अकाल तख़्त जत्थेदार ने कहा- लाल क़िले पर निशान साहिब फ़हराना कोई अपराध नहीं

अकाल तख़्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति हर साल फतेह मार्च का आयोजन निशान साहिब के साथ लाल क़िले में करती है. इसे गलवान घाटी में फहराया जाता है. इस साल गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा निशान साहिब था. इसे खालिस्तान का झंडा कहकर आलोचना करना सही नहीं है.

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New Delhi: Farmers hoist flags at the Red Fort during the 'tractor rally' amid the 72nd Republic Day celebrations, in New Delhi, Tuesday, Jan. 26, 2021. (PTI Photo/Arun Sharma)(PTI01_26_2021_000385B)

अकाल तख़्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति हर साल फतेह मार्च का आयोजन निशान साहिब के साथ लाल क़िले में करती है. इसे गलवान घाटी में फहराया जाता है. इस साल गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा निशान साहिब था. इसे खालिस्तान का झंडा कहकर आलोचना करना सही नहीं है.

अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह. (फोटो: पीटीआई)
अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह. (फोटो: पीटीआई)

अमृतसर: अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने गणतंत्र दिवस पर किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की निंदा की, लेकिन यह भी कहा कि लाल किले में किसी खाली पोल पर निशान साहिब को फहराना कोई अपराध नहीं था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सिंह ने केंद्र सरकार और किसान यूनियनों से एक कदम पीछे हटने और नरम रुख अपनाने का आग्रह किया.

जत्थेदार ने एक बयान में कहा, ‘लाल किले पर किसानों या पुलिस द्वारा हिंसा को उचित नहीं ठहराया जा सकता है, लेकिन लाल किले पर खाली पोल पर निशान साहिब को फहराने का विवाद कोई मुद्दा नहीं है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति हर साल फतेह मार्च का आयोजन निशान साहिब के साथ लाल किले में करती है. निशान साहिब को गलवान घाटी में फहराया जाता है. इस साल गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा निशान साहिब था. निशान साहिब को खालिस्तान का झंडा कहकर आलोचना करना सही नहीं है.’

जत्थेदार ने कहा, ‘गुरुद्वारों पर, मोटरसाइकिलों पर या सामुदायिक रसोई में निशान साहिब को फहराने का अर्थ और महत्व है. इसका मतलब है कि उस जगह में अमरता या पाप के लिए कोई जगह नहीं है. निशान साहिब का अर्थ है- भूखों के लिए भोजन, बेघर के लिए आश्रय और बीमारों के लिए दवा. इसलिए यह अपराध नहीं है, अगर किसी ने लाल किले में निशान साहिब को फहराया है.’

हिंसा पर उन्होंने कहा, ‘जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं, तो असली अपराधी हमेशा बच जाते हैं और निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता है. कई निर्दोष लोगों को गणतंत्र दिवस की घटना के संबंध में गिरफ्तार किया गया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण प्रगति है. गणतंत्र दिवस पर जो कुछ भी हुआ, वह नहीं होना चाहिए था.’

इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार और किसान संगठनों को झगड़े में सख्ती छोड़ने की सलाह दी.

जत्थेदार ने कहा, ‘आंदोलन में व्यवस्था बहाल करने के लिए यह समय की मांग है कि किसान संगठन एक-दूसरे पर दोषारोपण से बचें और सावधानीपूर्वक और शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ें. बातचीत से ही मामला सुलझने वाला है. सरकार को एक कदम पीछे हटना चाहिए. यह बुद्धिमानी होगी, अगर हम भी एक कदम पीछे हटें.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मामले का समाधान होना चाहिए, ताकि दिल्ली की सीमाओं पर बैठे सिख और सभी किसान वापस अपने घरों को लौट सकें. मैं इस बात को दोहराना चाहता हूं कि बातचीत से मामला सुलझ सकता है. वार्ता का द्वार खुला रखा जाना चाहिए. हठधर्मिता छोड़ दें.’

उन्होंने आगे कहा, ‘गणतंत्र दिवस की घटनाओं ने आंदोलन को चोट पहुंचाई है. आंदोलन के क्रम को बनाए रखना नेताओं की जिम्मेदारी है. सकारात्मक परिणाम के लिए नेताओं को श्रेय मिलता है और आंदोलन के दौरान कुछ भी दुर्भाग्यपूर्ण होने पर उन्हें परिणाम भुगतना पड़ता है.’

मालूम हो कि तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर मंगलवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर परेड हिंसक हो गई थी और प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया था, गाड़ियां पलट दी थीं एवं ऐतिहासिक लालकिले के प्राचीर पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया था.

पुलिस ने 28 जनवरी को किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया और यूएपीए के तहत एक मामला दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के पीछे की ‘साजिश’ की जांच स्पेशल सेल से कराने की घोषणा की थी.

इस हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने अब तक 33 प्राथमिकियां दर्ज की हैं और किसान नेताओं समेत 44 लोगों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किए हैं.

इन प्राथमिकियां में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर समेत 37 किसान नेताओं के नाम दर्ज किए हैं. इस प्राथमिकी में हत्या की कोशिश, दंगा और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं. अधिकारियों के अनुसार, जिन किसान नेताओं के नाम एफआईआर में दर्ज हैं, उन्हें अपने पासपोर्ट भी प्रशासन का जमा करने होंगे.