विश्व आर्थिक मंच ने अपनी एक रिपोर्ट में अगले दशक पर असर के संदर्भ में संक्रामक बीमारियों को सबसे बड़ा जोख़िम बताया. रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया को 2020 में महामारी के कारण हो सकने वाली तबाही को देख लेने के बाद दीर्घकालिक ख़तरों के लिए तैयार होने की ज़रूरत है.
नई दिल्ली/जिनेवा: कोविड-19 महामारी से न सिर्फ लाखों लोगों की जानें गई हैं, बल्कि इससे असमानता और सामाजिक विघटन बढ़ रहा है. यह अगले तीन से पांच साल में अर्थव्यवस्थाओं को कमजोर कर सकता है और अगले पांच से दस साल के लिए भू-राजनीतिक अस्थिरता का जोखिम उत्पन्न कर सकता है.
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक रिपोर्ट में मंगलवार को यह जानकारी दी गई.
डब्ल्यूईएफ ने अपनी वार्षिक जोखिम रिपोर्ट में अगले दशक पर असर के संदर्भ में संक्रामक बीमारियों को सबसे बड़ा जोखिम बताया.
डब्ल्यूईएफ ने 25 जनवरी से 29 जनवरी के दौरान आयोजित हो रहे आभासी दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन से पहले यह रिपोर्ट जारी की है. सम्मेलन में विभिन्न वैश्विक नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी भाग लेने की उम्मीद है.
After a year of upheaval, the world lies in a precarious state. The chance to rebuild a stronger global society presents itself, but we must understand the risks we face as a result of #COVID19 and societal inequalities https://t.co/Llg8WwgPcI#Risks21 @Zurich @MarshGlobal pic.twitter.com/LlZ66X1quB
— World Economic Forum (@wef) January 19, 2021
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया को 2020 में महामारी के कारण हो सकने वाली तबाही को देख लेने के बाद दीर्घकालिक जोखिमों के लिए तैयार होने की जरूरत है. उसने कहा कि उसकी वैश्विक जोखिम रिपोर्ट पिछले 12 साल से दुनिया को महामारी के प्रति आगाह कर रही थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक डब्ल्यूईएफ ने कहा कि उसकी वैश्विक जोखिम रिपोर्ट पिछले 15 वर्षों से महामारी के खतरों के बारे में दुनिया को आगाह कर रही थी.
रिपोर्ट में कहा, ‘हमने दीर्घकालिक जोखिमों को अनदेखा करने का परिणाम 2020 में देखा है. कोविड-19 महामारी ने न केवल लाखों लोगों की जानें ले लीं, बल्कि इसने लंबे समय से चली आ रही स्वास्थ्य, आर्थिक और डिजिटल विषमताओं को भी बढ़ाया है.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीब तबके के लाखों लोग- श्रमिक और छात्र- खासकर अल्पसंख्यक, जो महामारी से पहले से ही वंचित थे, अब उनके लिए नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 की वजह से पर्यावरणीय गिरावट जैसी दीर्घकालिक चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक वैश्विक सहयोग को और अधिक नुकसान हो सकता है.
दुनिया के सामने आने वाले भू-राजनीतिक जोखिमों के बीच रिपोर्ट में चीन और भारत के बीच बढ़ते तनाव का भी उल्लेख किया गया है. कहा गया है कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक व्यापार को कमजोर कर सकता है और चीन हाल ही में हस्ताक्षरित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के माध्यम से अपने क्षेत्रीय आर्थिक हितों का विस्तार कर सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)