महिला वकील ने उन पर हिंदू धर्म का अपमान करने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया है. जब पुलिस पत्रकार गौरी लंकेश हत्या मामले की जांच कर रही थी, तब उसे उन लोगों की हिट लिस्ट मिली थी, जो दक्षिणपंथी हिंदू समूहों के निशाने पर थे, इसमें केएस भगवान का भी नाम शामिल था.
नई दिल्लीः कर्नाटक के प्रसिद्ध लेखक और तर्कवादी विचारक केएस भगवान पर स्याही फेंकने का मामला सामने आया है. यह मामला चार फरवरी का है. मीरा राघवेंद्र नाम की एक वकील ने केएस भगवान के चेहरे पर उस समय काली स्याही फेंकी, जब वह बेंगलुरु की एक अदालत जा रहे थे.
आरोपी महिला ने खुद ट्वीट कर इस घटना का वीडियो शेयर किया और इसकी जिम्मेदारी ली. बताया जा रहा है कि आरोपी के खिलाफ गलत तरीके से काम करने और आपराधिक धमकी देने के मामले में केस दर्ज किया गया है.
सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो साझा किया जा रहा है. इस वीडियो में मीरा राघवेंद्र को यह कहते सुना जा सकता है कि केएस भगवान को धर्म पर अपने विचारों की वजह से शर्मिंदा होना चाहिए.
मालूम हो कि केएस भगवान कन्नड़ भाषा के प्रसिद्ध लेखक, अनुवादक और आलोचक हैं. वह अंग्रेजी के प्रोफेसर भी रह चुके हैं. उन्होंने हिंदुत्व पर काफी कुछ लिखा है. इसमें यह भी शामिल है कि कैसे शुरुआती धार्मिक नेताओं द्वारा अभी भी गहरे जाति विभाजन और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का अनुसरण किया जाता है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, जब पुलिस पत्रकार गौरी लंकेश हत्या मामले की जांच कर रही थी, तब उसे उन लोगों की हिट लिस्ट मिली थी, जो दक्षिणपंथी हिंदू समूहों के निशाने पर थे, इसमें केएस भगवान का भी नाम शामिल था. दक्षिणपंथी समूहों की इन धमकियों की वजह से ही बीते कुछ सालों से केएस भगवान को राज्य पुलिस की ओर से सुरक्षा दी गई थी.
मीरा राघवेंद्र ने पहले भी केएस भगवान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि उन्होंने हिंदुओं और हिंदू भगवान राम का अपमान किया है.
राघवेंद्र ने पहले कहा था, ‘दो महीने पहले केएस भगवान ने मैसूर में प्रेस मीटिंग में एक बयान दिया था, जहां उन्होंने दावा किया था कि हिंदू धर्म जैसा कुछ भी नहीं है. उन्होंने लोगों से हिंदू शब्द का इस्तेमाल नहीं करने को कहा था. इससे सभी हिंदुओं को ठेस पहुंची है.’
मीरा राघवेंद्र ने भगवान पर स्याही फेंकने पर कोई पछतावा नहीं जताते हुए कहा कि वह उन्हें सबक सिखाना चाहती थीं.
उन्होंने कहा, ‘वकील होने के नाते मैं न्यायपालिका का सम्मान करती हूं. कानून के अलावा एक महिला और हिंदू धर्म में जन्म लेने के नाते मैं उन्हें सबक सिखाना चाहती थी. यह उन लोगों के लिए संदेश है, जो हिंदुओं और हिंदू धर्म की आलोचना करने के लिए अनुचित स्वतंत्रता लेते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘भगवान जैसे लोग इस्लाम और ईसाई धर्म का अपमान करने का साहस नहीं करेंगे. जब भी भगवान हिंदू धर्म के बारे में गलत बात करते हैं, कोई उन्हें सबक नहीं सिखाता. अगर कोई एफआईआर दर्ज कराता है तो उनके वकील जमानत ले लेते हैं. मैं एक हिंदू महिला पहले हूं, एक वकील बाद में. मैं अपने काम को लेकर खामियाजा भुगतने को तैयार हूं.’
कर्नाटक की भाजपा सरकार भी पूर्व में लेखक और तर्कवादी विचारक केएस भगवान के खिलाफ बयानबाजी कर चुकी है.
दो हफ्ते पहले राज्य के शिक्षा मंत्री एस.सुरेश कुमार ने कहा था कि सरकारी पुस्तकालय उनकी (केएस भगवान) पुस्तक राम मंदिर एक बेद (क्यों राम मंदिर की जरूरत नहीं) नहीं खरीदेंगे, क्योंकि इससे लोगों की भावनाएं आहत होंगी.
हिंदूवादी संगठनों द्वारा उनके खिलाफ कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी.
हालांकि, दक्षिणपंथी संगठनों ने केएस भगवान के तर्कवादी विचारों की वजह से उनके खिलाफ आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन उनके काम को व्यापक तौर पर मान्यता मिल चुकी है और पूर्व में उन्हें पुरस्कृत भी किया जा चुका है.
उन्हें कर्नाटक राज्योत्सव और कर्नाटक साहित्य अकादमी सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है और वह 40 से अधिक किताबें लिख चुके हैं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)