चीन से लगी सीमा के कुछ हिस्सों में सैनिकों के पीछे हटने पर बनी सहमति का असर नहीं: विदेश मंत्री

भारत और चीन के बीच बीते साल पांच मई से पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध चल रहा है. गतिरोध ख़त्म करने लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है.

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New Delhi: External Affairs Minister S Jaishankar addresses during The Growth Net Summit 7.0, in New Delhi, Thursday, June 06, 2019. (PTI Photo/Kamal Kishore)(PTI6_6_2019_000031B) *** Local Caption ***
विदेश मंत्री एस. जयशंकर. (फोटो: पीटीआई)

भारत और चीन के बीच बीते साल पांच मई से पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध चल रहा है. गतिरोध ख़त्म करने लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है.

New Delhi: External Affairs Minister S Jaishankar addresses during The Growth Net Summit 7.0, in New Delhi, Thursday, June 06, 2019. (PTI Photo/Kamal Kishore)(PTI6_6_2019_000031B) *** Local Caption ***
विदेश मंत्री एस. जयशंकर. (फोटो: पीटीआई)

अमरावती: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत और चीन की सेना के शीर्ष कमांडर पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को लेकर नौ दौर की वार्ता कर चुके हैं और भविष्य में भी ऐसी वार्ताएं जारी रहेंगी.

जयशंकर ने आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर में संवाददाताओं से कहा कि अब तक हुईं वार्ताओं का कोई खास प्रभाव दिखाई नहीं दिया है.

उन्होंने कहा, ‘सैनिकों के पीछे हटने का मुद्दा बहुत पेचीदा है. यह सेनाओं पर निर्भर करता है. आपको अपनी (भौगोलिक) स्थिति और घटनाक्रम के बारे में पता होना चाहिए. सैन्य कमांडर इस पर काम कर रहे हैं.’

जयशंकर इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़पों को लेकर दोनों देशों के बीच मंत्री स्तरीय वार्ता हो सकती है.

भारत और चीन के बीच बीते साल पांच मई से पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध चल रहा है. गतिरोध खत्म करने लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है.

विदेश मंत्री ने कहा, ‘सेना के कमांडर अब तक नौ दौर की वार्ताएं कर चुके हैं. हमें लगता है कि कुछ प्रगति हुई है, लेकिन इसे समाधान के तौर पर नहीं देखा जा सकता. इन वार्ताओं का कोई खास प्रभाव दिखाई नहीं दिया है.’

जयशंकर ने कहा कि उन्होंने और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल अपने-अपने समकक्षों से बात की थी और इस बात पर सहमति बनी थी कि कुछ हिस्सों में सैनिकों को पीछे हटना चाहिए.

बता दें कि पिछले साल मॉस्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों तथा रक्षा मंत्रियों के बीच वार्ता हुई थी.

उन्होंने कहा, ‘फिलहाल सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत चल रही है और ऐसी वार्ताएं आगे भी जारी रहेंगी.’

बता दें कि पिछले सप्ताह चीनी अध्ययन पर 13वें अखिल भारतीय सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा था, ‘वर्ष 2020 में हुईं घटनाओं ने हमारे संबंधों पर वास्तव में अप्रत्याशित दबाव बढ़ा दिया है.’

गतिरोध के संबंध में उन्होंने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुईं घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है.

विदेश मंत्री ने कहा था कि इसने (लद्दाख की घटनाओं ने) न सिर्फ सैनिकों की संख्या को कम करने की प्रतिबद्धता का अनादर किया, बल्कि शांति भंग करने की इच्छा भी प्रदर्शित की.

जयशंकर ने कहा था कि हमें चीन के रुख में बदलाव और सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर अब भी कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं मिला है.

चीन के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा था कि संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान एवं संवेदनशीलता तथा आपसी हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों.

विदेश मंत्री ने कहा था कि सीमावर्ती इलाकों में शांति स्थापना चीन के साथ संबंधों के सम्पूर्ण विकास का आधार है और अगर इसमें कोई व्यवधान आएगा तो नि:संदेह बाकी संबंधों पर इसका असर पड़ेगा.

उन्होंने कहा था, ‘हमारे सामने मुद्दा यह है कि चीन का रुख क्या संकेत देना चाहता है, यह कैसे आगे बढ़ता है और भविष्य के संबंधों के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं.’

विदेश मंत्री ने कहा था कि सीमा पर स्थिति की अनदेखी कर जीवन सामान्य रूप से चलते रहने की उम्मीद करना वास्तविक नहीं है. अगर संबंधों को स्थिर और प्रगति की दिशा में लेकर जाना है तो नीतियों में पिछले तीन दशकों के दौरान मिले सबकों पर ध्यान देना होगा.

बता दें कि पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच जारी गतिरोध के बीच बीते 20 जनवरी को उत्तरी सिक्किम के नाकू ला में भी दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आए गए थे. इस दौरान हुई झड़प में दोनों देशों के जवान घायल भी हुए थे.

इससे पहले अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा एक गांव बसाए जाने की खबरों की पुष्टि करते हुए 19 जनवरी को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह देश की सुरक्षा पर असर डालने वाले समस्त घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखता है और अपनी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाता है.

इससे पहले पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर भारत और चीन के सैनिक के बीच पिछले साल पांच और छह मई की रात हुई हिंसक झड़प के बाद नौ मई 2020 को नाकु ला में भी दोनों देशों की सेना आमने-सामने आ गई थी. इन दोनों झड़पों में दोनों देशों के दर्जनों सैनिक घायल हुए थे.

सबसे गंभीर झड़प 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी, जब एक हिंसक लड़ाई में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. चीन ने अपनी तरफ भी हताहतों की संख्या को स्वीकार की है, लेकिन किसी भी संख्या का खुलासा नहीं किया था.

बीते 45 सालों में दोनों देशों के बीच यह सबसे हिंसक झड़प थी. वर्ष 1967 में सिक्किम के नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव था. उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे.

गलवान घाटी में हिंसक झड़प के ढाई महीने बाद बीते 29 अगस्त की रात पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित ठाकुंग में एक बार फिर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध देखने को मिला था.

इसके बाद भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा था कि चीनी सेना ने 29-30 अगस्त की रात को यथास्थिति को बदलने के लिए उकसाने वाली सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया था.

इन झड़पों के बाद दोनों देशों ने अपनी 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल’ (एलएसी) पर लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक सेना और टैंक की तैनाती शुरुआत कर दी थी.

मालूम हो कि लद्दाख में शुरू हुए गतिरोध के बाद भारतीय सेना ने 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी ताकत मजबूत की है.

भारत का साफ तौर पर कहना है कि यह चीन की जिम्मेदारी है कि सैनिकों को पीछे ले जाने की प्रक्रिया शुरू करे और पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले इलाके में तनाव कम करे.

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के करीब एक लाख सैनिक तैनात हैं. क्षेत्र में दोनों पक्षों की लंबे समय तक डटे रहने की तैयारी है. इस बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर भी सौहार्दपूण समाधान के लिए वार्ता चल रही है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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