दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने बार एसोसिएशन अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि एसोसिएशन की कार्यकारी समिति में उनका कार्यकाल पहले ही ख़त्म हो चुका है और हालिया घटनाक्रमों के बाद उन्हें लगता है कि वे वकीलों की अगुवाई करने का अधिकार खो चुके हैं.

दुष्यंत दवे. (फोटो साभार: मंथन संवाद)

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने बार एसोसिएशन अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि एसोसिएशन की कार्यकारी समिति में उनका कार्यकाल पहले ही ख़त्म हो चुका है और हालिया घटनाक्रमों के बाद उन्हें लगता है कि वे वकीलों की अगुवाई करने का अधिकार खो चुके हैं.

दुष्यंत दवे. (फोटो साभार: मंथन संवाद)
दुष्यंत दवे. (फोटो साभार: मंथन संवाद)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने गुरुवार को यह कहते हुए पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया कि वह इस पद बने रहने का अधिकार खो चुके हैं.

बार एसोसिएशन के कार्यवाहक सचिव रोहित पांडेय ने वरिष्ठ अधिवक्ता दवे के इस्तीफे की पुष्टि की.

दवे ने संक्षिप्त पत्र में कहा, ‘एससीबीए की कार्यकारी समिति में उनका कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है और कुछ वकीलों की चिंताओं के चलते निर्धारित समय पर डिजिटल तरीके से चुनाव कराना संभव दिखाई नहीं दे रहा.’

पत्र में कहा गया, ‘हालिया घटनाक्रमों के बाद मुझे लगता है कि मैं आपकी अगुवाई करने का अधिकार खो चुका हूं. लिहाजा मैं तत्काल प्रभाव से एससीबीए के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं. हमारा कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है.’

दवे ने कहा, ‘हमने नये निकाय के चुनाव के लिए डिजिटल माध्यम से चुनाव कराने का ईमानदारी से फैसला लिया था लेकिन मुझे लगता है कि आप में से कुछ की आपत्तियों के चलते चुनाव समिति द्वारा निर्धारित समय पर चुनाव कराना संभव नहीं है. मैं उनकी स्थिति को समझता हूं और मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इन हालात में मेरा अध्यक्ष बने रहना नैतिक रूप से गलत होगा.’

दवे ने अपने पत्र में कोरोना महामारी के दौरान योगदान के लिए एससीबीए के सभी सदस्यों के प्रति आभार भी जताया.

दवे के अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर उदय सिंह ने भी एससीबीए के कार्यकारिणी (वरिष्ठ) सदस्य के रूप में अपना इस्तीफा दे दिया है.

दवे ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए दायर की गई याचिकाओं में कुछ किसान यूनियनों का प्रतिनिधित्व भी किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)