पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन से संबंधित एक ‘गूगल टूलकिट’ ट्विटर पर साझा किया था, जिसे लेकर दिल्ली पुलिस गूगल और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों से इससे संबंधित ईमेल आईडी, डोमेन यूआरएल और कुछ सोशल मीडिया एकाउंट्स की जानकारी देने को कहा है.
नई दिल्ली: पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा ट्विटर पर साझा किए गए ‘टूलकिट’ और कृषि आंदोलनों के पक्ष में बढ़ते विश्वव्यापी समर्थन के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि ‘इससे काफी कुछ पता चला है’.
एएनआई के मुताबिक जयशंकर ने कहा, ‘इससे काफी कुछ पता चला है. हमें अभी इंतजार करना होगा और ये देखना होगा कि आगे क्या पता चलता है. विदेश मंत्रालय द्वारा बयान जारी करने के पीछे वजह थी, जिसे लेकर कुछ सेलिब्रिटी प्रतिक्रिया दे रहे थे जबकि वे इसके बारे में बहुत कुछ जानते नहीं थे.’
#WATCH: EAM Dr S Jaishankar speaks on 'Toolkit' matter, says, "It has revealed a lot. We've to wait & see what else comes out. There was a reason why Foreign Ministry reacted to statements which some celebrities gave out on matters on which they obviously didn't know very much." pic.twitter.com/wWmqWtFkL8
— ANI (@ANI) February 6, 2021
ट्विटर पर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा की गई ‘टूलकिट’ एक ऐसा दस्तावेज है, जो भारत में कृषि आंदोलनों का समर्थन करने के लिए भारतीय दूतावासों और अडानी तथा अंबानी कारपोरेट समूह के ऑफिसों के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की रूपरेखा पेश करता है.
दिल्ली पुलिस ने ‘टूलकिट’ बनाने वालों के संबंध में बीते शुक्रवार को गूगल और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों से ईमेल आईडी, डोमेन यूआरएल और कुछ सोशल मीडिया एकाउंट की जानकारी देने को कहा.
दिल्ली पुलिस के ‘साइबर सेल’ ने ‘भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध’ छेड़ने के लक्ष्य से ‘टूलकिट’ के ‘खालिस्तान समर्थक’ निर्माताओं के खिलाफ गुरुवार को प्राथमिकी दर्ज की थी.
साइबर सेल के पुलिस उपायुक्त अन्येश रॉय ने बताया कि गूगल और अन्य कंपनियों को पत्र लिखकर एकाउंट बनाने वालों, दस्तावेज अपलोड करने वालों और सोशल मीडिया पर ‘टूलकिट’ डालने वालों के बारे में जानकारी मांगी गई है.
पुलिस ने कहा कि उसने ‘टूलकिट’ में जिन ईमेल, डोमेन यूआरएल और कुछ सोशल मीडिया एकाउंट का जिक्र किया गया है, उनकी जानकारी मांगी है. यह दस्तावेज गूगल डॉक के जरिये अपलोड किया गया और बाद में ट्विटर पर साझा किया गया.
रॉय ने कहा कि फिलहाल हम संबंधित कंपनियों से जानकारी मिलने का इंतजार कर रहे हैं और उनसे मिलने वाली जानकारी के आधार पर ही हम आगे की कार्रवाई करेंगे.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मूल दस्तावेज से जांचकर्ताओं को ‘टूलकिट’ का निर्माण करने वाले और उसे साझा करने वाले व्यक्ति/व्यक्तियों को पहचानने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि जिस दस्तावेज की बात हो रही है उसे कुछ लोगों ने बनाया, संपादित किया और उसे अपलोड किया. इन सभी की पहचान करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें से साजिश की बू आ रही है.
पुलिस ने बताया कि अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत आपराधिक षड्यंत्र, राजद्रोह और अन्य आरोप में मामला दर्ज किया गया है.
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, शुरुआती जांच से पता चला है कि दस्तावेज के तार खालिस्तान-समर्थक समूह ‘पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन’ से जुड़े हैं.
उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को हुई हिंसा सहित पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रमों पर ध्यान देने पर पता चला है कि ‘टूलकिट’ में बतायी गई योजना का अक्षरश: क्रियान्वयन किया गया है. इसका लक्ष्य ‘भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ना है.’
पुलिस के अनुसार, ‘टूलकिट’ में एक खंड है, जिसमें कहा गया है- 26 जनवरी से पहले हैशटैग के जरिये डिजिटल हमला, 23 जनवरी और उसके बाद ट्वीट के जरिये तूफान खड़ा करना, 26 जनवरी को आमने-सामने की कार्रवाई और इन्हें देखें या फिर दिल्ली में और सीमाओं पर किसानों के मार्च में शामिल हों.
पुलिस ने बताया कि दस्तावेज ‘टूलकिट’ का लक्ष्य भारत सरकार के प्रति वैमनस्य और गलत भावना फैलाना और विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृति समूहों के बीच वैमनस्य की स्थिति पैदा करना है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)