चौरी-चौरा शताब्दी: ‘सैल्यूट करते हुए वंदेमातरम गाने’ का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने को तैयार योगी सरकार

ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ फरवरी 1922 में हुई चौरी-चौरा की घटना के सौ साल पूरे होने के मौके पर यूपी सरकार शताब्दी महोत्सव आयोजित कर रही है. सरकार ने शिक्षा विभाग और जिलाधिकारियों से कहा है कि वे छात्रों समेत अन्य नागरिकों को इसमें शामिल कर ज़्यादा से ज़्यादा वीडियो अपलोड कराएं.

ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ फरवरी 1922 में हुई चौरी-चौरा की घटना के सौ साल पूरे होने के मौके पर यूपी सरकार शताब्दी महोत्सव आयोजित कर रही है. सरकार ने शिक्षा विभाग और जिलाधिकारियों से कहा है कि वे छात्रों समेत अन्य नागरिकों को इसमें शामिल कर ज़्यादा से ज़्यादा वीडियो अपलोड कराएं.

up vande mataram
(फोटो साभार: यूपी सरकार)

नई दिल्ली: ब्रिटिश हुकूमत के तानाशाही रवैये के खिलाफ फरवरी 1922 में हुई चौरी-चौरा की घटना के 100 साल पूरे होने के मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार ने शताब्दी महोत्सव का आयोजन किया है. यह चार फरवरी 2021 से 04 फरवरी 2022 तक चलेगा.

खास बात ये है कि इस मौके पर राज्य की योगी सरकार सरकार ने पूरे प्रदेश में वंदेमातरम के गायन का आयोजन किया है. इतना ही नहीं, वंदेमातरम गाते हुए लोगों का व्यक्तिगत वीडियो अपलोड कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की योजना बनाई गई है.

इस संबंध में बीते 31 जनवरी को उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने शिक्षा विभाग और राज्य के सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा और कहा कि वे इस कार्य के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें.

पत्र के मुताबिक गायन और वीडियो अपलोड करने के लिए कम्प्यूटर समेत इंटरनेट की सुविधा वाले विद्यालयों/महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों एवं अन्य उपयुक्त स्थलों को केंद्र बनाया गया है, जहां चयनित विद्यार्थियों को अपना वीडियो रिकॉर्ड कर अपलोड करवाना है. इसका एक सैंपल संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर दिया गया है.

इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक वेबसाइट मुहैया कराया है, जहां तीन फरवरी 2021 को सुबह 10 बजे से चार फरवरी 2021 को दोपहर 12 बजे तक वीडियो अपलोड किए जाएंगे.

इसके लिंक की सूचना लोगों को ई-मेल, वॉट्सऐप ग्रुप, सोशल मीडिया और विज्ञापनों के जरिये दी जा रही है. कुल 50,000 ऑनलाइन वीडियो अपलोड करने का लक्ष्य रखा गया है.

संस्कृति विभाग के सहायक निदेशक अमित कुमार अग्निहोत्री ने बताया, ‘हम वॉट्सऐप ग्रुपों में इसकी जानकारी भेजकर लोगों को इस अभियान में शामिल होने की अपील कर रहे हैं. इसके अलावा जिला स्तर पर और मंत्रालय की वेबसाइट से भी इस कार्यक्रम के बारे में लोगों को बताया जा रहा है.’

अग्निहोत्री ने बताया कि फिलहाल ये रिकॉर्ड बीजिंग के नाम है, जहां करीब 10,300 लोगों ने सैल्यूट करते हुए गायन किया था. लेकिन इसकी पूरी संभावना है कि अब ये रिकॉर्ड टूट जाएगा.

प्रमुख सचिव के पत्र के मुताबिक वीडियो में लोगों को सैल्यूट मुद्रा में वंदेमातरम के पहले छंद ‘वंदेमातरम, वंदेमातरम, सुजलाम, सुफलाम, मलयजशीतलाम, शस्यशामलां मातरम, वंदेमातरम, वंदेमातरम’ का गायन करना है, जिसकी न्यूनतम अवधि 20 सेकंड होगी.

मेश्राम ने इस बात पर जोर दिया कि गायन करने वाले प्रतिभागी का ‘सैल्यूट मुद्रा’ में होना आवश्यक है, नहीं तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. नोडल अधिकारी को भी इस पर ध्यान देने के लिए कहा गया है.

सरकार ने कहा है कि कोई भी नागरिक अपने घर, कार्यालय, पार्क, स्कूल, कॉलेज, खेत आदि के गरिमायुक्त बैकग्राउंड में सैल्यूट करते हुए वंदेमातरम गाकर इसे अपलोड कर सकता है.

पर्यटन एवं संस्कृति विभाग ने कहा, ‘जिस शैक्षणिक संस्था द्वारा सर्वाधिक वीडियो भेजा जाएंगे और उसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा मान्य किया जाता है, तो उसे राज्य सरकार द्वारा सम्मानित किया जाएगा.’

एक साल लंबा चलने वाले इस महोत्सव का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार फरवरी 2021 को करेंगे.

इस दौरान सुबह 10 बजे गोरखपुर जिले के चौरी चौरा स्थित स्मारक के साथ ही प्रदेश के सभी शहीद स्मारकों पर वंदेमातरम का का गायन होगा. इस कार्यक्रम का सभी जिलों के शहीद स्थल और शैक्षणिक संस्थानों पर लाइव प्रसारण किया जाएगा.

मालूम हो कि ‘वंदेमातरम’ गाने को लेकर हिंदुत्ववादी और भाजपा नेताओं ने कई बार मुसलमानों को निशाने पर लिया और उनकी देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता पर सवाल उठाया है.

वैसे तो ‘वंदेमातरम’ एक राष्ट्रीय गीत है, लेकिन इसके बोल में ‘एक धर्म विशेष’ का भाव है, जिसे लेकर मुस्लिम के अलावा अन्य धर्मों के लोगों ने भी आपत्ति जताई है. वहीं राष्ट्रगान को लेकर ऐसा कोई विवाद नहीं है.

चौरी-चौरा कांड क्या था?

साल 1920 के सिंतबर महीने की चार तारीख को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में एक सहमति बनी कि भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में शांतिपूर्ण असहयोग आंदोलन चलेगा, जिसका व्यापक प्रभाव सामने आया.

छात्रों ने ब्रिटिश प्रणाली के स्कूल और कॉलेज का बहिष्कार किया. सरकारी सेवाओं को लेना बंद कर दिया. मजदूर हड़ताल पर चले गए. तमाम नौकरीपेशा लोगों ने कर देना बंद दिया.

गांधी ने न्यायालय के आदेशों को भी मानना बंद कर दिया. जनता इस आंदोलन के व्यापक समर्थन में रही. देश के विभिन्न इलाकों में ब्रिटिश सरकार और उनके समर्थकों के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे.

ब्रिटिश हुकूमत ने इस प्रदर्शन को आर्थिक घाटा बताकर दबाने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे.

इसी बीच चार फरवरी 1922 को प्रदर्शन कर रहे लोगों के एक समूह को ब्रिटिश पुलिस ने गोरखपुर के चौरी-चौरा नामक कस्बे पर रोक दिया. इसके चलते प्रदर्शनकारी में रोष बढ़ता चला गया और एक समूह ने चौरी-चौरा थाने में आग लगा दी.

इतिहास की किताबों में दर्ज दस्तावेजों के मुताबिक इस घटना में कम से कम 22 पुलिसकर्मी मारे गये थे. इसमें कुछ अंग्रेज तो कुछ भारतीय भी थे.

महात्मा गांधी ने इस कृत्य को हिंसक माना और असहयोग आंदोलन के एक हप्ते बाद वापस ले लिया.

वहीं, ब्रिटिश सरकार भी अब भारतीय नागरिकों से और अधिक क्रूरता से निपटने लगी थी. इस आंदोलन को वापस लेने पर कई स्वतंत्रता सेनानियों ने गांधी का विरोध भी किया था.

चौरी- चौरा कांड के बाद ब्रिटिश पुलिस इतनी सख्त हुई कि घटना में शामिल 19 लोगों को फांसी दे दी गई. इन्ही स्वतंत्रता सेनानियों की याद में गोरखपुर में एक स्मारक बनाया गया है.