सफाई कर्मचारी आंदोलन के अध्ययन के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में 1470 सीवर सफाईकर्मियों की जान गई. इस दौरान दिल्ली में 74 सफाईकर्मियों की मौत सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करते समय हुई.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान सफाई कर्मचारियों की मौत की हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में सफाई कर्मचारी आंदोलन (एसकेए) ने अपने एक अध्ययन में कहा है कि बीते पांच वर्षों में सफाई करते हुए 1470 सफाईकर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.
उसकी ओर से एकत्र किए गए डेटा के अनुसार इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच पूरे देश में 54 सफाईकर्मियों की मौत हुई. एसकेए ने कहा कि सिर्फ दिल्ली में पांच वर्षों के भीतर 74 सफाईकर्मियों की मौत सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान हुई है.
संगठन ने सफाईकर्मियों की मौतों के लिए सरकारों की उदासीनता और इच्छाशक्ति की कमी को ज़िम्मेदार ठहराया है.
एसकेए के संस्थापक और मैगसेसे पुरस्कार विजेता बेज़वाड़ा विल्सन ने बताया, ‘सिर पर मैला ढोने की प्रथा को ख़त्म करने के लिए लाए संशोधित कानून के क्रियान्वयन के समय से सफाईकर्मियों की मौत का डेटा एकत्र करना आरंभ किया. पिछले साल पांच साल के आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में पूरे देश के भीतर 1470 सफाईकर्मियों की मौत सीवर में दम घुटने से हुई है.’
उन्होंने कहा, बड़े अफसोस की बात यह है कि राजधानी दिल्ली में पांच साल के भीतर 74 सफाईकर्मियों को जान गंवानी पड़ी है.
सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ऐसा लग रहा है कि सफाई कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर किसी को चिंता नहीं है. सरकारें उदासीन हैं. राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है. विल्सन ने कहा कि वह इस मामले पर प्रधानमंत्री की खामोशी से उन्हें दुख होता है.
उन्होंने कहा, ‘मैं इस मामले पर प्रधानमंत्री को आठ बार पत्र लिखा चुका हूं. वह बहुत सारे लोगों के ट्ववीट पर जवाब देते हैं, लेकिन मुझे जवाब नहीं आया है. उनकी खामोशी से दुख होता है.’
गौरतलब है कि एक महीने के भीतर सफाईकर्मियों की ड्यूटी के दौरान मौत की तीन घटनाएं हुईं. बीते छह अगस्त को लाजपत नगर इलाके में सीवर की सफाई के दौरान दम घुटने से तीन सफाईकर्मियों की मौत हो गई. इससे कुछ दिन पहले दक्षिणी दिल्ली के घिटोरनी इलाके में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान चार सफाईकर्मियों की मौत हो गई.
इसके अलावा 12 जुलाई को दिल्ली के शाहदरा इलाके में स्थित एक शॉपिंग मॉल के बेसमेंट में नाला सफाई के दौरान दो भाइयों की मौत ज़हरीली गैस के प्रभाव में आकर दम घुटने से हो गई.
विल्सन ने कहा कि यूरोप और दूसरे विकसित देशों में सफाई के लिए आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल होता है और ऐसे में वहां सफाईकर्मियों की मौत की घटनाएं न के बराबर होती हैं.
उन्होंने कहा, हमारे यहां भी हो सकता है, लेकिन सरकारों को कोई परवाह नहीं है. उनको बस अपने प्रचार-प्रसार की चीजें भाती हैं, सफाईकर्मियों को उनकी चिंता नहीं है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)