कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए सवाल किया कि सरकार दिल्ली में किलेबंदी क्यों कर रही है? क्या वह किसानों से डरती है? क्या किसान दुश्मन हैं? दिल्ली की सीमाओं पर अवरोधक लगाने और सड़कों पर कील गाड़ने के क़दम की महबूबा मुफ़्ती और मायावती जैसे नेताओं ने भी निंदा की है.
नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच बुधवार को केंद्र सरकार फिर हमला बोला और आरोप लगाया कि किसानों और पत्रकारों के साथ सरकार के व्यवहार से भारत की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा है और भाजपा एवं आरएसएस ने देश की ‘सॉफ्ट पावर’ (साख) को ध्वस्त कर दिया है.
उन्होंने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए यह सवाल भी किया कि सरकार दिल्ली में किलेबंदी क्यों कर रही है?
कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘सबसे पहला सवाल यह है कि सरकार किलेबंदी क्यों कर रही है? क्या ये किसानों से डरते हैं? क्या किसान दुश्मन हैं? किसान देश की ताकत है. इनको मारना, धमकाना सरकार का काम नहीं है. सरकार का काम बातचीत करना और समस्या का समाधान निकालना है.’
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि इन कानूनों को दो साल के लिए स्थगित करने की पेशकश अभी भी है. इसका क्या मतलब है? मेरा मानना है कि इस समस्या का समाधान जल्द करना जरूरी है. किसान पीछे नहीं हटेंगे. अंत में सरकार को पीछे हटना पड़ेगा. इसी में सबका भला है कि सरकार आज ही पीछे हट जाए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह एक फोन कॉल की दूरी क्या है? इसका क्या मतलब है? क्या वे प्रधानमंत्री से बात करना चाहते हैं? उनकी मांग इन कानूनों को वापस लेने की है.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह एक सर्वदलीय बैठक में कहा था कि तीन कृषि कानूनों को 18 महीने तक लागू न करने का सरकार का प्रस्ताव आज भी है. उन्होंने कहा था कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आगे की बातचीत करने के लिए सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी पर हैं.
यह पूछे जाने पर कि दिल्ली की सीमाओं पर अवरोधक लगाने और प्रदर्शनकारी किसानों के साथ व्यवहार से जुड़े कदमों के कारण क्या भारत की छवि पर असर पड़ा है तो राहुल गांधी ने कहा, ‘निश्चित तौर पर भारत की प्रतिष्ठा को बड़ा धक्का लगा है. सिर्फ किसानों के साथ व्यवहार की बात नहीं है, बल्कि यह भी है कि हम अपने लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, पत्रकारों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?’
उन्होंने कहा, ‘आप कह सकते हैं कि हमारी सबसे बड़ी ताकत ‘सॉफ्ट पावर’ होने की है. इसे भाजपा-आरएसएस और उनकी सोच ने ध्वस्त कर दिया है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ‘कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस देश का शासन मूल रूप से इसे संभालने में असमर्थ हैं और उनकी अक्षमता अब सामने आ रही है. उन्होंने अर्थव्यवस्था को गड़बड़ कर दिया है. उन्होंने सद्भाव को खराब कर दिया है, उन्होंने देश की रक्षा को गड़बड़ कर दिया है और वे भारत को गैर-घटनाओं से विचलित करना चाहते हैं.’
पॉप गायिका रिहाना और कुछ अन्य अंतरराष्ट्रीय हस्तियों द्वारा किसान आंदोलन का समर्थन किए जाने के बारे में पूछने पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने टिप्पणी से इनकार किया. उन्होंने हालांकि यह कहा, ‘यह आंतरिक मामला है. किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं और यह होना चाहिए.’
राहुल गांधी ने वित्त वर्ष 2021-22 के आम बजट को ‘एक फीसदी लोगों का बजट’ करार दिया और सवाल किया कि रक्षा खर्च में भारी-भरकम बढ़ोतरी नहीं करके देश का कौन सा भला किया गया और ऐसा करना कौन सी देशभक्ति है?
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को चीन को स्पष्ट संदेश देना होगा.
कांग्रेस नेता ने बजट को लेकर कहा, ‘उम्मीद थी कि सरकार देश के 99 फीसदी लोगों को सहयोग देगी. लेकिन यह बजट सिर्फ एक फीसदी आबादी का बजट है. हमारे किसानों, मजदूरों, मध्यम वर्ग, छोटे कारोबारियों और सशस्त्र बलों से पैसे छीनकर कुछ उद्योगपतियों की जेब में डाल दिया गया.’
राहुल गांधी के मुताबिक यदि अर्थव्यवस्था को गति देना है तो खपत बढ़ानी होगी. आपूर्ति पर जोर देने से यह नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने ‘न्याय’ योजना जैसा कदम उठाया होता तो अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सकती थी.
बजट में रक्षा खर्च में भारी-भरकम बढ़ोतरी नहीं होने का उल्लेख करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने दावा किया, ‘चीन भारत के अंदर है और हजारों किलोमीटर भूमि पर कब्जा किए हुए है. ऐसे में आप बजट में चीन को संदेश दे रहे हैं कि आप अंदर आ सकते हैं और कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन हम अपनी सेना को सहयोग नहीं देंगे. हमारे जवानों को यह लग रहा होगा कि हमारे सामने इतनी बड़ी कठिनाई है, लेकिन सरकार पैसे नहीं दे रही है और हमारा पैसा कुछ लोगों को दे रही है. इससे देश को फायदा नहीं होने वाला है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे जवानों की प्रतिबद्धता 100 फीसदी है और ऐसे में सरकार की प्रतिबद्धता भी 110 फीसदी होनी चाहिए. जो भी हमारे जवानों को चाहिए, वो उन्हें मिलना चाहिए. ये कौन सी देशभक्ति है कि सेना को पैसे नहीं दिए जा रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘आपका काम इस देश को एक प्रतिशत आबादी को बेचना नहीं है. आपका काम उन किसानों की रक्षा करना है, जो बाहर खड़े हैं. जाइए, उनका हाथ थामिए, उन्हें गले लगाइए और उन्हें बताइए कि ऐसा क्या है जो आप उनके लिए कर सकते हूैं? आपका काम यह सुनिश्चित करना है कि छोटे और मध्यम व्यवसाय चीन के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें.’
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी को संसद में पेश किए गए आम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसमें पेंशन के भुगतान का परिव्यय भी शामिल है. पिछले साल यह राशि 4.71 लाख करोड़ रुपये थी.
महबूबा मुफ्ती ने किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर अवरोधक लगाए जाने की निंदा की
श्रीनगर: पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर पुलिस द्वारा बहु-स्तरीय अवरोधक लगाए जाने की बुधवार को निंदा की.
Concertina wires & trenches around farmer protests have shocked everyone but the sight is far too familiar for us Kashmiris. Kashmir has been under the worst form of siege since August 2019. The scale of suppression here is unimaginable.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) February 3, 2021
उन्होंने नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए ट्विटर पर लिखा कि किसानों के प्रदर्शन स्थलों के आसपास कंटीले तार और पक्के अवरोधक लगाए जाने से हर कोई स्तब्ध है. इस तरह के दृश्य से कश्मीर के लोग अच्छी तरह परिचित हैं. उन्होंने कहा कि अगस्त 2019 से कश्मीर घेरेबंदी के सबसे बुरे रूप में है. यहां दमन का पैमाना अकल्पनीय है.
We understand the pain & humiliation inflicted on our farmers & stand in solidarity with them. GOI cannot & mustn’t be allowed to ram bills against the consent of people & ruthlessly run roughshod over those who oppose & protest.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) February 3, 2021
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने एक और ट्वीट किया, ‘हम अपने किसानों की पीड़ा और अपमान को समझ सकते हैं और उनसे सहानुभूति रखते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम अपने किसानों के दर्द और अपमान को समझते हैं और उनके साथ एकजुटता में खड़े हैं. भारत सरकार को लोगों की सहमति के विरुद्ध कृषि कानूनों को अनुमति नहीं देना चाहिए. विरोध और प्रदर्शन करने वालों की आवाज को कुचलना नहीं चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘कंटीले तारों, कीलों और अवरोधैकों के चक्रव्यूह के साथ सख्त कानूनों, अवैध हिरासत और बड़े पैमाने पर जवानों की तैनाती की गई है. केंद्रीय एजेंसियां राजनीतिक नेताओं और व्यापारियों को निशाना बना रही हैं और असहमति को दबाने के लिए पत्रकारों पर एफआईआर और यूएपीए के तहत कार्रवाई की जा रही है.’
कंटीले तारों और कीलों की बैरिकेडिंग उचित नहीं : मायावती
बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा है, ‘तीन कृषि कानूनों की वापसी की वाजिब मांग को लेकर खासकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलित किसानों के प्रति सरकारी रवैये के कारण संसद के बजट सत्र में भी जरूरी कामकाज और जनहित के खास मुद्द पहले दिन से ही काफी प्रभावित हो रहे हैं. केंद्र किसानों की मांग पूरी करके स्थिति सामान्य करे.’
2. साथ ही, लाखों आन्दोलित किसान परिवारों में दहशत फैलाने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर जो कंटीले तारों व कीलों आदि वाली जबर्दस्त बैरिकेडिंग की गई है वह उचित नहीं है। इनकी बजाए यदि आतंकियों आदि को रोकने हेतु ऐसी कार्रवाई देश की सीमाओं पर हो तो यह बेहतर होगा। 2/2
— Mayawati (@Mayawati) February 3, 2021
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘साथ ही लाखों आंदोलित किसान परिवारों में दहशत फैलाने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर जो कंटीले तारों और कीलों आदि वाली जबर्दस्त बैरिकेडिंग की गई है वह उचित नहीं है. इनकी बजाय यदि आतंकियों आदि को रोकने हेतु ऐसी कार्रवाई देश की सीमाओं पर हो तो यह बेहतर होगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)