म्यामांर की सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए कहा है कि उसने देश में नवंबर में हुए चुनावों में धोखाधड़ी की वजह से सत्ता कमांडर इन चीफ मिन आंग ह्लाइंग को सौंप दी है. भारत ने इस बारे में चिंता जताते हुए कहा है कि क़ानून और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बरक़रार रखना चाहिए.
नेपीताः म्यामांर में सेना ने सोमवार तड़के तख्तापलट कर देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू ची को नजरबंद कर लिया है और सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है. सेना के स्वामित्व वाले मयावाडी टीवी ने सोमवार सुबह इसकी घोषणा की.
सेना ने सोमवार को कहा कि उसने देश में नवंबर में हुए चुनावों में धोखाधड़ी की वजह से देश की सत्ता कमांडर इन चीफ मिन आंग ह्लाइंग को सौंप दी है.
राजधानी में संचार के सभी माध्यम काट दिए गये हैं. नेपीता में फोन और इंटरनेट सेवा बंद है. स्टेट काउंसलर सू ची (75) की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) से संपर्क नहीं हो पा रहा है.
आंग सू की पार्टी एनएलडी के प्रवक्ता म्यो निंट ने एएफपी को बताया कि सू ची और राष्ट्रपति विन मिंट को हिरासत में ले लिया गया.
पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव के बाद म्यामांर के सांसद नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए सोमवार को इकट्ठा होने वाले थे.
ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘म्यामां नाउ’ ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया कि सू ची और उनकी पार्टी के अध्यक्ष को सोमवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि पोर्टल पर कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है.
म्यामांर विजुअल टेलीविजन और म्यामांर वॉइस रेडियो ने सुबह करीब साढ़े छह बजे फेसबुक पर पोस्ट किया कि उनके कार्यक्रम नियमित प्रसारण के लिए उपलब्ध नहीं हैं.
बता दें कि सू ची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी, जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था लेकिन 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गई है.
कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है.
भारत सहित विभिन्न देशों ने म्यांमार घटनाक्रम पर चिंता जताई
भारत के विदेश मंत्रालय ने म्यांमार की स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि वो स्थिति पर नज़र रख रहा है.
We have noted the developments in Myanmar with deep concern. India has always been steadfast in its support to the process of democratic transition in Myanmar. We believe that the rule of law and the democratic process must be upheld. We are monitoring the situation closely: MEA pic.twitter.com/annipyQAh8
— ANI (@ANI) February 1, 2021
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, ‘हम म्यांमार के घटनाक्रमों को लेकर गहरी चिंता प्रकट करते हैं. भारत हमेशा से म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन की प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है. हमारा विश्वास है कि कानून और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखना चाहिए. हम स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं.’
संयुक्त राष्ट्र ने आंग सान सू ची और देश के अन्य राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लिए जाने की निंदा की.
The Secretary-General strongly condemns the detention of State Counsellor Daw Aung San Suu Kyi, President U Win Myint and other political leaders on the eve of the opening session of Myanmar’s new Parliament: Spokesperson for the UN Secretary-General
— ANI (@ANI) February 1, 2021
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने कहा, ‘महासचिव म्यांमार की नई संसद के उद्घाटन सत्र की पूर्वसंध्या पर स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची, राष्ट्रपति यू विन मिंट और अन्य नेताओं को हिरासत में लिए जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं.’
वहीं, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों ने भी इन घटनाक्रों पर चिंता व्यक्त की है और म्यामांर की सेना से कानून के शासन का सम्मान करने का अनुरोध किया है.
अमेरिका में व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने बयान में कहा कि वह और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन म्यामां के घटनाक्रमों से अवगत हैं.
उन्होंने कहा, ‘म्यामांर में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के हस्तांतरण को नजरअंदाज कर सेना के तख्तापलट की खबर से अमेरिका चिंतित है. यहां तक कि स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची एवं अन्य अधिकारियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.’
बयान में कहा गया, ‘अमेरिका हालिया चुनाव के नतीजों को पलटने के प्रयास या लोकतांत्रिक तरीके से म्यामां में सत्ता के हस्तांतरण को रोकने के कदम का विरोध करता है। अगर इन कदमों को पलटा नहीं गया तो अमेरिका इसके लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा.’
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिसे पेने ने सू ची एवं हिरासत में बंद अन्य लोगों की रिहाई का आह्वान किया.
उन्होंने कहा, ‘हम नवंबर 2020 में हुए आम चुनाव के अनुरूप शांतिपूर्ण तरीके से देश की संसद नेशनल असेंबली के सत्र की शुरुआत का समर्थन करते हैं.’
म्यांमार में 2011 में लोकतांत्रिक सुधारों से पहले तक सैन्य सरकार थी. सू ची देश की सबसे अधिक प्रभावशाली नेता हैं और देश में सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं.
म्यामांर में सेना को टेटमदॉ के नाम से जाना जाता है. सेना ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था, हालांकि वह इसके सबूत देने में नाकाम रही.
देश के स्टेट यूनियन इलेक्शन कमीशन ने पिछले सप्ताह सेना के आरोपों को खारिज कर दिया था.
इन आरोपों से पिछले सप्ताह उस वक्त राजनीतिक तनाव पैदा हो गया जब सेना के एक प्रवक्ता ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में सैन्य तख्तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया.
कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर कानून को सही तरीके से लागू नहीं किया गया तो संविधान को रद्द कर दिया जाएगा. इसके साथ ही देश के कई बड़े शहरों की सड़कों पर बख्तरबंद वाहनों की तैनाती से सैन्य तख्तापलट की आशंका बढ़ गई.
हालांकि शनिवार को सेना ने तख्तापलट की धमकी देने की बात से इनकार किया और अज्ञात संगठनों एवं मीडिया पर उसके बारे में भ्रामक बातें फैलाने तथा जनरल की बातों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया.
सेना ने रविवार को भी अपनी बात दोहराते हुए तख्तापलट की आशंका को खारिज किया था और इस बार उसने विदेशी दूतावासों पर सेना के बारे में भ्रामक बातें फैलाने का आरोप लगाया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)