रालोद पार्टी के पूर्व विधायक वीरपाल सिंह राठी ने कहा कि 31 जनवरी को बड़ौत तहसील में एक महापंचायत में शामिल होने से एक दिन पहले उन्हें और छह अन्य लोगों को नोटिस मिला था. महापंचायत में फैसला किया गया था कि क्षेत्र के लोग दिल्ली की सीमाओं पर जारी आंदोलन में शामिल होने के लिए गाजीपुर और सिंघू बॉर्डरों के लिए कूच करेंगे.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के संभल और सीतापुर के बाद बागपत जिला प्रशासन ने भी केंद्र सरकार के तीन नए और विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाले किसानों को नोटिस जारी किया है और शांति बरकरार रखने का वादा करते हुए दो लाख रुपये का निजी बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रालोद पार्टी के पूर्व विधायक वीरपाल सिंह राठी ने कहा कि 31 जनवरी को बड़ौत तहसील में एक महापंचायत में शामिल होने से एक दिन पहले उन्हें और छह अन्य लोगों को नोटिस मिला था.
महापंचायत में फैसला किया गया था कि क्षेत्र के लोग दिल्ली की सीमाओं पर जारी आंदोलन में शामिल होने के लिए गाजीपुर और सिंघू बॉर्डर के लिए कूच करेंगे.
राठी ने कहा, ‘मुझे 30 जनवरी को नोटिस मिला और पता चला कि जिले में लगभग 200 किसानों को इस तरह के नोटिस जारी किए गए हैं. ये नोटिस जारी करके प्रशासन चाहता है कि हम किसानों का समर्थन करना बंद कर दें. मैंने महापंचायत में भाग लिया और मेरे साथ नोटिस पाने वाले छह अन्य लोगों ने भी ऐसा ही किया.’
संपर्क किए जाने पर जिलाधिकारी राजकमल यादव ने कहा कि उन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
वहीं, नोटिसों पर हस्ताक्षर करने वाले बड़ौत के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट दुर्गेश मिश्रा ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
अतिरिक्त जिलाधिकारी अमित कुमार ने कहा, ‘राज्य में होने वाले आगामी पंचायत चुनावों और अन्य कानून-व्यवस्था के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए सीआरपीसी की धारा 107/116 के तहत नोटिस जारी किए गए हैं. यह किसानों के विरोध से संबंधित नहीं है. नोटिस जारी करने की प्रक्रिया अभी जारी है. हमने अब तक 700 व्यक्तियों को नोटिस जारी किए हैं.’
अधिकारियों ने कहा कि प्रशासन ने पुलिस द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए नोटिस जारी किए हैं.
बड़ौत के क्षेत्राधिकारी अजय कुमार शर्मा ने कहा, ‘हमने प्रशासन से वीरपाल सिंह राठी सहित छह व्यक्तियों को बांड भेजने का अनुरोध किया, क्योंकि यह संदेह है कि वे अपने भाषणों के माध्यम से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे लोगों को उकसा सकते हैं. ऐसी आशंका है कि उनके उकसावे की वजह से विरोध हिंसक हो सकता है.’
वीरपाल सिंह को जारी किए गए नोटिस में शांति बनाए रखने के लिए उन्हें 2 लाख रुपये के निजी बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने और एक साल के लिए उतनी ही राशि की दो प्रतिभूति (श्योरिटी) सौंपने के लिए कहा गया है.
बागपत के छपरौली से साल 2012 में विधानसभा चुनाव जीतने वाले सिंह ने कहा, ‘प्रशासन ने यह नोटिस जारी किया कि हम कानून और व्यवस्था का उल्लंघन कर सकते हैं. मैं अब तक प्रशासन के सामने पेश नहीं हुआ हूं. तीन कृषि कानून पर हमारा मौन विरोध जारी रहेगा.’
पूर्व विधायक ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर हुई हिंसा पर अपना बयान दर्ज कराने के लिए उन्हें दिल्ली पुलिस ने भी बुलाया है. सिंह ने दावा किया कि उनका नाम उस मामले में गलत तरीके से घसीटा गया है.
बागपत के एक प्रभावशाली ‘देश खाप’ के सदस्य संजीव चौधरी ने कहा, ‘प्रशासन ने लगभग 200 किसानों को नोटिस जारी किए हैं, जो विरोध प्रदर्शन का सक्रिय समर्थन कर रहे थे. गरीब किसानों को 50 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक के निजी बांड की मांग के लिए नोटिस जारी किए गए थे, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि वे बाहर न निकलें और विरोध में शामिल हों.’
बता दें कि पिछले महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीतापुर जिला प्रशासन से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा कर सकने की आशंका पर जिला प्रशासन ने किसानों से 50 हजार रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक की भारी-भरकम निजी बॉन्ड के साथ प्रतिभूति (श्योरिटी) भी जमा करने के लिए कहा गया है.
इससे पहले पिछले साल दिसंबर में संभल जिला प्रशासन के ऐसे ही कदम जोरदार विरोध हुआ था.