पत्रकार अर्णब गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में ज़मानत मिलने के संबंध में स्टैंडअप काॅमेडियन कुणाल कामरा की तरह ही कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के ख़िलाफ़ भी कथित अपमानजनक ट्वीट को लेकर अदालत की अवमानना संबंधी कार्यवाही करने का आग्रह सुप्रीम कोर्ट से किया गया है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि अदालतों की आलोचना बढ़ती जा रही है और अब हर कोई ऐसा कर रहा है. इसके साथ ही अदालत ने कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा को एक याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया, जिसमें न्यायपालिका के खिलाफ उनके कथित अपमानजनक ट्वीट पर अवमानना संबंधी कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है.
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने उन याचिकाओं पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दी, जिनमें ‘स्टैंड अप कॉमेडियन’ कुणाल कामरा के खिलाफ अवमानना संबंधी कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें कलाकार की तरफ से जवाब मिल गया है, जिसके बाद अदालत ने सुनवाई दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दी.
कामरा मामले में कुछ याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकील निशांत कंटेश्वरकर ने जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ को सूचित किया कि कॉमेडियन का जवाब मिल गया है और मामले पर सुनवाई दो हफ्ते बाद सूचीबद्ध की जाए.
पीठ इस पर सहमत हो गई और कहा कि वह दो हफ्ते बाद मामले पर सुनवाई करेगी.
इसके साथ ही एक अन्य याचिका पर कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनके खिलाफ दायर याचिका पर वह जवाब पेश करेंगे. बहरहाल, पीठ ने कहा कि आलोचना बढ़ती जा रही है और हर कोई ऐसा कर रहा है.
रोहतगी ने कहा कि अदालत की आलोचना कभी भी अवमानना नहीं हो सकती है और वह 25 वर्ष की युवती है. उन्होंने कहा कि आम धारणा है कि अदालत की छुट्टियों के दौरान एक पत्रकार की याचिका पर सुनवाई क्यों की गई.
पीठ ने कहा, ‘अगर आप जवाब दाखिल नहीं करना चाहते हैं तो हम आगे बढ़ेंगे. बेहतर है कि आप जवाब दाखिल करें.’
रोहतगी ने कहा कि वह जवाब दाखिल करेंगे और उन्होंने इसके लिए तीन हफ्ते का समय मांगा. पीठ ने कहा कि वह तीन हफ्ते बाद मामले को सूचीबद्ध करेगा.
उच्चतम न्यायालय के खिलाफ स्टैंडअप काॅमेडियन कुणाल कामरा और तनेजा के कथित अपमानजनक ट्वीट को लेकर शीर्ष अदालत ने पिछले साल 18 दिसंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किए थे. दो अलग-अलग मामलों में शीर्ष अदालत ने नोटिस पर छह हफ्ते के अंदर उनका जवाब मांगा था और उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी थी.
शीर्ष अदालत ने कहा था कि अलग-अलग मामलों में दोनों कलाकारों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अपनी सहमति दे दी है.
किसी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए या तो अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति धारा 15 के तहत आवश्यक है.
उच्चतम न्यायालय की आपराधिक अवमानना में दो हजार रुपये तक का जुर्माना और छह महीने तक की कैद हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों साल 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को अंतरिम जमानत दे दी थी. सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने निराशा जताते हुए कहा था कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोस्वामी को जमानत देते हुए व्यक्तिगत स्वतंत्रता मामले में हस्तक्षेप नहीं किया था.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कामरा ने सिलसिलेवार कई ट्वीट कर कहा था कि इस देश का सुप्रीम कोर्ट सबसे बड़ा मजाक बन गया है.
इसी तरह कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ भी अवमानना कार्यवाही की मांग की गई थी. यह मामला भी अर्णब गोस्वामी और सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा हुआ है.
कथित अपमानजनक कार्टूनों में से एक में बीच में खड़े अर्णब गोस्वामी भाजपा की ओर इशारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहते नजर आ रहे हैं कि ‘तू जानता नहीं मेरा बाप कौन है?’
यह ट्वीट उसी दिन किया गया था जिस दिन अटॉर्नी जनरल ने कामरा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की मंजूरी दी थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)