आने वाले दिनों के लिए विभिन्न योजनाओं को पहले ही तैयार कर लिया है- 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाया जाएगा, 20 जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह प्रकाश पर्व और 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है.

उन्होंने 26 जनवरी का उल्लेख करते हुए कहा है कि लाल किला या संसद भवन की ओर जाने वाले किसानों के बारे में बहुत सारी अफवाहें फैलाई जा रही हैं, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है, क्योंकि यह हमारा मकसद है. यह हमारे अधिकारों के लिए एक शांतिपूर्ण संघर्ष है.

उन्होंने कहा कि इन अफवाहों से उन्हें बहुत दुख हुआ. उन्हें लगता है कि इसके पीछे कुछ सरकारी एजेंसियां हैं.

उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे इन अफवाहों पर न जाएं, बल्कि 26 जनवरी को बड़ी संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचें, क्योंकि अगले सप्ताह 26 जनवरी की कार्य योजना घोषित की जाएगी.

साथ ही उन्होंने किसानों से स्वयंसेवकों के रूप में कार्य करने और संघर्ष को बदनाम करने की कोशिश करने वाले लोगों पर नजर रखने का भी आग्रह करते हुए कहा, ‘हम केवल शांतिपूर्ण आंदोलन से जीत सकते हैं.’

बता दें कि बीते तीन जनवरी को किसान यूनियनों ने चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं तो वे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली की ओर ट्रैक्टर परेड निकालेंगे.

सरकार के साथ आठवीं दौर के बातचीत से एक दिन पहले सात जनवरी को हजारों किसानों ने दिल्ली और हरियाणा में ट्रैक्टर रैली निकाली थी.

केंद्र द्वारा लाए गए नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 26 नवंबर 2020 से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

ये किसान केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में हैं.

केंद्र सरकार इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार के रूप में पेश कर रही है. हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने यह आशंका व्यक्त की है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा और मंडी प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे तथा उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)