कोरोना ने असमानता की खाई बढ़ाई, अमीरों की संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोतरीः ऑक्सफैम रिपोर्ट

गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम की ‘द इनइक्वैलिटी वायरस’ नाम की रिपोर्ट में कहा गया कि बीते एक साल में शिक्षा का स्वरूप ऑनलाइन होने से भारत में डिजिटल विभाजन से असमानता भी बढ़ी है. भारत के 20 फ़ीसदी सबसे ग़रीब परिवारों में से सिर्फ़ तीन प्रतिशत के पास ही कंप्यूटर और सिर्फ़ नौ फ़ीसदी के पास ही इंटरनेट की पहुंच रही.

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Dadri: Migrant workers wait in a queue while being lodged at a camp by the Uttar Pradesh government, during ongoing COVID-19 lockdown, at Dadri in Gautam Buddha Nagar district, Wednesday, May 20, 2020. (PTI Photo/Atul Yadav) (PTI20-05-2020_000214B)

गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम की ‘द इनइक्वैलिटी वायरस’ नाम की रिपोर्ट में कहा गया कि बीते एक साल में शिक्षा का स्वरूप ऑनलाइन होने से भारत में डिजिटल विभाजन से असमानता भी बढ़ी है. भारत के 20 फ़ीसदी सबसे ग़रीब परिवारों में से सिर्फ़ तीन प्रतिशत के पास ही कंप्यूटर और सिर्फ़ नौ फ़ीसदी के पास ही इंटरनेट की पहुंच रही.

लॉकडाउन के दौरान पलायन करते कामगार (फोटो: पीटीआई)
लॉकडाउन के दौरान पलायन करते कामगार (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः गरीबी उन्मूलन के लिए काम करने वाला गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम की ताजा रिपोर्ट से पता चला है कि कोरोना वायरस महामारी ने भारत और दुनियाभर में मौजूदा असमानताओं को और गहरा किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘द इनइक्वैलिटी वायरस’ नाम की इस रिपोर्ट से पता चला है कि कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था की रफ्तार थम गई है, बड़ी संख्या में गरीब भारतीय बेरोजगार हो गए हैं, तो दूसरी ओर भारत के अरबपतियों की संपत्ति में 35 फीसदी का इजाफा हुआ है.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘लॉकडाउन के दौरान भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 35 फीसदी बढ़ी है और 2009 से इन अरबपतियों की संपत्ति 90 फीसदी बढ़कर 422.9 अरब डॉलर हो गई है, जिसके बाद भारत अरबपतियों की संपत्ति के मामले में विश्व में अमेरिका, चीन, जर्मनी, रूस और फ्रांस के बाद छठे स्थान पर पहुंच गया है.’

ऑक्सफैम की गणना के मुताबिक, मार्च 2019 से जब से केंद्र सरकार ने लॉकडाउन का ऐलान किया. भारत के शीर्ष 100 अरबपतियों की संपत्ति 12.97 ट्रिलियन बढ़ी है. यह धनराशि इतनी अधिक है कि इससे देश के 13.8 करोड़ गरीब भारतीयों में से हरेक को 94,045 रुपये का चेक दिया जा सकता है.

रिपोर्ट में आय की असमता का जिक्र करते हुए बताया गया कि महामारी के दौरान मुकेश अंबानी को एक घंटे में जितनी आमदनी हुई, उतनी कमाई करने में एक अकुशल मजदूर को दस हजार साल लग जाएंगे, या मुकेश अंबानी ने जितनी आय एक सेकेंड में हासिल की, उसे पाने में एक अकुशल मजदूर को तीन साल लगेंगे.

रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी पिछले सौ वर्षों का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट है और इसके चलते 1930 की महामंदी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक संकट पैदा हुआ.

रिपोर्ट के लिए ऑक्सफैम द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 79 देशों के 295 अर्थशास्त्रियों ने अपनी राय दी, जिसमें जेफरी डेविड, जयति घोष और गेब्रियल ज़ुक्मैन सहित 87 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महामारी के चलते अपने देश में आय असमनता में बड़ी या बहुत बड़ी बढ़ोतरी का अनुमान जताया.

रिपोर्ट के मुताबिक मुकेश अंबानी, गौतम अडाणी, शिव नादर, सायरस पूनावाला, उदय कोटक, अजीम प्रेमजी, सुनील मित्तल, राधाकृष्ण दमानी, कुमार मंगलम बिरला और लक्ष्मी मित्तल जैसे अरबपतियों की संपत्ति मार्च 2020 के बाद महामारी और लॉकडाउन के दौरान तेजी से बढ़ी.

रिपोर्ट कहती है कि दूसरी ओर अप्रैल 2020 में हर घंटे 170,000 लोग बेरोजगार हो गए.

ऑक्सफैम की गणना के मुताबिक, वास्तव में महामारी के दौरान भारत के शीर्ष 11 अरबपतियों की संपत्ति में हुई बढ़ोतरी से अगले 10 सालों के लिए नरेगा योजना या स्वास्थ्य मंत्रालय को चलाया जा सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 ने लगभग हर देश में आर्थिक असमानता को बढ़ाया है.

लॉकडाउन के दौरान भारत की सबसे बड़ी असंगठित वर्कफोर्स को सबसे अधिक नुकसान हुआ. इस दौरान 12.2 करोड़ रोजगारों का नुकसान हुआ, जिसमें से 75 फीसदी असंगठित क्षेत्र से थे.

असंगठित श्रमिकों के पास घर से काम करने के कम अवसर थे और संगठित क्षेत्र की तुलना में उनका रोजगार अधिक प्रभावित हुआ. निर्माण स्थलों, कारखानों आदि में मजदूरी में लगे चार से पांच करोड़ प्रवासी मजदूर विशेष रूप से प्रभावित हुए.

कोरोना से स्वास्थ्य एवं शिक्षा असमानता बढ़ी

बीते एक साल में शिक्षा का स्वरूप ऑनलाइन होने से भारत में डिजिटल विभाजन से असमानता बढ़ी है. एक तरफ बायजू (मौजूदा वैल्यू 10.8 अरब डॉलर) और अनएकेडमी (1.4 अरब डॉलर वैल्यू) जैसी निजी शिक्षा प्रदाता कंपनियों ने असाधारण ग्रोथ देखा है तो दूसरी तरफ भारत के 20 फीसदी सबसे गरीब परिवारों में से सिर्फ तीन फीसदी के पास ही कंप्यूटर और सिर्फ नौ फीसदी के पास इंटरनेट की पहुंच रही.

हेल्थकेयर के संदर्भ में ऑक्सफैम को पता चला कि मौजूदा समय में भारत कोरोना वायरस से दुनिया का दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है और वैश्विक स्तर पर गरीब, हाशिये पर मौजूद और कमजोर समुदायों में कोरोना की दर सबसे अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बीमारी का प्रसार गरीब समुदायों के बीच तेजी से हुआ. अक्सर घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रहने वाले गंदगी भरी स्थितियों में रहते हैं और साझा शौचालय तथा पानी का उपयोग करते हैं. इस संबंध में पता चला है कि भारत में शीर्ष 20 प्रतिशत परिवारों के 93 फीसदी की तुलना में सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों में से सिर्फ छह फीसदी परिवार बेहतर स्वच्छता की स्थिति में रहे.

कोरोना से लैंगिक असमानता बढ़ी

कोरोना वायरस महामारी की वजह से लैंगिक असमानता की बात करें तो महिलाओं में बेरोजगारी दर 15 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी हो गई. रिपोर्ट में कहा गया, ‘महिलाओं की बेरोजगारी में बढ़ोतरी से भारत की जीडीपी में लगभग आठ फीसदी यानी 218 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है.’

इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज ट्रस्ट द्वारा कराई गए सर्वे के मुताबिक, इस दौरान जिन महिलाओं की नौकरियां बरकरार रहीं, उनमें से 83 फीसदी की आय में कटौती की गई.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘आय का स्रोत छिन जाने और नौकरी जाने के अलावा नियमित स्वास्थ्य सेवाओं और आंगनबाड़ी केंद्रों की सेवाओं के बाधित होने की वजह से गरीब महिलाओं का स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है.’

रिपोर्ट में कहा गया, ‘ऐसा अनुमान है कि परिवार नियोजन सेवाओं के बंद होने से 2.95 करोड़ अनचाहे गर्भधारण, 18 लाख गर्भपात (जिसमें से 10 लाख 40 हजार असुरक्षित गर्भपात शामिल है) और 2,165 मातृ मृत्यु की संभावना है.’

इतना ही नहीं कोरोना की वजह से महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले भी बढ़े हैं. 30 नवंबर 2020 से घरेलू हिंसा के मामले बीते 12 महीनों में लगभग 60 फीसदी बढ़े हैं.

ऑक्सफैम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ बेहर ने कहा, ‘इस रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि अन्यायपूर्ण आर्थिक व्यवस्था से कैसे सबसे बड़े आर्थिक संकट के दौरान सबसे धनी लोगों ने बहुत अधिक संपत्ति अर्जित की, जबकि करोड़ों लोग बेहद मुश्किल से गुजर-बसर कर रहे हैं.’

बेहर ने कहा, ‘कोरोना वायरस को शुरुआत में समानता लाने वाला माना गया, लेकिन लॉकडाउन लगाए जाने के बाद इसने समाज में फैली असमानता को और बढ़ाया.’

बता दें कि ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट ऑक्सफैम इंटरनेशनल रिपोर्ट का हिस्सा है, जिसे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के उद्घाटन दिवस पर ‘दावोस संवाद’ के दौरान जारी किया गया.

ऑक्सफैम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने कहा, ‘अमीर और गरीब के बीच गहरी खाई कोरोना जितनी घातक हो रही है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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