संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कहा है कि शांतिपूर्ण एकत्र होने एवं अभिव्यक्ति के अधिकारों की हिफ़ाज़त की जानी चाहिए. यह ज़रूरी है कि सभी के मानवाधिकारों की रक्षा करते हुए न्यायसंगत समाधान तलाशा जाए.
जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति भारतीय प्राधिकारों से अधिकतम संयम बरतने की अपील की है. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि सभी के मानवाधिकारों के सम्मान में ‘न्यायसंगत समाधान’ तलाशना जरूरी है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने ट्वीट कर कहा कि शांतिपूर्ण एकत्र होने एवं अभिव्यक्ति के अधिकारों की ऑनलाइन एवं ऑफलाइन हिफाजत की जानी चाहिए.
ओएचसीएचआर ने ट्वीट किया, ‘हम प्राधिकारों एवं प्रदर्शनकारियों से किसान आंदोलन के प्रति अधिकतम संयम बरतने का आह्वान करते हैं. शांतिपूर्ण एकत्र होने एवं अभिव्यक्ति के अधिकार की ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों ही तरह से हिफाजत की जानी चाहिए. यह जरूरी है कि सभी के मानवाधिकारों की रक्षा करते हुए न्यायसंगत समाधान तलाशा जाए.’
#India: We call on the authorities and protesters to exercise maximum restraint in ongoing #FarmersProtests. The rights to peaceful assembly & expression should be protected both offline & online. It's crucial to find equitable solutions with due respect to #HumanRights for all.
— UN Human Rights (@UNHumanRights) February 5, 2021
बता दें कि इससे पहले भारत में किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच हुई हिंसक झड़प को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा था कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन, एकत्रित होने की स्वतंत्रता और अहिंसा का सम्मान करना जरूरी है.
मालूम हो कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन को कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भी समर्थन किया है. अमेरिकी पॉप स्टार रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने अपने ट्वीट के जरिये दिल्ली की सीमाओं पर तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को समर्थन दिया है.
इसके अलावा अमेरिकी प्रतिनिधि जिम अकोस्टा, ब्रिटिश सांसद क्लॉडिया वेब, कार्यकर्ता जेमी मार्गोलिन और अभिनेता जॉन कुसक ने भी किसान आंदोलन के प्रति समर्थन जताया है.
गौरतलब है कि हजारों किसान पिछले साल 28 नवंबर से दिल्ली से लगी सीमाओं पर केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने और उनकी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्यों की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं. इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं.
मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले दो महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
इसे लेकर सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी मांग पर पहले की तरह डटे हुए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)