चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक मीडिया ब्रीफिंग कहा कि जंगनान क्षेत्र (दक्षिण तिब्बत) पर चीन की स्थिति स्पष्ट है. हमने कभी भी तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी. हमारे अपने क्षेत्र में विकास और निर्माण गतिविधियां होना सामान्य है.
बीजिंग: चीनी विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को यहां कहा कि ‘अपने खुद के क्षेत्र में’ चीन की विकास और निर्माण गतिविधियां सामान्य और दोषारोपण से परे हैं.
मंत्रालय ने यह बात अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा एक नया गांव बनाने की खबरों पर प्रतिक्रिया में कही.
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘जंगनान क्षेत्र (दक्षिण तिब्बत) पर चीन की स्थिति स्पष्ट और स्थिर है. हमने कभी भी तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी.’
चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है, जबकि भारत हमेशा कहता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न और अखंड हिस्सा है.
चुनयिंग ने कहा कि ‘हमारे खुद के क्षेत्र में’ चीन की विकास और निर्माण गतिविधियां सामान्य हैं. यह दोषारोपण से परे है क्योंकि यह हमारा क्षेत्र है.
गौरतलब है कि बीते दिनों एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में क़रीब सवा साल में एक गांव बसा दिया है.
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में एक नया गांव बसाया है और इसमें करीब 101 घर हैं.
यह गांव त्सारी चू नदी के तट पर अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में स्थित है, जो भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवादित है. इसे सशस्त्र संघर्ष द्वारा चिह्नित किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 नवंबर 2020 को खींची गईं इन तस्वीरों का विभिन्न विशेषज्ञों ने विश्लेषण किया है. जिन्होंने पुष्टि की है कि निर्माण भारतीय सीमा के भीतर करीब 4.5 किलोमीटर में किए गए है, जो भारत के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय होगा.
सरकारी मानचित्र के अनुसार, हालांकि यह क्षेत्र भारतीय क्षेत्र में है, लेकिन 1959 से यह चीनी नियंत्रण में है. शुरुआत में यहां सिर्फ चीन की एक मिलिट्री पोस्ट थी, लेकिन इस समय एक पूरा गांव बसा दिया गया है, जिसमें हजारों लोग रह सकते हैं.
समाचार चैनल ने दावा किया कि यह खबर उसे विशेष रूप से प्राप्त उपग्रह तस्वीरों पर आधारित है.
इस खबर के सामने आने के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था, ‘हमने चीन के भारत के साथ लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण कार्य करने की हालिया खबरें देखी हैं. चीन ने पिछले कई वर्षों में ऐसी अवसंरचना निर्माण गतिविधियां संचालित की हैं.’
उसने कहा, ‘हमारी सरकार ने भी जवाब में सड़कों, पुलों आदि के निर्माण समेत सीमा पर बुनियादी संरचना का निर्माण तेज कर दिया है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाली स्थानीय आबादी को अति आवश्यक संपर्क सुविधा मिली है.’
मंत्रालय ने यह भी कहा कि सरकार अरुणाचल प्रदेश के लोगों समेत अपने नागरिकों की आजीविका को उन्नत बनाने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी संरचना के निर्माण के उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है.
एनडीटीवी ने अपनी खबर में इलाके की दो तस्वीरें दिखाते हुए दावा किया था कि एक गांव बसाया गया है. चैनल के अनुसार, 26 अगस्त, 2019 की पहली तस्वीर में कोई बसावट नहीं दिखाई देती लेकिन नवंबर 2020 की दूसरी तस्वीर में कुछ ढांचे दिखाई देते हैं.
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद है. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है, वहीं भारत इस दावे को खारिज करता रहा है.
भारत और चीन के बीच पिछले करीब आठ महीने से पूर्वी लद्दाख में सीमा मुद्दे को लेकर गतिरोध बना हुआ है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल अक्टूबर में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, ‘कुछ समय से भारतीय पक्ष सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी ला रहा है और सैन्य तैनाती को बढ़ा रहा है, जो दोनों पक्षों के बीच तनाव का मूल कारण है.’
हालांकि, नए चीनी गांव के आसपास के क्षेत्र में भारतीय सड़क या बुनियादी ढांचे के विकास के कोई संकेत नहीं हैं.
वास्तव में नवंबर 2020 में जब सैटेलाइट तस्वीर ली गई थी तब अरुणाचल प्रदेश से भाजपा सांसद तापिर गाओ ने राज्य में चीनी अतिक्रमण को लेकर लोकसभा को चेतावनी दी थी और उन्होंने खास तौर पर ऊपरी सुबरसिरी जिले का उल्लेख किया था.
अरुणाचल प्रदेश के छात्र संगठन ने की चीन पर कार्रवाई की मांग
अखिल अरुणाचल प्रदेश छात्र संघ (एएपीएसयू) ने गुरुवार को कहा कि उसने चीन द्वारा पूर्वोत्तर राज्य में एक गांव स्थापित किए जाने संबंधी खबर को गंभीरता से लिया है और केंद्र सरकार को चीन के ‘विस्तारवादी’ कदम के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए.
एएपीएसयू ने चीन के ‘‘उकसाने वाले’’ कदमों की निंदा की और आरोप लगाया कि केंद्र ‘चीन की हरकतों के खिलाफ केवल बातें कर रहा है और उसका सुस्त एवं टाल-मटोल करने वाला नजरिया’’ पड़ोसी देश को उसकी ‘विस्तारवादी योजना’ को आगे बढ़ाने की हिम्मत दे रहा है.
संगठन के प्रमुख हावा बागांग ने एक बयान में कहा, ‘हमारे राज्य पर चीन के दावे ने खासकर नत्थी वीजा के मामले और सियांग नदी मामले समेत असंख्य समस्याएं पैदा की हैं, जिनपर अब भी कोई फैसला नहीं हुआ है, जबकि एएपीएसयू ने कई बार उच्च स्तर पर यह मामला उठाया है.’
बागांग ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और यहां के लोग देशभक्त भारतीय हैं.
उन्होंने कहा, ‘यदि देश की रक्षा के लिए राज्य के युवाओं की आवश्यकता पड़ती है तो हम इसके लिए हथियार उठाने को भी तैयार हैं.’
एएपीएसयू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वह सीमावर्ती राज्य में न केवल सैन्य तैनाती के मामलों को गंभीरता से लें, बल्कि चीन की तरह ही बुनियादी ढांचे के विकास एवं सड़क संपर्क क्षमता बढ़ाने पर भी ध्यान दें.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)