आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम उत्तरी सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले श्रीनिवास राव ने कहा कि निर्णय लेने से पहले, घाटा क्यों कर रहा है, इसकी समीक्षा भी आवश्यक है. उधर, निजीकरण के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में स्टील प्लांट से संबद्ध मज़दूर संघों का विरोध जारी है.
विशाखापट्टनम: तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता जी. श्रीनिवास राव ने शनिवार को कहा कि उन्होंने विशाखापट्टम स्थित राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के इस्पात संयंत्र के निजीकरण के केंद्र के फैसले के विरोध में आंध्र प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.
विशाखापट्टनम उत्तरी सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले श्रीनिवास राव ने कहा कि इस्तीफे का पत्र विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीनिवास ने कहा कि वह प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ लड़ने के लिए एक गैर-राजनीतिक संयुक्त कार्रवाई समिति बनाएंगे और ऐसा (निजीकरण) नहीं होने देंगे. उन्होंने विशाखापट्टनम स्टील प्लांट (राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड की कॉरपोरेट इकाई) को बेचने का निर्णय लेते हुए इसे घाटे की इकाई बताने के केंद्र सरकार के रुख की आलोचना की.
उन्होंने कहा कि विशाखापट्टनम स्टील प्लांट खदानों की अनुपलब्धता के कारण घाटे में चल रहा था. उन्होंने कहा, ‘अगर प्लांट को खदानें आवंटित की जाती हैं, तो प्रति टन उत्पादन की लागत में 5,000 रुपये की कमी आ जाएगी. इस तरह का निर्णय लेने से पहले, घाटा क्यों कर रहा है, इसकी समीक्षा भी आवश्यक है.’
रिपोर्ट के अनुसार, श्रीनिवास ने बताया कि जब वह सांसद थे, तब भी इसी तरह की स्थिति पैदा हो गई थी. उस समय उन्होंने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिले थे और उस प्रस्ताव (निजीकरण) को ठुकरा दिया गया था.
उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार ने प्लांट के पुनर्गठन के लिए 1,000 करोड़ रुपये भी स्वीकृत किए थे.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह विरोध की दिशा में मेरा पहला कदम है और मेरा सुझाव है कि हर नेता को इस्तीफा देना चाहिए और इस विरोध में शामिल होना चाहिए.’
श्रीनिवास ने कहा कि (आंध्र प्रदेश के) मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी को अब पहल करनी चाहिए और नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करना चाहिए.
इस बीच स्टील प्लांट के निजीकरण के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में लगातार दूसरे दिन संयंत्र से संबद्ध सभी मजदूर संघों और नागरिक संस्थाओं का विरोध प्रदर्शन जारी रहा.
निवेश एवं लोक संपदा प्रबंधन सचिव तूहिन कांत पांडे ने तीन फरवरी को ट्वीट कर कहा था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस्पात उत्पादक आरआईएनएल के निजीकरण को मंजूरी दे दी है.
CCEA on 27th Jan 2021 has given in principle approval for 100% strategic disinvestment of GOI shareholding in RINL along with management control by way of privatization. pic.twitter.com/hvNtidKABs
— Secretary, DIPAM (@SecyDIPAM) February 3, 2021
आरआईएनएल की रणनीतिक बिक्री से प्राप्त रकम अगले वित्त वर्ष के विनिवेश लक्ष्य का हिस्सा होगी.
इस्पात मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय इस्पात निगम विशाखापट्टनम स्टील प्लांट की कॉरपोरेट इकाई है और सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनी भी है.
इसके अलावा भारत पेट्रोलियम निगम लिमिटेड (बीपीसीएल), एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल), पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड आदि सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के भी रणनीतिक विनिवेश को 2021-22 में पूरा करने की योजना सरकार की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)