लैटरल एंट्री के तहत विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव पद पर तीन और निदेशक स्तर के पदों पर 27 नियुक्तियां होनी हैं. लैटरल एंट्री सरकारी विभागों में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति से संबंधित है. इसके तहत ऐसे लोगों को आवेदन करने योग्य माना गया है, जिन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा पास नहीं की है.
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव के तीन पदों और निदेशक के 27 पदों के लिए निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और राज्य सरकारों में काम कर रहे लोगों से आवेदन मंगाए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इन पदों पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा लैटरल एंट्री (यानी भारतीय प्रशासनिक सेवा से इतर के अधिकारियों की एंट्री) के आधार पर भर्ती की जाएगी.
यूपीएससी की ओर से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक, सरकार ने संयुक्त सचिव और निदेश स्तर के अधिकारियों की भर्तियों के लिए आवेदन मंगाए हैं और इसी के अनुरूप राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के इच्छुक प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों से आवेदन मंगाए हैं.
अधिसूचना के मुताबिक, तय वर्षों के अनुभव वाले लोग (संयुक्त सचिव के लिए 15 साल और निदेशक पद के लिए 10 साल) कॉरपोरेट सेक्टर, राज्य कैडर और पीएसयू अधिकारी ही इन पदों के योग्य हैं. संयुक्त सचिवों के लिए अधिकतम उम्र 45 साल और निदेशक स्तर के पदों के लिए 35 साल हैं.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव स्तर के पदों का ऐलान किया गया है.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, वित्तीय सेवा मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, उपभोक्ता मामले मंत्रालय, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में निदेशक पदों का ऐलान किया गया है.
अधिसूचना में कहा गया है कि उम्मीदवारों का विस्तृत विज्ञापन और निर्देश आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे और इच्छुक उम्मीदवार इन पदों पर 22 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं.
सितंबर 2019 में केंद्र सरकार ने अपनी लैटरल एंट्री नीति के तहत नौ निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव नियुक्त किया था.
आमतौर पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा, वन सेवा परीक्षा या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को करिअर में लंबा अनुभव हासिल करने के बाद संयुक्त सचिवों के पद पर तैनात किया जाता है.
लैटरल एंट्री सरकारी विभागों में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति से संबंधित है. हालांकि इसे लेकर मोदी सरकार की काफी आलोचना होती रही है. इसके तहत ऐसे लोगों को आवेदन करने योग्य माना गया है, जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा पास नहीं की है.
विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव का विरोध शुरू करते हुए आरोप लगाया था कि अस्थायी प्रकृति की इस बहाली में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया जाएगा तथा यह एक और संवैधानिक संस्था को बर्बाद करने की साजिश है.