कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर बीते दो महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों की प्रदर्शन स्थल को ख़ाली करा रहे कथित तौर पर स्थानीय लोगों के एक समूह के साथ झड़प हुई है, जिसमें एक एसएचओ गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. प्रदर्शनस्थल पर भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं और यहां किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं है.
नई दिल्लीः केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों और खुद के स्थानीय निवासी होने का दावा करने वाले लोगों के एक बड़े समूह के बीच शुक्रवार को झड़प हो गई, जिसके चलते पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े.
स्थानीय निवासी होने का दावा कर रहे लोगों का एक समूह वहां इलाके को खाली कराने के लिए पहुंचा था. झड़प के दौरान दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर पथराव भी किया.
एक अधिकारी ने बताया कि एक व्यक्ति ने दिल्ली पुलिस के अलीपुर थाना प्रभारी (एसएचओ) प्रदीप पालीवाल पर तलवार से हमला किया, जिससे वह घायल हो गए. साथ ही कुछ अन्य लोग भी घायल हुए हैं. अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने एसएचओ पर हमला करने वाले व्यक्ति को हिरासत में ले लिया गया है.
#WATCH | Delhi: A group of people gather at Tikri border demanding that the area be vacated. pic.twitter.com/llBC6Q7g5f
— ANI (@ANI) January 29, 2021
स्थानीय निवासी होने का दावा कर रहे लोगों का समूह सिंघू बॉर्डर को खाली कराने के लिए वहां पहुंचा था. इन लोगों ने आरोप लगाया कि उन्होंने (प्रदर्शनकारी किसानों ने) गणतंत्र दिवस पर ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया.
डंडों से लैस स्थानीय लोगों का समूह प्रदर्शन स्थल पर पहुंचा और किसानों के खिलाफ नारे लगाते हुए उनसे वहां से जाने को कहा. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पथराव भी किए. सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पर काफी हद तक बाहर से प्रवेश रोका गया है, लेकिन स्थानीय लोगों का प्रतिरोध करने के लिए बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी वहां आ रहे थे.
हालांकि, किसान यूनियन के स्वयंसेवियों ने उन्हें फौरन रोक दिया, जिससे स्थिति ज्यादा उग्र नहीं हो पाई.
Delhi: Alipur SHO has been injured after a scuffle broke out at Singhu border where farmers are protesting against farm laws.
— ANI (@ANI) January 29, 2021
पंजाब के रहने वाले 21 वर्षीय हरकीरत मान बेनीवाल ने कहा, ‘वे स्थानीय लोग नहीं हैं, बल्कि भाड़े पर बुलाए गए गुंडे हैं. वे लोग हम पर पथराव कर रहे थे और पेट्रोल बम फेंक रहे थे. उन्होंने हमारी ट्रॉली भी जलाने की कोशिश की. हम उनका प्रतिरोध करने के लिए यहां हैं.’
सिंघू बॉर्डर के अलावा टिकरी बॉर्डर और दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर भी भारी सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है. इससे पहले गुरुवार को स्थानीय लोगों ने किसानों से सिंघू बॉर्डर खाली करने की मांग की थी.
किसान का भरोसा देश की पूँजी है।
इनके भरोसे को तोड़ना अपराध है।
इनकी आवाज न सुनना पाप है।
इनको डराना धमकाना महापाप है।किसान पर हमला, देश पर हमला है।
प्रधानमंत्री जी, देश को कमजोर मत कीजिए।— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) January 29, 2021
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने किसान आंदोलन पर हमले को लेकर ट्वीट कर कहा, ‘किसान का भरोसा देश की पूंजी है. इनके भरोसे को तोड़ना अपराध है. इनकी आवाज न सुनना पाप है. इनको डराना-धमकाना महापाप है. किसान पर हमला, देश पर हमला है. प्रधानमंत्री जी, देश को कमजोर मत कीजिए.’
सिंघू बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी, किसी को प्रदर्शन स्थल पर जाने की अनुमति नहीं
किसान आंदोलन के प्रमुख केंद्र ‘सिंघू बॉर्डर’ पर बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था किए जाने, सभी तरफ बैरीकेड लगाए जाने, सभी प्रवेश मार्गों को बंद करने एवं हजारों सुरक्षाकर्मियों के मार्च करने के साथ शुक्रवार को यह जगह एक तरह से किले में तब्दील कर दी गई.
स्थानीय लोगों और प्रदर्शनकारियों के बीच आज हुई झड़प के बाद सुरक्षाकर्मी अत्यंत चौकसी बरत रहे हैं.
दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा में 394 पुलिसकर्मियों के घायल होने एवं एक प्रदर्शनकारी की मौत होने के बाद इस प्रदर्शन स्थल पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और पाबंदियां लगा दी गई हैं. वहां कंक्रीट के कई बैरीकेड एवं अन्य अवरोधक लगाए गए हैं तथा किसी को भी, यहां तक कि मीडियाकर्मियों को भी प्रदर्शनस्थल पर नहीं जाने दिया जा रहा है.
बैरीकेड के दूसरी तरफ खड़े हरियाणा के कैथल के निवासी 26 वर्षीय मंजीत ढिल्लों ने कहा, ‘ये लाठियां, आंसू गैस के गोले और हथियार हमें डरा नहीं सकते. हम नहीं झुकेंगे, हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पूरी होने तक नहीं जाएंगे.’
वैसे तो कुछ प्रदर्शनकारियों के बीच बेचैनी नजर आ रही है, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के संबंधित मंचों पर कुछ नहीं बदला है. उन मंचों पर पहले की तरह ही ऊंची आवाज में भाषण दिए जा रहे हैं.
एसककेएम ने केएमएससी, अभिनेता से नेता बने दीप सिद्धू और केंद्र सरकार पर 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा का ठीकरा फोड़ा था.
इससे पहले बृहस्पतिवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में आरोप लगाया था, ‘हम दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे जा रहे नोटिसों से डरेंगे नहीं और इनका जवाब देंगे. भाजपा सरकार (केंद्र की) राज्यों की अपनी सरकारों के साथ मिलकर 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा का दोष संयुक्त किसान मोर्चा पर मढ़ कर आंदोलन को समाप्त करने का प्रयास कर रही है, जो यह अस्वीकार्य है. पुलिस विभिन्न धरनास्थलों को खाली कराने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है.’
इस पूरे क्षेत्र में केवल 18 वर्षीय राम भदोस की दुकान खुली है. उन्होंने कहा, ‘मैं दुकान नहीं खोलना चाहता था. मैं डरा हुआ हूं कि कहीं हिंसक स्थिति पैदा न हो जाए. (लेकिन) उन्होंने (सुरक्षाकर्मियों) मुझे चाय की दुकान खोलने और उन्हें चाय पिलाने को कहा. उन्होंने कहा कि वे मेरी रक्षा करेंगे.’
तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर मंगलवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर परेड हिंसक हो गई थी और प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया था, गाड़ियां पलट दी थीं एवं ऐतिहासिक लालकिले के प्राचीर पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया था.
पुलिस ने बृहस्पतिवार को किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया और यूएपीए के तहत एक मामला दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के पीछे की ‘साजिश’ की जांच स्पेशल सेल से कराने की घोषणा की थी.
इस हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने अब तक 33 प्राथमिकियां दर्ज की हैं और किसान नेताओं समेत 44 लोगों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किए हैं.
इन प्राथमिकियां में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर समेत 37 किसान नेताओं के नाम दर्ज किए हैं. इस प्राथमिकी में हत्या की कोशिश, दंगा और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं. अधिकारियों के अनुसार, जिन किसान नेताओं के नाम एफआईआर में दर्ज हैं, उन्हें अपने पासपोर्ट भी प्रशासन का जमा करने होंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)