गणतंत्र दिवस के मौके पर केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में दिल्ली पुलिस ने योगेंद्र यादव समेत नौ किसान नेताओं के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की है और तक़रीबन 200 लोगों को हिरासत में लिया है. हिंसा के दौरान लगभग 300 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.
नई दिल्लीः केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में पुलिस ने अब तक 22 एफआईआर दर्ज की है और तकरीबन 200 लोगों को हिरासत में लिया है.
दिल्ली पुलिस ने एक और एफआईआर दर्ज की है, जिसमें स्वराज अभियान पार्टी के नेता योगेंद्र यादव समेत नौ किसान नेताओं को नामजद किया गया है.
इसके अलावा ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के एक दिन बाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हिंसा की न्यायिक जांच के लिए शीर्ष अदालत के किसी रिटायर जज की अध्यक्षता में एक आयोग गठित करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है.
याचिका में 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान और हिंसा के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों या संगठनों के खिलाफ प्रासंगिक दंड प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए संबंधित प्राधिकरण को निर्देश देने की भी मांग की गई है.
#JUSTIN: Delhi Police has registered an FIR – mentioning name of nine farm leaders, including Yogendra Yadav. @IndianExpress, @ieDelhi pic.twitter.com/ty68InTULU
— Mahender Singh Manral (@mahendermanral) January 27, 2021
गणतंत्र दिवस के मौके पर केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के पक्ष में मंगलवार को हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी, लेकिन कुछ ही देर में दिल्ली की सड़कों पर अराजकता फैल गई. कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया, पुलिस के साथ झड़प की, वाहनों में तोड़-फोड़ की और लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज लगा दिया था.
अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच आयोग गठित किया जाए, जो इस मामले में साक्ष्यों को एकत्र करे तथा उसे रिकॉर्ड करे और समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे. तीन सदस्यीय इस आयोग में उच्च न्यायालय के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को शामिल करने का अनुरोध किया गया है.
याचिका में कहा गया है कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन दो माह से भी अधिक समय से चल रहा है और ट्रैक्टर परेड़ के दौरान इसने ‘हिंसक रूप’ ले लिया.
इसमें कहा गया कि गणतंत्र दिवस पर पुलिस और किसानों के बीच हुई हिंसा पर पूरी दुनिया की नजरें गई हैं.
याचिका में कहा गया, ‘मामला इसलिए गंभीर है, क्योंकि जब किसान आंदोलन दो माह से भी अधिक समय से शांतिपूर्वक चल रह था तो कैसे यह हिंसक अभियान में तब्दील हो गया और इससे 26 जनवरी को हिंसा हुई. राष्ट्रीय सुरक्षा और जन हित में यह प्रश्न विचारयोग्य है कि अशांति फैलाने के लिए कौन जिम्मेदार है और कैसे और किसने किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसक अभियान में तब्दील कर दिया या किसने और कैसे ऐसे हालात पैदा कर दिए कि प्रदर्शन हिंसक हो गया.’
इसमें कहा गया, ‘दोनों ओर से आरोप लग रहे हैं इसलिए मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा के संबंध में दिल्ली पुलिस ने तकरीबन 200 लोगों को दंगा करने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिस पर हमला करने के आरोप में हिरासत में लिया है.
एडिशनल पीआरओ (दिल्ली पुलिस) अनिल मित्तल ने कहा कि मंगलवार को हुई हिंसा के संबंध में अब तक 22 एफआईआर दर्ज की गई है.
More than 300 Police personnel have been injured after being attacked by agitating farmers on January 26: Delhi Police
— ANI (@ANI) January 27, 2021
किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में लगभग 300 से पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. इस दौरान दिल्ली के आईटीओ पर एक युवक की मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए.
बैरिकेड से टकराकर ट्रैक्टर के पलटने की कथित घटना में मृतक युवक सहित अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
दिल्ली पुलिस ने एक सीसीटीवी फुटेज भी जारी किया, जिसमें कथित तौर पर आईटीओ पर बैरिकेड से टकराकर ट्रैक्टर पलटने की घटना को देखा जा सकता है.
लोकनायक अस्पताल के मेडिकल अफसर डॉ. सुरेश कुमार ने बताया था, ‘कल ट्रैक्टर परेड में घायल कुल 86 लोगों को अस्पताल लाया गया था. इनमें 74 पुलिसकर्मी और 12 प्रदर्शनकारी थे. 86 लोगों में से अकेले 22 लोक नायक अस्पताल में जबकि 64 सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए लाए गए थे.’
दिल्ली पुलिस ने बताया कि ज्यादातर पुलिसकर्मी मुकरबा चौक, गाजीपुर, आईटीओ, सीमापुरी, नांगलोई टी पॉइंट, टिकरी बॉर्डर और लाल किले पर हुई हिंसा में घायल हुए हैं.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक उपद्रवियों ने डीटीसी की आठ बसों सहित 17 निजी गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया है. गाजीपुर, सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स भी तोड़े थे.
दिल्ली पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया बीती रात (मंगलवार) से शुरू हुई.
एक पुलिस सूत्र ने बताया, पहला काम हिंसा की प्रत्येक घटना में आपराधिक मामला दर्ज करना है और इस तरह कई एफआईआर दर्ज की जाएगी. एक बार एफआईआर दर्ज होने के बाद संदिग्धों की पहचान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. हिंसा शुरू करने की साजिश को सबूतों के साथ जांचने की जरूरत है, जिसमें सीडीआर विश्लेषण और गवाहों के बयान शामिल होंगे.
दिल्ली पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसानों ने ट्रैक्टर परेड के लिए जिन शर्तों पर पहले बनी सहमति बनी थी, उनका उल्लंघन किया.
उन्होंने कहा, ‘हथियार लेकर नहीं चलना, निर्धारित मार्ग का पालन करना और ट्रॉलियों के बिना ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली में प्रवेश करना, ये कुछ शर्तें थीं जिस पर सहमति किसान नेताओं और पुलिस के बीच बनी थी, लेकिन मंगलवार को ट्रैक्टर परेड में शामिल कई प्रदर्शनकारियों द्वारा इनका उल्लंघन किया गया.’
दिल्ली पुलिस के अनुसार, ‘कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारियों के मार्च में इस शर्त का भी उल्लंघन किया गया कि एक ट्रैक्टर पर पांच से अधिक व्यक्ति सवार नहीं होंगे. यह ट्रैक्टर मार्च हिंसक हो गया और इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कई स्थानों पर झड़प हुई.’
बता दें कि इससे पहले मंगलवार दिन में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसानों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया और पुलिस के साथ झड़प की, वाहनों में तोड़ फोड़ की और लाल किले पर धार्मिक झंडे फहराए.
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान ट्रैक्टर परेड का आयोजन किया गया था.
मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले दो महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
इसे लेकर सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी मांग पर पहले की तरह डटे हुए हैं.
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)